Live Hindustan : Aug 03, 2020, 09:59 AM
Delhi: देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार अनलॉक-3 में और तेज करने के लिए एक और बड़े राहत पैकेज की घोषणा सरकार कर सकती है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस राहत पैकेज में कोरोना महामारी से संकट में आए विभिन्न क्षेत्रों के लिए अलग से 'कोविड फंड' बनाने की घोषणा हो सकती है। हाल ही में वित्त मंत्रालय और उद्योग जगत के बीच इस फंड की रूपरेखा पर विस्तृत चर्चा हुई है। इसके साथ ही विदेशों से फंड जुटाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियम को और सरल बनाने की मांग की गई है। अगामी राहत पैकेज में खास सेक्टर्स के लिए एफडीआई से फंड जुटाने में राहत मिल सकती है।
सूत्रों के अनुसार, कोराना संकट से पर्यटन, हॉस्पिटलिटी, विमानन सेवा, निर्माण जैसे कई सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। सरकार अब इन सेक्टर को राहत देने तथा अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही उद्योग जगत ने एक स्वर में यह मांग है कि बैंकों को अपना खजाना और खोलना होगा। कई कॉरपोरेट हाउस का यह मानना है कि सरकार की सहमति के बावजूद बैंक अपने खजाने को खोलने में कंजूसी दिखा रहे हैं, जिसकी वजह से कॉरपोरेट जगत के हाथ बंधे हुए हैं। इस पर भी सरकार फैसला ले सकती है। सरकार भी जुलाई महीने में जीएसटी संग्रह बढ़ने से मान रही है कि अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौटी रही है।
मौद्रिक नीति में हो सकते हैं बड़े फैसले रिजर्व बैंक 6 अगस्त को अगामी मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा। इसमें उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास कई बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में संकेत भी दिए हैं। आरबीआई के अगामी कदम पर पूछे सवाल पर उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में तेजीर लाने की कोशिश की जा रही है। आरबीआई उद्योग जगत को तरलता मुहैया करा रहा है और महंगाई की निगरानी के अलावा उसने आर्थिक वृद्धि को भी ध्यान में रखा है। ऐसे में संकेत मिल रहे हैं कि आरबीआई भी अपनी ओर से राहत दे सकता है।
प्रधानमंत्री ने भी समर्थन का वादा किया हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंक प्रमुखों से बैठकर बैंकर एनपीए बढ़ने की चिंता किए बिना बैंकेबल प्रोजेक्ट को फंड देना जारी रखने की बात कही। उन्होंने कहा है कि बैंक के ऐसे कदम का सरकार खुलकर समर्थन करेगी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को फिर से रफ्तार देने में विभिन्न नियामकों के साथ चर्चा की। यह इस बात का इशारा करता है कि प्रधानमंत्री खुद अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने की कदमों की निगरानी कर रहे हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि अगामी पैकेज सभी हितधारकों के सुधार को देखते हुए उठाया जाएगा।
राजस्व संग्रह पर निर्भर होगा नया पैकेज आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि नया राहत पैकेज का आकार राजस्व संग्रह पर निर्भर करेगा। बीते दो महीने में जिस तरह से जीएसटी संग्रह में तेजी आई है वह सरकार के लिए राहत की बात है। आने वाले समय में त्योहारी सीजन होने से मांग बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में कर संग्रह बढ़ने की पूरी उम्मीद है। अगर ऐसा रहा तो आगामी राहत पैकेज में भी कई क्षेत्रों के लिए बड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
होटल क्षेत्र के लिए विशेष योजना पर काम देश की अर्थव्यवस्था में वहां का पर्यटन उद्योग रीढ़ की हड्डी होता है जबिक कोरोना से सबसे अधिक नुकसान पर्यटन, हॉस्पिटलिटी और विमानन सेवा क्षेत्र को हुआ है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज में पर्यटन हॉस्पिटलिटी और विमानन क्षेत्र के लिए विशेष आर्थिक मदद का ऐलान नहीं किया गया था। सरकार से मदद के आभाव में इस क्षेत्र में कार्यरत करोड़ों लोगों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। एक आकलन के मुताबिक भारत की वर्क फोर्स यानी यहां जितने भी लोग काम करने वाले हैं, उनका करीब 12.75 फीसदी हिस्सा होटल और टूरिज्म इंडस्ट्री में काम करता है। लॉकडाउन की वजह से बड़े होटल समूहों को करीब 1.10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान तो ऑनलाइन ट्रेवल एजेंसियों को करीब 4,312 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है। ऐसे में अगामी राहत पैकेज में होटल और पर्यटन क्षेत्र को विशेष राहत दी जा सकती है।
सूत्रों के अनुसार, कोराना संकट से पर्यटन, हॉस्पिटलिटी, विमानन सेवा, निर्माण जैसे कई सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। सरकार अब इन सेक्टर को राहत देने तथा अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही उद्योग जगत ने एक स्वर में यह मांग है कि बैंकों को अपना खजाना और खोलना होगा। कई कॉरपोरेट हाउस का यह मानना है कि सरकार की सहमति के बावजूद बैंक अपने खजाने को खोलने में कंजूसी दिखा रहे हैं, जिसकी वजह से कॉरपोरेट जगत के हाथ बंधे हुए हैं। इस पर भी सरकार फैसला ले सकती है। सरकार भी जुलाई महीने में जीएसटी संग्रह बढ़ने से मान रही है कि अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौटी रही है।
मौद्रिक नीति में हो सकते हैं बड़े फैसले रिजर्व बैंक 6 अगस्त को अगामी मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा। इसमें उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास कई बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में संकेत भी दिए हैं। आरबीआई के अगामी कदम पर पूछे सवाल पर उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में तेजीर लाने की कोशिश की जा रही है। आरबीआई उद्योग जगत को तरलता मुहैया करा रहा है और महंगाई की निगरानी के अलावा उसने आर्थिक वृद्धि को भी ध्यान में रखा है। ऐसे में संकेत मिल रहे हैं कि आरबीआई भी अपनी ओर से राहत दे सकता है।
प्रधानमंत्री ने भी समर्थन का वादा किया हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंक प्रमुखों से बैठकर बैंकर एनपीए बढ़ने की चिंता किए बिना बैंकेबल प्रोजेक्ट को फंड देना जारी रखने की बात कही। उन्होंने कहा है कि बैंक के ऐसे कदम का सरकार खुलकर समर्थन करेगी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को फिर से रफ्तार देने में विभिन्न नियामकों के साथ चर्चा की। यह इस बात का इशारा करता है कि प्रधानमंत्री खुद अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने की कदमों की निगरानी कर रहे हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि अगामी पैकेज सभी हितधारकों के सुधार को देखते हुए उठाया जाएगा।
राजस्व संग्रह पर निर्भर होगा नया पैकेज आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि नया राहत पैकेज का आकार राजस्व संग्रह पर निर्भर करेगा। बीते दो महीने में जिस तरह से जीएसटी संग्रह में तेजी आई है वह सरकार के लिए राहत की बात है। आने वाले समय में त्योहारी सीजन होने से मांग बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में कर संग्रह बढ़ने की पूरी उम्मीद है। अगर ऐसा रहा तो आगामी राहत पैकेज में भी कई क्षेत्रों के लिए बड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
होटल क्षेत्र के लिए विशेष योजना पर काम देश की अर्थव्यवस्था में वहां का पर्यटन उद्योग रीढ़ की हड्डी होता है जबिक कोरोना से सबसे अधिक नुकसान पर्यटन, हॉस्पिटलिटी और विमानन सेवा क्षेत्र को हुआ है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज में पर्यटन हॉस्पिटलिटी और विमानन क्षेत्र के लिए विशेष आर्थिक मदद का ऐलान नहीं किया गया था। सरकार से मदद के आभाव में इस क्षेत्र में कार्यरत करोड़ों लोगों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। एक आकलन के मुताबिक भारत की वर्क फोर्स यानी यहां जितने भी लोग काम करने वाले हैं, उनका करीब 12.75 फीसदी हिस्सा होटल और टूरिज्म इंडस्ट्री में काम करता है। लॉकडाउन की वजह से बड़े होटल समूहों को करीब 1.10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान तो ऑनलाइन ट्रेवल एजेंसियों को करीब 4,312 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है। ऐसे में अगामी राहत पैकेज में होटल और पर्यटन क्षेत्र को विशेष राहत दी जा सकती है।