Vikrant Shekhawat : Nov 08, 2021, 03:50 PM
नई दिल्ली: सोमवार से लोकआस्था का महापर्व छठ शुरू हो गया है। दिल्ली में इस अवसर पर भी यमुना में श्रद्धालु जहरीले झाग वाले पानी में डूबकी लगाने को मजबूर हैं। यमुना की इस दयनीय स्थिति की तस्वीरें सामने आते ही सोशल मीडिया पर लोगों ने केजरीवाल सरकार को फटकार लगाना शुरू कर दिया है।यमुना नदी पर तैरता हुआ खतरनाक झाग, अमोनिया के स्तर में वृद्धि और उच्च फॉस्फेट सामग्री के कारण होता है। यमुना में ये झाग उन औद्योगिक कचरों के कारण होता है, जो यमुना में छोड़े जाते हैं। हालांकि यमुना में जहरीले झाग का बनना कोई नई बात नहीं है। हर साल छठ पूजा के दौरान, नदी में जहरीले झाग में खड़े भक्तों की तस्वीरें सुर्खियों में रहती हैं।हर साल सरकार वादा करती है ये झाग नहीं दिखेंगे लेकिन सरकार के दावों के उलट भक्त इसी जहरीले पानी में नहाने को मजबूर होते हैं। यमुना में अमोनिया के स्तर में 3 पीपीएम (प्रति मिलियन भाग) की वृद्धि हुई है। अब इसी लेकर सोशल मीडिया पर दिल्ली सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है।अधीरा (@Aadhiraspeaks) ने लिखा- “श्रीमान केजरीवाल, मैं पर्यावरण को बचाने के लिए पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के लिए तत्पर हूं, लेकिन यमुना की रक्षा करने के लिए परेशान हूं, जो हिंदुओं के लिए पवित्र है और लोग जहरीले पानी में डुबकी लगाने के लिए मजबूर हैं!अमन कुमार सिंह (@AmanKum38650361) ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए कहा कि यमुना की सफाई में दिल्ली सरकार एक रुपया भी खर्च नहीं करेगी, बल्कि अपने लिए, संगठन के कार्यक्रमों में करोड़ों खर्च करेगी।एक अन्य यूजर अकाश पटेल (@Apoxipril) ने लिखा- राष्ट्रीय राजधानी की नदियों का प्रबंधन अन्य औद्योगिक शहरों की तरह क्यों नहीं किया गया है?आम लोगों के साथ-साथ विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार पर हमला बोला है। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा है कि दिल्ली में छठ पूजा कर रहे श्रद्धालु जहरीली यमुना में डुबकी लगाने को मजबूर हैं। दिल्ली में बड़ी संख्या में लोग छठ मनाते हैं और यह सुविधाएं प्रदान करने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यही प्रतिबद्धता अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में कम कर दिया है। शर्म की बात है।इस साल की शुरुआत में, दिल्ली सरकार ने यमुना में झाग को कम करने के लिए नौ सूत्री कार्य योजना तैयार की थी। सूर्य भगवान को समर्पित यह त्योहार और मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों द्वारा मनाया जाता है।