Iran-Russia Relations: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन की तुर्कमेनिस्तान में मुलाकात ने वैश्विक राजनीति में नए संकेत दिए हैं। यह बैठक 18वीं सदी के एक कवि की 300वीं जयंती के कार्यक्रम में हुई, लेकिन इसके राजनीतिक और रणनीतिक पहलू काफी महत्वपूर्ण हैं। दोनों देशों के बीच यह पहली मुलाकात नहीं है, बल्कि हाल के वर्षों में रूस और ईरान के नेता लगातार एक-दूसरे से मिलते रहे हैं।
रूस और ईरान के पुराने संबंधों की झलक
एक समय था जब ईरान और रूस के संबंध वैसे ही कटु थे जैसे आज अमेरिका और ईरान के बीच हैं। पहलवी शासन के दौरान, ईरान अमेरिका और ब्रिटेन से सैन्य सहायता प्राप्त करता था और बदले में तेल का निर्यात करता था। 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने अमेरिका और सोवियत संघ दोनों से दूरी बना ली। सोवियत संघ ने कभी ईरान के पर्शिया क्षेत्र को अपना उपनिवेश बना लिया था, जिससे ईरान को सोवियत संघ से दुश्मनी थी।
रूस और ईरान के बदलते समीकरण
हालांकि, अमेरिका और अन्य देशों से बढ़ते तनाव के कारण, ईरान को अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अन्य सहयोगियों की जरूरत महसूस हुई। धीरे-धीरे, ईरान और सोवियत संघ (रूस) के संबंधों में सुधार आया। अब, दोनों देश सैन्य सहयोग में बड़े कदम उठा रहे हैं, और वे पश्चिमी देशों की मुखालफत करते हुए एक-दूसरे को हथियार और तकनीक प्रदान कर रहे हैं।
रूस से ईरान को मिलने वाले हथियार
1990 के दशक में, रूस ने ईरान को टी-72 टैंक, लड़ाकू विमान, पनडुब्बियां, एंटी टैंक मिसाइलें और हेलीकॉप्टर सहित कई सैन्य साजो-सामान प्रदान किए। व्लादिमीर पुतिन के सत्ता में आने के बाद यह सहयोग और बढ़ गया। 2005 और 2016 में दोनों देशों के बीच हुए बड़े हथियार सौदों ने इस साझेदारी को और मजबूत किया।
यूक्रेन युद्ध के दौरान ईरान की मदद
2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद, ईरान ने रूस को शहीद-136 ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइलें और अन्य सैन्य उपकरण प्रदान किए। इसके अलावा, ईरान ने रूस को फतेह-110 और जोल्फघर जैसी आधुनिक मिसाइलें भी दीं। बदले में, रूस से ईरान को एसयू-35 फाइटर जेट और एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की उम्मीद है।
परमाणु सहयोग और संभावनाएं
मीडिया में यह भी चर्चा होती रही है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम में रूस की भूमिका हो सकती है। हालांकि, इसकी कोई ठोस पुष्टि नहीं है, लेकिन रूस घरेलू ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम में मदद के संकेत देता रहा है।इस प्रकार, पुतिन और पेजेशकियन की मुलाकात इस संदर्भ में महत्वपूर्ण मानी जा रही है कि आने वाले समय में दोनों देश अपनी रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करेंगे, जिससे वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी असर पड़ सकता है।