India-China Relation / भारत के बाजार में बढ़ा 'ड्रैगन का कब्जा'- कब तक रहेंगे चीन पर डिपेंड!

गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं की के बीच हुई मुठभेड़ के बाद जिस तरह की परिस्थितियां राजनीतिक तौर पर बदली. वैसा ही बदलाव आर्थिक तौर पर भी करने की कोशिश की गई. कई चीनी ऐप्स पर बैन लगाया गया. कई तरह के सामानों पर डंपिंग ड्यूटी बढ़ाई गई. उसके बाद भी भारत का से चीन से आयात कम नहीं हुआ. भारत के बाजारों में चीन के सामान हिस्सेदारी लगातार बढ़ती गई है. जुलाई का आंकड़ा सामने आया है, वो बेहद चौंकाने वाला है.

Vikrant Shekhawat : Aug 15, 2024, 08:56 AM
India-China Relation: गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं की के बीच हुई मुठभेड़ के बाद जिस तरह की परिस्थितियां राजनीतिक तौर पर बदली. वैसा ही बदलाव आर्थिक तौर पर भी करने की कोशिश की गई. कई चीनी ऐप्स पर बैन लगाया गया. कई तरह के सामानों पर डंपिंग ड्यूटी बढ़ाई गई. उसके बाद भी भारत का से चीन से आयात कम नहीं हुआ. भारत के बाजारों में चीन के सामान हिस्सेदारी लगातार बढ़ती गई है. जुलाई का आंकड़ा सामने आया है, वो बेहद चौंकाने वाला है. चीन से भारत के इंपोर्ट बिल में 13 फीसदी का इजाफा हो गया है. जबकि एक्सपोर्ट करने की परिस्थिति बिल्कुल विपरीत है. जिसमें 9 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है. आइए आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर भारत से एक्सपोर्ट और इंपोर्ट की क्या परिस्थितियां हैं.

चीन से लगातार बढ़ रहा इंपोर्ट

देश का चीन को निर्यात जुलाई में 9.44 फीसदी घटकर 1.05 अरब डॉलर रहा जबकि आयात 13.05 फीसदी बढ़कर 10.28 अरब डॉलर पहुंच गया. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि में चीन को निर्यात 4.54 फीसदी घटकर 4.8 अरब डॉलर रहा जबकि इंपोर्ट 9.66 फीसदी बढ़कर 35.85 अरब डॉलर रहा. इस तरह भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 31.31 अरब डॉलर रहा. चीन वित्त वर्ष 2023-24 में 118.4 अरब डॉलर के व्यापार (निर्यात और आयात) के साथ अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बनकर उभरा है.

पिछले वित्त वर्ष में चीन को भारत का निर्यात 8.7 प्रतिशत बढ़कर 16.67 अरब डॉलर रहा था. पड़ोसी देश से आयात 3.24 प्रतिशत बढ़कर 101.7 अरब डॉलर हो गया. व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2022-23 के 83.2 अरब डॉलर से बढ़कर 85 अरब डॉलर हो गया. चीन 2013-14 से 2017-18 और 2020-21 में भारत का टॉप ट्रेडिंग पार्टनर था. चीन से पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) देश का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार था. 2021-22 और 2022-23 में अमेरिका सबसे बड़ा भागीदार था.

अमेरिका और रूस से इंपोर्ट और एक्सपोर्ट

आंकड़ों के अनुसार देश से अमेरिका को निर्यात जुलाई महीने में 3.15 प्रतिशत बढ़कर 6.55 अरब डॉलर रहा जबकि आयात 1.43 प्रतिशत बढ़कर 3.71 अरब डॉलर रहा. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि में अमेरिका को निर्यात 9 प्रतिशत बढ़कर 27.44 अरब डॉलर रहा जबकि आयात 6.59 प्रतिशत बढ़कर 15.24 अरब डॉलर रहा. इस प्रकार, व्यापार अधिशेष 12.2 अरब डॉलर का रहा. इसी तरह, जुलाई में रूस से देश का आयात 22.56 प्रतिशत बढ़कर 5.41 अरब डॉलर का हो गया. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान कच्चे तेल के आयात के कारण कुल आयात 20.33 प्रतिशत बढ़कर 23.77 अरब डॉलर का रहा.

इन देशों के निर्यात में कमी

सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार जुलाई के महीने में ब्रिटेन, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, मलेशिया, फ्रांस, इटली, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, ब्राजील, बेल्जियम, तुर्की और इंडोनेशिया को देश से होने वाले निर्यात में भी कमी देखने को मिली है. वहीं दूसरी ओर अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड, सिंगापुर, सऊदी अरब, बांग्लादेश तथा मेक्सिको को होने वाले निर्यात में इजाफा देखने को मिला है. जानकारों की मानें मौजूदा समय में दुनिया के समृद्ध देशों में मंदी की आहट देखने को मिल रही है. उसके बाद इन देशों में एक्सपोर्ट में इजाफा देखने को मिला है वो बड़ी बात है.

चीन से बढ़ते इंपोर्ट का कारण

वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने चीन से आयात में वृद्धि के कारण के बारे में पूछे जाने पर कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित दुनिया का कोई भी देश चीन से अलग-थलग नहीं रह सकता है. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इसकी खपत भी बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि अगर निर्यात या घरेलू खपत के अनुरूप आयात बढ़ रहा है तो मुझे नहीं लगता है कि इसे लेकर हमें चिंता करनी चाहिए.