AMAR UJALA : Nov 26, 2019, 12:48 PM
नई दिल्ली: हाल ही में लासेंट में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार वर्ष 2017 में दिल्ली में तकरीबन 81 हजार लोगों की मौत हुई हैं, जिसमें से 21.3 फीसदी संचारी और 57.6 फीसदी मौतें गैर संचारी रोगों की वजह से हुई हैं। जबकि सड़क दुर्घटनाओं सहित चोटिल होने से 7.9 फीसदी मौतें हुई हैं। टीबी, डायरिया, श्वसन संक्रमण, दिल, किडनी फेलियर, लिवर या एल्कोहल का सेवन, क्रोनिक श्वसन रोग बीमारियां सबसे ज्यादा जानलेवा बनी हुई हैं। डॉक्टरों की मानें तो दिल्ली में प्रदूषण की वजह से श्वसन संबंधी संक्रमण बढ़ा है। जबकि जीवनशैली के चलते लोग ह्दयरोगों की चपेट में आ रहे हैं। एल्कोहल का अत्यधिक सेवन इन्हें पहले फैटी लिवर और बाद में लिवर सिरोसिस जैसे रोगों की चपेट में ले रहा है। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों के अनुसार इस अध्ययन के पीछे विभिन्न रोगों की वर्तमान स्थिति, उनसे होने वाली मौतें और किस आयुवर्ग में किन बीमारियों का फैलाव ज्यादा है इत्यादि जानकारियां हासिल करने के लिए ये अध्ययन किया था। ताकि सरकार इस स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए आगे कार्य कर सके।
इसमे विशेषज्ञ का क्या कहना- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल का कहना है कि गैर संचारी रोगों से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। इसके लिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। वहीं डॉ. आरएन कालरा का कहना है कि युवाओं में फैल रहे ह्दयरोग और मधुमेह को रोकना बेहद जरूरी है। सफदरजंग अस्पताल के किडनी विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु वर्मा के अनुसार किडनी फेलियर की वजह से मौतें हो रही हैं। जबकि लोग समय समय पर जांच कराने से बचाव कर सकते हैं। एम्स के श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. करण मदान का कहना है कि श्वसन संबंधी संक्रमण के अलावा क्रोनिक बीमारियों से बचाव बेहद जरूरी है।14 वर्ष तक संक्रमण से मौतें ज्यादा- अध्ययन के अनुसार दिल्ली में 0 से 14 वर्ष की आयु के बीच सर्वाधिक मौतें संक्रमण से हो रही हैं। इसमें डायरिया, श्वसन संक्रमण, प्रसवकालीन और संतुलित आहार न मिलना इत्यादि शामिल हैं। चार वर्ष तक की आयु की बात करें तो डायरिया और श्वसन संक्रमण की चपेट में आने से सर्वाधिक मौतें बच्चियों की हुई हैं।युवाओं को ह्दय तो व्यस्कों में श्वसन रोग वर्ष 2017 में हुई मौतों को अगर आयुवर्ग में देखे तो 15 से 49 वर्ष के दौरान सर्वाधिक मौतें ह्दय रोग और लिवर व एल्कोहल के ज्यादा सेवन से जुड़ी हैं। जबकि 50 वर्ष से ऊपर के लोगों की मौत में ह्दय रोग के अलावा टीबी व श्वसन संबंधी बीमारियां कारण बनीं।2017 में दिल्ली की ये रही स्थितिकुल आबादी 19,070,718कुल मौतें 81,447संचारी रोगों से मौतें 17,343गैर संचारी रोगों से मौतें 46,933चोट लगने से मौतें 6,439मौत का कारण स्पष्ट नहीं 10,732
इन बीमारियों से हुई मौतेंबीमारी कुल मौतें स्थिति फीसदी मेंह्दय रोग 18,000 22.2श्वसन रोग 6,000 7.0टीबी 4,000 5.1डायरिया 3000 3.5श्वसन संक्रमण 2000 2.9लिवर 4,000 4.8किडनी फेल 3,000 3.4
इसमे विशेषज्ञ का क्या कहना- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल का कहना है कि गैर संचारी रोगों से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। इसके लिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। वहीं डॉ. आरएन कालरा का कहना है कि युवाओं में फैल रहे ह्दयरोग और मधुमेह को रोकना बेहद जरूरी है। सफदरजंग अस्पताल के किडनी विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु वर्मा के अनुसार किडनी फेलियर की वजह से मौतें हो रही हैं। जबकि लोग समय समय पर जांच कराने से बचाव कर सकते हैं। एम्स के श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. करण मदान का कहना है कि श्वसन संबंधी संक्रमण के अलावा क्रोनिक बीमारियों से बचाव बेहद जरूरी है।14 वर्ष तक संक्रमण से मौतें ज्यादा- अध्ययन के अनुसार दिल्ली में 0 से 14 वर्ष की आयु के बीच सर्वाधिक मौतें संक्रमण से हो रही हैं। इसमें डायरिया, श्वसन संक्रमण, प्रसवकालीन और संतुलित आहार न मिलना इत्यादि शामिल हैं। चार वर्ष तक की आयु की बात करें तो डायरिया और श्वसन संक्रमण की चपेट में आने से सर्वाधिक मौतें बच्चियों की हुई हैं।युवाओं को ह्दय तो व्यस्कों में श्वसन रोग वर्ष 2017 में हुई मौतों को अगर आयुवर्ग में देखे तो 15 से 49 वर्ष के दौरान सर्वाधिक मौतें ह्दय रोग और लिवर व एल्कोहल के ज्यादा सेवन से जुड़ी हैं। जबकि 50 वर्ष से ऊपर के लोगों की मौत में ह्दय रोग के अलावा टीबी व श्वसन संबंधी बीमारियां कारण बनीं।2017 में दिल्ली की ये रही स्थितिकुल आबादी 19,070,718कुल मौतें 81,447संचारी रोगों से मौतें 17,343गैर संचारी रोगों से मौतें 46,933चोट लगने से मौतें 6,439मौत का कारण स्पष्ट नहीं 10,732
इन बीमारियों से हुई मौतेंबीमारी कुल मौतें स्थिति फीसदी मेंह्दय रोग 18,000 22.2श्वसन रोग 6,000 7.0टीबी 4,000 5.1डायरिया 3000 3.5श्वसन संक्रमण 2000 2.9लिवर 4,000 4.8किडनी फेल 3,000 3.4