Pawan Kalyan News / पवन कल्याण का तमिलनाडु के नेताओं पर प्रहार- हिंदी विरोध को बताया पाखंड

आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जनसेना पार्टी प्रमुख पवन कल्याण ने तमिलनाडु के नेताओं पर तीखा हमला किया। उन्होंने हिंदी विरोध और NEP के विरोध को "पाखंड" करार दिया। पवन कल्याण ने कहा कि तमिल नेता हिंदी का विरोध करते हैं, लेकिन हिंदी में फिल्में डब कर मुनाफा कमाते हैं।

Pawan Kalyan News: आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जनसेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने तमिलनाडु के नेताओं पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने शुक्रवार को नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के विरोध और हिंदी थोपने के आरोप को लेकर तमिलनाडु के नेताओं की आलोचना की। पवन कल्याण ने इसे "पाखंड" करार देते हुए सवाल किया कि वे हिंदी का विरोध क्यों करते हैं, जबकि हिंदी में फिल्में डब करके आर्थिक लाभ उठाते हैं। यह बयान उन्होंने काकीनाडा के पीथमपुरम में जनसेना पार्टी के 12वें स्थापना दिवस पर संबोधन के दौरान दिया।

हिंदी विरोध पर पवन कल्याण का सवाल

पवन कल्याण ने अपने भाषण में कहा कि तमिलनाडु के कुछ नेता हिंदी का विरोध करते हैं, लेकिन जब बात वित्तीय लाभ की आती है, तो वे अपनी फिल्मों को हिंदी में डब करवाने से परहेज नहीं करते। उन्होंने कहा, "मुझे समझ में नहीं आता कि कुछ लोग संस्कृत की आलोचना क्यों करते हैं, तमिलनाडु के नेता हिंदी का विरोध क्यों करते हैं, जबकि वित्तीय लाभ के लिए अपनी फिल्मों को हिंदी में डब करने की अनुमति देते हैं? वे बॉलीवुड से पैसा चाहते हैं, लेकिन हिंदी को स्वीकार करने से इनकार करते हैं, यह किस तरह का तर्क है?"

एम.के. स्टालिन पर सीधा हमला

पवन कल्याण के इस बयान को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के उस आरोप के जवाब के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार पर NEP के त्रिभाषा फॉर्मूले के माध्यम से हिंदी थोपने का आरोप लगाया था।

भारत की भाषाई विविधता पर जोर देते हुए पवन कल्याण ने कहा, "भारत को तमिल समेत कई भाषाओं की जरूरत है, न कि सिर्फ दो भाषाओं की। हमें भाषाई विविधता को अपनाना चाहिए। न सिर्फ अपने देश की अखंडता को बनाए रखने के लिए बल्कि अपने लोगों के बीच प्रेम और एकता को बढ़ावा देने के लिए भी।"

स्टालिन का NEP पर रुख

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) को "भगवा एजेंडा" बताते हुए कहा था कि यह नीति हिंदी को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है, न कि भारत के विकास के लिए। स्टालिन ने तिरुवल्लूर में एक जनसभा के दौरान कहा, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा नीति नहीं बल्कि भगवाकरण नीति है। यह नीति भारत के विकास के लिए नहीं बल्कि हिंदी के विकास के लिए बनाई गई थी। हम इस नीति का विरोध कर रहे हैं क्योंकि यह तमिलनाडु की शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से नष्ट कर देगी।" उन्होंने केंद्र सरकार पर NEP को लागू करने के लिए राज्य पर दबाव बनाने के लिए धनराशि रोकने का भी आरोप लगाया।

हिंदी पर विवाद और दक्षिण भारतीय राजनीति

हिंदी को लेकर दक्षिण भारतीय राज्यों में विरोध कोई नई बात नहीं है। खासकर तमिलनाडु में हिंदी का विरोध लंबे समय से चलता आ रहा है। 1965 के हिंदी विरोधी आंदोलनों के बाद से तमिलनाडु में हिंदी को लेकर संवेदनशीलता बनी हुई है। DMK और अन्य द्रविड़ दलों ने हमेशा हिंदी को थोपने के किसी भी प्रयास का विरोध किया है।

हालांकि, पवन कल्याण का यह बयान इस बहस को एक नया मोड़ देता है। उनका तर्क है कि हिंदी का विरोध करने वाले तमिल नेता अपनी फिल्मों को हिंदी में डब करके देशभर में मुनाफा कमाते हैं, लेकिन जब शिक्षा या सरकारी कार्यों में हिंदी के प्रयोग की बात आती है, तो वे इसका विरोध करते हैं।

राजनीतिक समीकरणों पर असर

पवन कल्याण के इस बयान से दक्षिण भारतीय राजनीति में हलचल मच सकती है। तमिलनाडु में हिंदी विरोधी भावनाओं को देखते हुए उनके बयान का कड़ा विरोध हो सकता है। वहीं, भाजपा और अन्य राष्ट्रीय दलों के समर्थकों के बीच उनके इस बयान को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल सकती है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि तमिलनाडु के नेता, विशेष रूप से एम.के. स्टालिन और उनकी पार्टी DMK, इस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। साथ ही, यह बयान क्या आने वाले चुनावी समीकरणों को प्रभावित करेगा, यह भी देखने लायक होगा।