नई दिल्ली / वित्त मंत्रालय ने BSNL व MTNL को बंद करने का सुझाव दिया

सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL और MTNL आर्थिक तंगी से जूझ रही है। कंपनी आर्थिक हालत खस्ता हो चुकी है। सरकार ने इसके रिवाइवल के लिए प्लान भी मंगाया, लेकिन अधर में लटक गया। अब फाइनेंस मिनिस्ट्री ने दोनों कंपनियों को बंद करने की सलाह दी है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन्स (DoT) ने कहा कि दोनों सरकारी कंपनियों को बंद करने की लागत 95,000 करोड़ रुपये तक आएगी।

News Platform : Oct 10, 2019, 12:31 PM
सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL और MTNL आर्थिक तंगी से जूझ रही है। कंपनी आर्थिक हालत खस्ता हो चुकी है। सरकार ने इसके रिवाइवल के लिए प्लान भी मंगाया, लेकिन अधर में लटक गया। अब फाइनेंस मिनिस्ट्री ने दोनों कंपनियों को बंद करने की सलाह दी है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन्स (DoT) ने कहा कि दोनों सरकारी कंपनियों को बंद करने की लागत 95,000 करोड़ रुपये तक आएगी।

फाइनेंशियल एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, टेलीकॉम मिनिस्ट्री ने कहा कि इन दोनों सरकारी टेलीकॉम कंपनियों को बंद करने से सरकार को तकरीबन 95,000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इस पैकेज में रिटायरमेंट होने वाली उम्र को 60 साल से घटाकर 58 साल करने के लिए कहा गया था। इसके अलावा BSNL के 1.65 लाख कर्मचारियों को आकर्षक VRS पैकेज देने के लिए भी कहा गया था।  

न्यूज पेपर के मुताबिक सरकार ने हाल ही में BSNL और MTNL को 74,000 करोड़ रुपये बेलआउट पैकेज को ठुकरा दिया था।

गौरतलब है कि दोनों कंपनियों में तीन तरह के सरकारी कर्मचारी हैं। पहले जो सीधे नियुक्त किए गए हैं। यह कर्मचारी जूनियर लेवल के हैं और इनका वेतर कम है। दूसरे जो अन्य PSU कंपनियों से या विभागों से शामिल किए गए हैं। और तीसरे जो इंडियन टेली कम्युनिकेशंस सर्विस (ITS) के अधिकारी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इन लाइनों के साथ क्लासिफिकेशन किया गया तो बंद होने की लागत 95,000 करोड़ रुपये से कम हो सकती है।

इसका कारण ये है कि ITS के अधिकारियों को अन्य सरकारी विभाग में नियुक्त किया जा सकता है। साथ ही उन्हें VRS भी नहीं देना पड़ेगा। इसके अलावा सीधी भर्तियों में ज्यादातर कर्मचारी जूनियर लेवल के हैं, जिनका वेतन बहुत अधिक नहीं है, और कुल कर्मचारियों की संख्या का केवल 10 फीसदी है।

न्यूज पेपर ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि BSNL और MTNL को हर कैटगरी के कर्मचारियों की पहचान करने के लिए कहा गया है। जिसमें पता लगया जा सके कि बंद करने के लिए कितनी लागत आएगी।