देश / दिल्ली ने मुफ्त सुविधा देने के कारण अपनी अर्थव्यवस्था खराब की: हरियाणा के सीएम खट्टर

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली ने मुफ्त सुविधाएं देने के कारण अपनी अर्थव्यवस्था को खराब किया और हरियाणा की अर्थव्यवस्था दिल्ली से बेहतर है। उन्होंने कहा, "हमने अपना लक्ष्य 'आत्मनिर्भर हरियाणा' की दिशा में निर्धारित किया...ताकि भारत को $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संकल्पना का लक्ष्य प्राप्त कर सकें।"

गुरुग्राम: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिल्ली में मुफ्त दी जारी सुविधाओं को लेकर केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा है। सीएम खट्टर ने कहा कि हरियाणा आत्मनिर्भरता के पांच मापदंडों में शीर्ष प्रदर्शन करने वाला है और इसकी अर्थव्यवस्था दिल्ली की तुलना में बेहतर है जिसने "मुफ्त देकर" अपनी अर्थव्यवस्था को "खराब" किया है।

सरकारी बयान के अनुसार गुरुवार को उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संकल्पना के अनुसार भारत को पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 'आत्मनिर्भर हरियाणा' की दिशा में अपना लक्ष्य निर्धारित किया है। आत्मनिर्भर हरियाणा और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करते हुए, हम राज्य और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे।

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, बुनियादी ढांचे में सुधार, प्रणालियों में सुधार, जनसांख्यिकी और निवेश आकर्षित करने सहित आत्मनिर्भरता के लिए पांच मानदंड निर्धारित किए गए हैं। इनमें से हरियाणा अर्थव्यवस्था के मामले में देश के अन्य राज्यों की तुलना में काफी बेहतर स्थिति में है। हमारी अर्थव्यवस्था राजधानी दिल्ली से भी बेहतर है, जबकि दिल्ली राज्य की आय अच्छी है, लेकिन उन्होंने मुफ्त के चक्कर में अपनी अर्थव्यवस्था खराब कर दी है। इसके उलट हरियाणा में हम अपने नागरिकों को जिम्मेदार बना रहे हैं।

खट्टर ने कहा कि उद्यमी अपनी इकाइयों में एक लाख रुपये वार्षिक आय वाले गरीब परिवारों को भी रोजगार में प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि राज्य में रोजगार की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 1500 स्टार्टअप को समर्थन दिया गया है और 4,000 आवेदन प्रक्रियाधीन हैं। उन्होंने कहा कि ये आंकड़े पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश से ज्यादा हैं।

उन्होंने कहा कि हरियाणा में युवाओं को रोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है और सभी सरकारी, गैर सरकारी, उद्योगों आदि में हर साल पांच लाख रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है।