UP By Election / इलेक्शन पिटीशन या कुछ और... क्यों टाला गया मिल्कीपुर में उपचुनाव?

महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही उपचुनावों का भी ऐलान हुआ है। लेकिन उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर सीट पर चुनाव आयोग ने उपचुनाव न कराने का फैसला किया है। यह सीट सपा सांसद अवधेश प्रसाद के इस्तीफे से खाली हुई थी, जिससे कई सवाल उठ रहे हैं।

Vikrant Shekhawat : Oct 16, 2024, 10:20 AM
UP By Election: महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही उपचुनावों की भी बात चल रही है। इस बीच उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट चर्चा का केंद्र बनी हुई है। चुनाव आयोग ने इस सीट पर उपचुनाव न कराने का निर्णय लिया है, जोकि पूर्व सपा सांसद अवधेश प्रसाद के इस्तीफे के कारण खाली हुई है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब अन्य नौ सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की गई है, जिससे इस मामले में कई सवाल उठ रहे हैं।

मिल्कीपुर सीट की राजनीतिक अहमियत

मिल्कीपुर विधानसभा सीट अयोध्या जिले में स्थित है और इसे सियासी गलियारों में हॉट सीट माना जाता है। इस सीट का राजनीतिक इतिहास काफी रोचक है। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सपा ने मिल्कीपुर के विधायक अवधेश प्रसाद को फैजाबाद सीट से उम्मीदवार बनाया। उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार लल्लू सिंह को हराकर फैजाबाद में सपा की जीत को सुनिश्चित किया। इस जीत ने अवधेश को सपा के पोस्टर बॉय बना दिया और इसके बाद से वह हमेशा अखिलेश यादव के साथ दिखाई देने लगे। इस जीत से भाजपा को एक बड़ा झटका लगा, खासकर तब जब अयोध्या की भूमि से भाजपा ने अपने राजनीतिक उत्थान की शुरुआत की थी।

उपचुनाव न होने के कारण

चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर में उपचुनाव न कराने का निर्णय लेते हुए कहा है कि इस सीट पर चुनाव 'इलेक्शन अंडर पिटीशन' होने के कारण नहीं कराए जा सकते। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि यह स्थिति बंगाल की बशीरहाट लोकसभा सीट पर भी है, जहां सांसद के निधन के कारण उपचुनाव नहीं हो रहा है।

इलेक्शन पिटीशन का क्या मतलब है?
इलेक्शन पिटीशन एक कानूनी प्रक्रिया है जिसमें किसी चुनाव परिणाम की वैधता को चुनौती दी जाती है। यह प्रक्रिया जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत आती है, और इसके लिए याचिकाकर्ता का नामांकित होना जरूरी है। याचिका दाखिल होने के बाद सभी दस्तावेज सील कर दिए जाते हैं, और हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करते हैं।

क्या केवल यही वजह है?

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इलेक्शन पिटीशन के बाद आयोग को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना पड़ता है। हालांकि, मिल्कीपुर को लेकर अभी तक कोर्ट का कोई फैसला नहीं आया है। इस स्थिति ने कई राजनीतिक दलों और विश्लेषकों के मन में सवाल उठाए हैं कि क्या चुनाव आयोग ने केवल याचिका के आधार पर यह निर्णय लिया है?

पीआरएस लेजेस्लेटिव के चक्षु राय ने भी एक उदाहरण देते हुए कहा कि मार्च 2023 में जब बीजेपी के सांसद गिरीश बापट का निधन हुआ था, तब भी चुनाव आयोग ने इलेक्शन पिटीशन का हवाला देते हुए पुणे में उपचुनाव नहीं कराए थे। हालांकि, बाद में उच्च न्यायालय ने आयोग को निर्देश दिया था कि उपचुनाव कराए जाएं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों की नजदीकियों का हवाला देकर आयोग को राहत दे दी थी।

सपा का आरोप और भविष्य की राजनीति

मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव न कराए जाने को लेकर सपा समर्थकों का कहना है कि यदि बीजेपी यहां हारती है तो इसकी प्रतिष्ठा को भारी नुकसान होगा। क्योंकि, बीजेपी की राजनीतिक उत्थान की कहानी अयोध्या से ही शुरू हुई थी। 2024 के चुनाव में मिल्कीपुर सीट से सपा ने अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में अगर बीजेपी यहां हारती है, तो यह पार्टी के लिए एक बड़ा झटका होगा।

सपा का यह भी कहना है कि मिल्कीपुर सीट बीजेपी की प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। ऐसे में चुनाव आयोग के निर्णय ने सपा और अन्य विपक्षी दलों को एक नया मुद्दा दे दिया है, जिसका वे चुनावी प्रचार में फायदा उठाने की कोशिश करेंगे।

निष्कर्ष

मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव न कराने के चुनाव आयोग के फैसले ने राजनीतिक पंडितों और आम जनता के बीच कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह निर्णय न केवल उस क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित करेगा, बल्कि आगामी लोकसभा चुनावों की तस्वीर को भी साफ करेगा। अब देखने वाली बात होगी कि इस सीट पर आगे क्या होता है और चुनाव आयोग इस पर आगे क्या कदम उठाता है।