नई दिल्ली / देवेंद्र फडणवीस ने संभाला मुख्यमंत्री पद का कार्यभार, पहला हस्ताक्षर मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए किया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज कार्यभार संभाल लिया है। इस कार्यकाल का पहला हस्ताक्षर उन्होंने मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए किया। ये चेक मुख्यमंत्री द्वारा कुसुम वेंगुरलेकर को सौंपा। यह जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय ने दी। गौरतलब है बीते शनिवार को फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

Live Hindustan : Nov 25, 2019, 02:55 PM
मुंबई. पिछले तीन दिनों से महाराष्ट्र की राजनीति ऐसे मोड़ ले रही जिसके बारे में किसी ने सोचा नहीं था। जोड़-तोड़ के बाद यहां कई ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं। भाजपा जहां दावा कर रही है कि उसके पास बहुमत है। वहीं शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी उनपर सदन में बहुमत परीक्षण कराने की मांग कर रही है। इसके अलावा उनकी कोशिश अपने विधायकों को टूटने से बचाने की भी है। इस सियासी ड्रामे की दशा और दिशा अब उच्चतम न्यायालय के मंगलवार को दिए जाने वाले फैसले पर टिकी हुई हैं। यह देखना होगा कि अदालत क्या फैसला देती है। इसी बीच शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं ने सोमवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास एक पत्र भेजा जिसमें उन्होंने दावा किया है कि राज्य में सरकार गठन के लिए आवश्यक आंकड़ा उनके पास है।

फडणवीस ने संभाला कार्यभार

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपना कार्यभार संभालने के बाद मंत्रालय पहुंचकर सबसे पहले मुख्यमंत्री राहत कोष पर अपने हस्ताक्षर किए। जिसे मुख्यमंत्री ने कुसुम वेंगुरलेकर को सौंप दिया। यह जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय ने दी।

भाजपा-शिवसेना को सरकार गठन का आदेश दें

ठाणे जिले की रहने वाली एक महिला मतदाता ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर शिवसेना और भाजपा को चुनाव पूर्व गठबंधन पर कायम रहने और उसे प्राप्त जनादेश के तहत महाराष्ट्र में सरकार बनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। प्रिया चौहान पड़ोसी ठाणे जिले की रहने वाली हैं। उन्होंने अदालत से केंद्र और राज्य को यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के चुनाव पश्चात बने गठबंधन और भाजपा-अजीत पवार के गठजोड़ में से किसी को मुख्यमंत्री बनाने से रोके।

सिविल ड्रेस में मौजूद थी पुलिस

एनसीपी नेता अनिल पाटिल जो कथित तौर पर गायब थे और उन्हें दिल्ली से मुंबई लाया गया है। उन्होंने कहा, 'जब हम होटल (दिल्ली में) पहुंचे, तो कम से कम 100-200 भाजपा कार्यकर्ता वहां मौजूद थे। साथ ही सिविल ड्रेस में बहुत सारी पुलिस की गाड़ियां और कर्मी भी मौजूद थे। हम डर गए थे। हमने शरद पवार साहब से कहा कि हम वापस आना चाहते हैं और पार्टी के साथ रहना चाहते हैं। उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि हमें वापस लाया जाएगा और आवश्यक व्यवस्था की।'