हिमाचल प्रदेश / आरोप - दलाई लामा ने कहा- मेरी मौत के बाद चीन रच सकता है उत्तराधिकारी रचने की साजिश

बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा को लगता है कि उनकी मौत के बाद चीन कोई साजिश रच सकता है। वह उनके उत्तराधिकारी के तौर पर किसी का नाम प्रस्तावित कर सकता है। उन्होंने चीन को चेतावनी दी कि इस तरह की हरकत की तो लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे। दलाई लामा ने कहा कि मेरा उत्तराधिकारी भारत से हो सकता है। दलाई लामा बौद्ध धर्म के 14वें गुरु हैं। उनका जन्म 6 जुलाई, 1935 को उत्तर-पूर्वी तिब्बत के ताकस्तेर क्षेत्र में हुआ था।

Dainik Bhaskar : Mar 19, 2019, 05:48 PM
धर्मशाला. बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा को लगता है कि उनकी मौत के बाद चीन कोई साजिश रच सकता है। वह उनके उत्तराधिकारी के तौर पर किसी का नाम प्रस्तावित कर सकता है। उन्होंने चीन को चेतावनी दी कि इस तरह की हरकत की तो लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे। दलाई लामा ने कहा कि मेरा उत्तराधिकारी भारत से हो सकता है।

बौद्ध धर्म के 14वें गुरु हैं दलाई लामा

दलाई लामा बौद्ध धर्म के 14वें गुरु हैं। उनका जन्म 6 जुलाई, 1935 को उत्तर-पूर्वी तिब्बत के ताकस्तेर क्षेत्र में हुआ था। दलाई लामा के बचपन का नाम तेनजिन ग्यात्सो है। मानव अधिकारों के लिए काम करने पर उन्हें 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था।

दलाई लामा ने मंगलवार को महाबोधि मंदिर में एजेंसी से कहा कि चीन में कम्युनिज्म है और वह सोशलिज्म में विश्वास रखते हैं। धर्म और प्रकृति से प्यार करने की स्वतंत्रता सभी को होनी चाहिए। उनका मानना है कि व्यक्ति कभी-कभी कुछ कहकर एक प्रभाव बनाता है और कभी-कभी चुप रहकर भी एक महत्वपूर्ण छाप छोड़ सकता है।

दलाई लामा ने कहा कि उनका अगला अवतार भारत में हो सकता है, क्योंकि निर्वासन के बाद उन्होंने अपने जीवन के 60 साल इस देश में गुजारे हैं। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि भगवान बुद्ध का कोई अवतार नहीं हुआ, लेकिन उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों के बीच प्रभावी हैं। 

उनका कहना है कि चीन उनके उत्तराधिकारी के चयन को लेकर काफी उत्सुक है। उसकी रुचि उनमें उतनी नहीं है जितनी उनका विकल्प तलाशने में। उनका कहना था कि हो सकता है कि भविष्य में दो दलाई लामा दिखाई दें। एक इस आजाद देश में और दूसरा चीन में। उधर, चीन मानता है कि उत्तराधिकारी के चयन का अधिकार उसके पास है। 

बौद्ध गुरु का कहना है कि उनके अधिकारियों और चीनी सरकार के बीच 2010 के बाद से कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई है। हालांकि, कुछ चीनी अधिकारी, कारोबारी उनसे मिलने अभी भी आते हैं।

दलाई लामा ने कहा कि उन्हें कास्मोलाजी, न्यूरो बायलाजी और साइकोलाजी में गहरी रुचि है। अगर उन्हें कभी गृहक्षेत्र में जाने का मौका मिला तो इन विषयों पर वह चीन के विश्वविद्यालयों में व्याख्यान देना पसंद करेंगे। हालांकि, उनका यह भी कहना है कि कम्युनिस्ट शासन में वह चीन नहीं जाना चाहते।