Vikrant Shekhawat : Apr 12, 2021, 07:02 AM
भोपाल। कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार (funeral) के लिए भोपाल के विश्राम घाटों में अब जगह कम पडऩे लगी है। हर रोज विश्राम घाट की क्षमता से ज्यादा शव पहुंच रहे हैं। यही कारण है कि अब विश्राम घाट कमेटी नई जगह तैयार कर रही है, जिससे कि शवों के अंतिम संस्कार में किसी तरीके की कोई दिक्कत न हो। भदभदा और सुभाष विश्राम घाट में कोरोना से मरने ( corona death) वाले लोगों के अंतिम संस्कार के लिए स्थान नहीं मिल रहा। हालात बिगड़ रहे हैं।
भदभदा विश्राम घाट कमेटी के अध्यक्ष अरुण चौधरी ने बताया कि अब 10 से 12 शवों के अंतिम संस्कार के लिए नई जगह तैयार की है। पहले 18 से 20 लाशों के अंतिम संस्कार की विश्राम घाट में व्यवस्था थी।2 एकड़ में तैयार हो रहा अस्थायी घाटभदभदा विश्राम घाट में अभी 10 से 12 शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह तैयार की गई थी, लेकिन अब विश्राम घाट परिसर में खाली पड़ी 2 एकड़ पर बुलडोजर चलाकर उसे अस्थाई रूप से विश्राम घाट में तब्दील किया जा रहा है। यहां पर 30 शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जाएगी। दो-तीन दिन में इस विश्राम घाट में 50 शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था हो सकेगी। वहीं सुभाष विश्राम घाट में खाली पड़े पार्क में अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई है।ठंडी नहीं हो पा रही चिता की राखएक अंतिम संस्कार की राख भी ठंडी नही होती और दूसरा शव पहुंच जाता है। राख उठाने का मौका भी नहीं मिलता है, वहीं उसी जगह पर दूसरे शव का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को गंगा या फिर किसी दूसरी नदी में बहाने की परंपरा है। लेकिन शायद इस परंपरा को अब परिजन विश्राम घाट में मौजूदा व्यवस्था के कारण निभाने से वंचित रह रहे हैं।
एक दिन में 60 शवों से ज्यादा अंतिम संस्कारभदभदा विश्राम घाट में रोजाना कोरोना से मरने वाले 30 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इसके अलावा सुभाष विश्राम घाट में भी इसी संख्या में अंतिम संस्कार किया जा रहा है। दोनों विश्राम घाटों में 60 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। यदि छोला विश्राम घाट और शहर के कब्रिस्तान की संख्या को जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा लगभग 100 तक पहुंच जाती है।
विश्राम घाट कमेटी की अपीलभदभदा विश्राम घाट कमेटी ने सचिव प्रमोद, ममतेश शर्मा ने जनता से शवयात्रा में 20 लोगों के आने की अपील की है। उन्होंने लकड़ी की जगह गोकाष्ट से अंतिम संस्कार करने की भी अपील की है। कमेटी के पदाधिकारियों ने यह भी अपील की है कि सरकार के द्वारा जो कोरोनावायरस गाइडलाइन जारी की गई है आम जनता उसका पालन भी करें।
भदभदा विश्राम घाट कमेटी के अध्यक्ष अरुण चौधरी ने बताया कि अब 10 से 12 शवों के अंतिम संस्कार के लिए नई जगह तैयार की है। पहले 18 से 20 लाशों के अंतिम संस्कार की विश्राम घाट में व्यवस्था थी।2 एकड़ में तैयार हो रहा अस्थायी घाटभदभदा विश्राम घाट में अभी 10 से 12 शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह तैयार की गई थी, लेकिन अब विश्राम घाट परिसर में खाली पड़ी 2 एकड़ पर बुलडोजर चलाकर उसे अस्थाई रूप से विश्राम घाट में तब्दील किया जा रहा है। यहां पर 30 शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जाएगी। दो-तीन दिन में इस विश्राम घाट में 50 शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था हो सकेगी। वहीं सुभाष विश्राम घाट में खाली पड़े पार्क में अंतिम संस्कार की व्यवस्था की गई है।ठंडी नहीं हो पा रही चिता की राखएक अंतिम संस्कार की राख भी ठंडी नही होती और दूसरा शव पहुंच जाता है। राख उठाने का मौका भी नहीं मिलता है, वहीं उसी जगह पर दूसरे शव का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को गंगा या फिर किसी दूसरी नदी में बहाने की परंपरा है। लेकिन शायद इस परंपरा को अब परिजन विश्राम घाट में मौजूदा व्यवस्था के कारण निभाने से वंचित रह रहे हैं।
एक दिन में 60 शवों से ज्यादा अंतिम संस्कारभदभदा विश्राम घाट में रोजाना कोरोना से मरने वाले 30 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इसके अलावा सुभाष विश्राम घाट में भी इसी संख्या में अंतिम संस्कार किया जा रहा है। दोनों विश्राम घाटों में 60 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। यदि छोला विश्राम घाट और शहर के कब्रिस्तान की संख्या को जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ा लगभग 100 तक पहुंच जाती है।
विश्राम घाट कमेटी की अपीलभदभदा विश्राम घाट कमेटी ने सचिव प्रमोद, ममतेश शर्मा ने जनता से शवयात्रा में 20 लोगों के आने की अपील की है। उन्होंने लकड़ी की जगह गोकाष्ट से अंतिम संस्कार करने की भी अपील की है। कमेटी के पदाधिकारियों ने यह भी अपील की है कि सरकार के द्वारा जो कोरोनावायरस गाइडलाइन जारी की गई है आम जनता उसका पालन भी करें।