Vikrant Shekhawat : Dec 14, 2020, 06:04 PM
नई दिल्ली। किसानों के विरोध के बीच खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट के बाद भी थोक मुद्रास्फीति आम आदमी के लिए संकट का कारण बन गई है। थोक मुद्रास्फीति दर (WPI) नवंबर 2020 में बढ़ी, जो 9 महीनों में सबसे अधिक है। अक्टूबर की तुलना में नवंबर 2020 के दौरान थोक मुद्रास्फीति में डेढ़ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। अक्टूबर 2020 में थोक मुद्रास्फीति की दर 1.48 प्रतिशत थी। इस अवधि के दौरान, निर्मित उत्पादों की कीमतों में तेज वृद्धि दर्ज की गई है।खाद्य मुद्रास्फीति में भारी गिरावटनवंबर 2020 के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति अक्टूबर में 6.37 प्रतिशत से घटकर 3.94 प्रतिशत हो गई। वहीं, विनिर्मित उत्पादों की थोक मुद्रास्फीति अक्टूबर में 2.12 प्रतिशत से बढ़कर 2.97 प्रतिशत हो गई। प्रमुख वस्तुओं के लिए थोक मुद्रास्फीति नवंबर में गिरकर 2.72 प्रतिशत पर आ गई, जो अक्टूबर में 4.74 प्रतिशत थी। नवंबर में, ईंधन और बिजली उत्पादों की थोक मुद्रास्फीति में एक प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। अक्टूबर में यह आंकड़ा -10.95 फीसदी था, जो नवंबर में बढ़कर 9.87 फीसदी हो गया। गैर-खाद्य लेखों में मुद्रास्फीति नवंबर में 8.43 प्रतिशत रही।नवंबर में आलू और प्याज सहित ज्यादातर सब्जियों के दाम ऊंचे रहे। हालांकि, इस दौरान सब्जियों की थोक महंगाई दर में भारी गिरावट दर्ज की गई। सब्जियों की थोक मुद्रास्फीति की दर अक्टूबर में 25.23 प्रतिशत से घटकर नवंबर में 12.24 प्रतिशत हो गई। दूध की थोक महंगाई दर नवंबर में घटकर 5.53 प्रतिशत रही जो अक्टूबर में 5.54 प्रतिशत थी। अंडे और मांस में मुद्रास्फीति 1.65 प्रतिशत से घटकर 0.61 प्रतिशत हो गई। नवंबर में मुद्रास्फीति अक्टूबर में 1.7 प्रतिशत से बढ़कर 2.6 प्रतिशत हो गई। भारतीय रिजर्व बैंक ने भी हाल ही में मौद्रिक नीति में कहा है कि मुद्रास्फीति बढ़ रही है, लेकिन इसे सर्दियों के मौसम में नियंत्रित किया जाएगा।