देश / संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र से बातचीत के लिए बनाई 5 सदस्यीय समिति: राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसानों के आंदोलन से जुड़े मुद्दों पर केंद्र सरकार के साथ बातचीत के लिए 5 सदस्यीय समिति का गठन किया है। उन्होंने कहा, "यह समिति सरकार से बात करने के लिए अधिकृत निकाय होगी। एसकेएम की अगली बैठक 7 दिसंबर को होगी।"

Vikrant Shekhawat : Dec 05, 2021, 11:30 AM
नई दिल्ली: किसान आंदोलन के भविष्य की राह तय करने को सिंघु बॉर्डर पर शनिवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि भारत सरकार से बात करने के लिए 5 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। सरकार से बात करने के लिए यह अधिकृत बॉडी होगी। इस कमेटी में बलबीर सिंह राजेवाल, शिव कुमार कक्का, गुरनाम सिंह चढूनी, युद्धवीर सिंह और अशोक धवले शामिल होंगे।

टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक 7 दिसंबर को दोबारा से सिंघु बॉर्डर पर 11 से 12 बजे होगी। सिंघु बॉर्डर पिछले वर्ष नवंबर से शुरू हुए किसान आंदोलन का अहम केंद्र रहा है। यह कमेटी सरकार से एमएसपी, मृतक किसानों को मुआवजा समेत सभी मामलों पर बातचीत करेगी। हालांकि, केंद्र सरकार ने अब आधिकारिक तौर पर तीनों विवाादस्पद कृषि कानूनों को वापस ले लिया है।

किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि सभी किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि जब तक किसानों के खिलाफ मामले वापस नहीं लिए जाते वे वापस नहीं जाएंगे। आज सरकार को एक स्पष्ट संकेत दिया गया है कि जब तक कि किसानों के खिलाफ सभी मामले वापस नहीं लिए जाते हम आंदोलन वापस नहीं लेने वाले हैं।

प्रदर्शनकारी किसान सरकार से एमएसपी गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह मांग पूरी हुए बिना किसान पीछे हटने वाले नहीं हैं। प्रदर्शनकारियों में राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के किसान शामिल हैं।

किसान नेताओं ने शुक्रवार को कहा था कि केंद्र को एमएसपी पर बनी कमेटी के लिए पांच नाम भेजने का निर्णय बैठक में किया जाएगा क्योंकि सरकार से उन्हें कोई औपचारिक संदेश प्राप्त नहीं हुआ है।

केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए विधेयक पारित किया था। संयुक्त किसान मोर्चे की आज की बैठक में किसान आंदोलन के दौरान उत्पन्न स्थितियों- किसानों की मौत, किसानों पर मुकदमे वापस लेने और लखीमपुर खीरी की घटना पर भी विस्तार से चर्चा हुई।