देश / बूस्टर डोज़ की सिफारिश भविष्य में ज़रूर की जाएगी: आईसीएमआर-एनआईवी निदेशक

आईसीएमआर-नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (आईसीएमआर-एनआईवी) की निदेशक डॉ. प्रिया अब्राहम ने कहा है, "विदेशों में...करीब 7 अलग-अलग वैक्सीन का बूस्टर डोज़ के तौर पर ट्रायल हो रहा है।" उन्होंने कहा, "फिलहाल कई देशों के टीकाकरण में पिछड़ने के कारण डब्ल्यूएचओ ने इस पर रोक लगा दी है, लेकिन भविष्य में बूस्टर डोज़ की सिफारिश ज़रूर की जाएगी।"

Vikrant Shekhawat : Aug 20, 2021, 09:19 AM
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन की बूस्टर डोज पर चर्चा काफी समय से चल रही है। हाल ही में अमेरिका ने कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज को मंजूरी भी प्रदान कर दी, जिसके बाद सितंबर से अमेरिका में बूस्टर डोज लगना शुरू हो जाएगी। अमेरिका के बाद अब भारत में भी बूस्टर डोज की सिफारिश की गई है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की निदेशक डॉ प्रिया अब्राहम ने कहा है कि भविष्य में भारत में बूस्टर डोज की निश्चित रूप से सिफारिश की जाएगी। बूस्टर डोज को लेकर सरकार का अभी आधिकारिक स्टैंड यह है कि इस मुद्दे का बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है। आपको बता दें कि भारत में बूस्टर डोज पर चर्चा चल तो काफी दिनों से रही है, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।

विदेशों में बूस्टर डोज पर चल रही हैं स्टडी

एक इंटरव्यू में डॉक्टर प्रिया अब्राहम ने कहा है, "बूस्टर डोज पर विदेशों में कई स्टडी चल रही हैं, जिनमें कम से कम सात अलग-अलग वैक्सीन को आजमाया जा रहा है। हालांकि अभी WHO की भी बूस्टर डोज को लेकर आम सहमति नहीं बनी है। ऐसा इसलिए क्योंकि उच्च आय और निम्न आय वाले देशों के बीच वैक्सीनेशन का एक बहुत बड़ा अंतर है, लेकिन भविष्य में निश्चित रूप से बूस्टर डोज के लिए सिफारिशें आएंगी।"

अमेरिका में 20 सितंबर से लगेगी बूस्टर डोज

आपको बता दें कि वैक्सीन के प्रभावकारिता में आ रही कमी को देखते हुए अमेरिकी एक्सपर्ट की चेतावनी के बाद अमेरिका में 20 सितंबर से बूस्टर डोज लगना शुरू हो जाएगी। आपको बता दें कि बूस्टर डोज उन लोगों को दी जाएगी, जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज ले ली हैं। अमेरिका में ये फैसला वैज्ञानिकों और हेल्थ एक्सपर्ट की चेतावनी के बाद लिया गया है।

क्या है बूस्टर डोज?

आपको बता दें कि बूस्टर डोज उसे कहते हैं जो शरीर में एंटीबॉडी के स्तर को बढ़ाने के लिए दी जाती है। ये डोज उसी व्यक्ति को लगती है, जिसे वैक्सीन की पहली दो डोज लग चुकी हों। आपको बता दें कि कई स्टडी में ये देखा गया है कि शरीर में एंटीबॉडी का स्तर एक समय के बाद कम होने लगता है तो ऐसे में उसे बनाए रखने के लिए बूस्टर डोज की जरूरत पड़ती है। एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया भी कह चुके हैं कि वायरस के नए-नए वेरिएंट को देखते हुए बूस्टर डोज काफी जरूरी बन जाती है।