देश / यूएन और ईयू की आलोचना के बाद सरकार ने स्टैन स्वामी के निधन पर जारी किया बयान

ऐक्टिविस्ट स्टैन स्वामी के निधन पर यूएन और ईयू की चिंताओं के बाद केंद्र ने कहा है कि स्वामी को एनआईए ने 'कानून के तहत' गिरफ्तार किया था। सरकार के अनुसार, स्वामी पर लगे 'आरोपों की गंभीरता' के कारण उनकी ज़मानत याचिका खारिज हुई और 'भारत अधिकारों के वैध प्रयोग के खिलाफ नहीं, बल्कि कानून के उल्लंघन के खिलाफ है'।

Vikrant Shekhawat : Jul 07, 2021, 08:58 AM
नई दिल्ली: फादर स्टैन स्वामी के मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती आलोचनाओं को भारत ने मंगलवार को खारिज कर दिया और कहा कि संबंधित अधिकारी कानून के उल्लंघन के खिलाफ कदम उठाते हैं और कानूनी अधिकारों को नहीं रोकते हैं। वह विचाराधीन कैदी थे जिनकी सोमवार को मौत हो गई। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपने सभी नागरिकों के मानवाधिकारों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए संकल्पबद्ध है और देश की लोकतांत्रिक नीति स्वतंत्र न्यायपालिका एवं राष्ट्रीय तथा कई राज्य स्तरीय मानवाधिकार आयोगों के अनुरूप है।

एल्गार परिषद् मामले में पिछले साल अवैध गतिविधियां (निवारण) कानून के तहत गिरफ्तार स्टैन स्वामी की सोमवार को मुंबई के एक अस्पताल में मौत हो गई। मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने कानूनी प्रक्रिया के तहत फादर स्टैन स्वामी को गिरफ्तार किया और हिरासत में रखा, क्योंकि उनके खिलाफ विशिष्ट आरोप थे, अदालतों से उनकी जमानत याचिकाएं खारिज हुईं।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'भारत में अधिकारी कानून के उल्लंघन के खिलाफ कदम उठाते हैं न कि किसी के कानूनी अधिकारों के खिलाफ। इस तरह की सारी कार्रवाई कानून के अनुसार हैं।' यह बयान स्टैन स्वामी की मौत पर मीडिया के सवालों के जवाब में आया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि स्वामी के स्वास्थ्य एवं इलाज पर अदालतों की नजर थी और स्वास्थ्य खराब होने के चलते पांच जुलाई को उनकी मृत्यु हो गई।

इससे पहले मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने कहा कि 84 वर्षीय कार्यकर्ता की मौत की खबर से वह काफी दुखी एवं निराश है जिनके खिलाफ अभी अदालत में मामलों की सुनवाई चल रही थी।