Science / ग्लेशियरों पर दिख रहा ग्लोबल वार्मिंग का सबसे अधिक असर

ग्लोबल वार्मिंग का असर आर्कटिक इलाके में साफ दिख रहा है। इसके कारण बर्फ की चट्टानें पिघलती जा रही हैं और यहां के तापमान में भी बढ़ोतरी हो रही है। पहले जहां इस हिमालयी क्षेत्र में काफी ठंडक होती थी वहीं अब बारिश और बर्फ से खुला इलाका अधिक हो गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग का सबसे अधिक असर यहां दिख रहा है जो काफी खतरनाक है।

AMAR UJALA : Sep 18, 2020, 08:21 AM
ग्लोबल वार्मिंग का असर आर्कटिक इलाके में साफ दिख रहा है। इसके कारण बर्फ की चट्टानें पिघलती जा रही हैं और यहां के तापमान में भी बढ़ोतरी हो रही है। पहले जहां इस हिमालयी क्षेत्र में काफी ठंडक होती थी वहीं अब बारिश और बर्फ से खुला इलाका अधिक हो गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग का सबसे अधिक असर यहां दिख रहा है जो काफी खतरनाक है। उन्होंने कहा कि आर्कटिक में समुद्री बर्फ में लगातार गिरावट आ रही है। यहां बेहद ठंडे साल में भी उतना बदलाव नहीं हुआ जितना अब देखने को मिल रहा है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस क्षेत्र की जलवायु की दो अन्य विशेषताएं, मौसमी वायु तापमान और बर्फ के बजाय बारिश के दिनों की संख्या में बदलाव है।