Vikrant Shekhawat : Dec 11, 2020, 08:36 AM
नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कल मीडिया से मुखातिब हुए और एक बार फिर किसानों से आंदोलन खत्म करने की गुजारिश की। लेकिन कृषि मंत्री की अपील का किसानों पर कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने साफ और स्पष्ट शब्दों में आंदोलन जारी रखने का ऐलान कर दिया। किसान पहले दिन से तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। अब किसानों ने आंदोलन को बड़े स्तर पर ले जाने की ठान ली है।किसान अब 12 दिसंबर को देशभर के टोल नाकाओं को फ्री करने की तैयारी में हैं। जबकि 14 दिसंबर को देशभर में बीजेपी नेताओं के घेराव से लेकर जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन की योजना है। यही नहीं सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए किसान संगठनों ने 12 दिसंबर से दिल्ली की घेराबंदी बढाने की चेतावनी भी दे दी है।12 दिसंबर को किसानों ने जयपुर-दिल्ली और आगरा-दिल्ली रास्ता बंद करने की चेतावनी दी है। फिलहाल 26 नवंबर से चंडीगढ़ और रोहतक हाईवे पर हजारों की संख्या में हरियाणा और पंजाब के किसान डेरा डाले हुए हैं। जबकि पश्चिम यपी के किसान मेरठ-दिल्ली के रास्ते पर मोर्चा संभाले हैं। हरियाणा के सोनीपत में तो किसानों ने रिलायंस मॉल ही बंद करवाकर उस पर ताला लगवा दिया। आंदोलन कर रहे किसानों ने अंबानी और अडानी का बॉयकाट करने का भी ऐलान किया है।नए कृषि कानून नहीं होंगे रद्दसरकार ने नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की संभावना से एक तरह से इनकार करते हुए किसान समूहों से इन कानूनों को लेकर उनकी चिंताओं के समाधान के लिए सरकार के प्रस्ताओं पर विचार करने की अपील की। सरकार ने कहा कि जब भी यूनियन चाहें, वह अपने प्रस्ताव पर खुले मन से चर्चा करने के लिए तैयार है। कृषि मंत्री ने कहा, "सरकार किसानों से आगे और वार्ता करने को इच्छुक और तैयार है। उनकी आशंकाओं को दूर करने के लिए, हमने किसान यूनियनों को अपने प्रस्ताव भेजे हैं। हमारी उनसे अपील है कि वे जितना जल्द से जल्द संभव हो वार्ता की तिथि तय करें। अगर उनका कोई मुद्दा है, तो उस पर सरकार उनसे वार्ता को तैयार है।"उन्होंने कहा, "हमने किसानों को उनसे मिलने के बाद अपने प्रस्ताव दिए और इसलिए हम उनसे उन पर विचार करने का आग्रह करते हैं। यदि वे उन प्रस्तावों पर भी चर्चा करना चाहते हैं, तो हम इसके लिए भी तैयार हैं।" यह पूछे जाने पर कि क्या विरोध के पीछे कोई और शक्तियां मौजूद हैं, तोमर ने इस प्रश्न का कोई सीधा जवाब नहीं दिया और कहा, "मीडिया की आंखें तेज हैं और हम इसका पता लगाने का काम उस पर छोड़ते हैं।"मंत्री ने कहा, "हम ठंड के मौसम और मौजूदा कोविड-19 महामारी के दौरान विरोध कर रहे किसानों के बारे में चिंतित हैं। किसान यूनियनों को सरकार के प्रस्ताव पर जल्द से जल्द विचार करना चाहिए और फिर जरूरत पड़ने पर हम अगली बैठक में इस पर फैसला कर सकते हैं।"