AMAR UJALA : Aug 16, 2020, 09:21 PM
'गगनयान' मिशन | भारतीय अंतरिक्ष यान कार्यक्रम 'गगनयान' के अंतर्गत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दिसंबर 2020 में मानवरहित मिशन का प्रक्षेपण करने वाला था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस अभियान को शुरू करने में देरी हो सकता है। इस बात की जानकारी रविवार को सूत्रों ने दी। सूत्रों ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण व्यवधानों की वजह से दिसंबर 2020 के लिए गगनयान के पहले चरण के तहत मानव रहित अंतरिक्ष अभियान शुरू करने में देरी होने की संभावना है। यह दिसंबर 2021 में 'गगनयान' के तहत भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यान के नियोजित प्रक्षेपण से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा किए जाने वाले दो मानव रहित मिशनों का हिस्सा था। पहले मानव रहित मिशन में देरी की संभावना को हाल ही में अंतरिक्ष आयोग को अवगत कराया था।गगनयान मिशन का लक्ष्य 2022 तक पांच से सात दिनों की अवधि के लिए तीन सदस्यीय दल को अंतरिक्ष में भेजना है, जब भारत स्वतंत्रता के 75 साल पूरे कर लेगा। इसरो ने अपने हिसाब से मिशन की प्लानिंग शुरू कर दी थी। पहले मानव रहित मिशन की योजना दिसंबर 2020 में बनाई गई थी, जून 2021 में दूसरा मानव रहित मिशन। अंतिम और मुख्य घटक, गगनयान का मानवयुक्त मिशन, 2022 की समयसीमा से बहुत पहले, दिसंबर 2021 में छह महीने बाद निर्धारित किया गया था।इसी साल जनवरी के महीने में 'मानव अंतरिक्षयान और खोज: वर्तमान चुनौतियां तथा भविष्य घटनाक्रम' पर विचार गोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए इसरो प्रमुख सिवन ने कहा था कि ‘गगनयान’ मिशन का उद्देश्य न केवल अंतरिक्ष में भारत का पहला मानवयान भेजना है, बल्कि ‘निरंतर अंतरिक्ष मानव उपस्थिति’ के लिए नया अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करना भी है।उन्होंने कहा था, 'हम तीन चरणों में यह सब कर रहे हैं। दिसंबर 2020 और जून 2021 में दो मानवरहित मिशन और उसके बाद दिसंबर 2021 में मानवयुक्त अंतरिक्ष यान।' बता दें कि दो साल पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में मानव अंतरिक्ष मिशन की घोषणा की थी। गगनयान मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 में लालकिले से स्वतंत्रता दिवस पर की थी। मिशन पर करीब 10 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसके लिए पिछले साल ही यूनियन कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी थी।