Vikrant Shekhawat : Jan 26, 2021, 06:01 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय बैंक देश में अपनी डिजिटल मुद्रा लाने पर विचार कर रहा है। RBI ने कहा कि भुगतान उद्योग के तेजी से बदलते परिदृश्य, निजी डिजिटल टोकन के आगमन और कागज के नोटों या सिक्कों के प्रबंधन से जुड़े बढ़े हुए खर्चों के मद्देनजर, दुनिया भर के कई केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) लाने पर विचार कर रहे हैं। RBI ने केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा की संभावनाओं का अध्ययन करने और उनके लिए दिशानिर्देश तय करने के लिए एक अंतर-विभागीय समिति का गठन किया है।
उन्होंने कहा कि बिटकॉइन जैसी डिजिटल मुद्राओं की रीढ़ ब्लॉकचेन या वितरित लेजर तकनीक है। वृहद आर्थिक के लिए उनका बहुत महत्व है और हमें इसे अपनाने की आवश्यकता है। हम यह भी मानते हैं कि अर्थव्यवस्था के लाभ के लिए इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।CBDC एक कानूनी मुद्रा है और डिजिटल बैंक में डिजिटल बैंक की देनदारी है जो संप्रभु मुद्रा के रूप में उपलब्ध है। यह बैंक की बैलेंस शीट में दर्ज है। यह मुद्रा का एक इलेक्ट्रॉनिक रूप है जिसे RBI द्वारा जारी नकदी में परिवर्तित या परिवर्तित किया जा सकता है।सूत्रों के मुताबिक, अगर डिजिटल मुद्रा चलन में आती है, तो पैसे के लेनदेन और लेनदेन के तरीकों को बदला जा सकता है। इससे काले धन पर अंकुश लगेगा। समिति का कहना है कि डिजिटल मुद्रा से मौद्रिक नीति का पालन करना आसान हो जाएगा। इसमें डिजिटल लेजर तकनीक (डीएलटी) का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। डीएलटी के साथ विदेशों में लेनदेन का पता लगाना आसान होगा।
उन्होंने कहा कि बिटकॉइन जैसी डिजिटल मुद्राओं की रीढ़ ब्लॉकचेन या वितरित लेजर तकनीक है। वृहद आर्थिक के लिए उनका बहुत महत्व है और हमें इसे अपनाने की आवश्यकता है। हम यह भी मानते हैं कि अर्थव्यवस्था के लाभ के लिए इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।CBDC एक कानूनी मुद्रा है और डिजिटल बैंक में डिजिटल बैंक की देनदारी है जो संप्रभु मुद्रा के रूप में उपलब्ध है। यह बैंक की बैलेंस शीट में दर्ज है। यह मुद्रा का एक इलेक्ट्रॉनिक रूप है जिसे RBI द्वारा जारी नकदी में परिवर्तित या परिवर्तित किया जा सकता है।सूत्रों के मुताबिक, अगर डिजिटल मुद्रा चलन में आती है, तो पैसे के लेनदेन और लेनदेन के तरीकों को बदला जा सकता है। इससे काले धन पर अंकुश लगेगा। समिति का कहना है कि डिजिटल मुद्रा से मौद्रिक नीति का पालन करना आसान हो जाएगा। इसमें डिजिटल लेजर तकनीक (डीएलटी) का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। डीएलटी के साथ विदेशों में लेनदेन का पता लगाना आसान होगा।