AajTak : Jun 22, 2020, 10:50 AM
दिल्ली: क्या आपको पता है कि मंगल ग्रह पर इंसानी बस्ती यानी ह्यूमन कॉलोनी बसाने के लिए शुरुआत में कितने लोगों की जरूरत है? इस बड़े सवाल का जवाब मिल गया है। एक नई स्टडी के अनुसार मंगल ग्रह पर बहुत ज्यादा लोगों की कॉलोनी बसाने की जरूरत नहीं है। सिर्फ उतने ही लोग चाहिए जो वहां रह सकें, काम कर सकें और जिनकी वहां रहने की उपयोगिता साबित हो।
यह स्टडी की है फ्रांस के बोर्डीक्स इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल पॉलीटेक्नीक के प्रोफेसर जीन मार्क सल्लोटी ने। प्रोफेसर जीन ने इस सवाल का जवाब गणितीय फॉर्मूला से खोज निकाला है। जीन ने कहा कि यह फॉर्मूला अब तक बेहतरीन जवाब है यह बताने के लिए कि मंगल पर कितने लोग रह सकते हैं।जीन ने बताया कि मंगल ग्रह पर बहुत ज्यादा लोगों को ले जाकर बसाने की जरूरत नहीं है। जीन के मुताबिक सिर्फ 110 लोगों को मंगल पर ले जाकर बसाना काफी होगा। क्योंकि वहां जो भी रहेगा, उसे कुछ न कुछ बेहद जरूरी काम करने होंगे। ताकि समय और स्रोतों का सही विभाजन हो सके।प्रोफेसर जीन मार्क सल्लोटी का कहना है कि कई अंतरिक्ष कंपनियां जैसे स्पेस एक्स ऐसे रॉकेट बना रही हैं जो एकसाथ कई इंसानों को मंगल ग्रह तक पहुंचा सकती हैं।अगर किसी को मंगल ग्रह पर जाकर इंसानी बस्ती बनानी है तो उसे वहां की गणित, मौसम और काम के अनुसार चलना होगा। नहीं तो वहां सर्वाइव करना बेहद कठिन हो जाएगा। प्रोफेसर जीन ने बताया कि मंगल ग्रह पर इतने लोगों के रहने के लिए बहुत बड़ा डोम यानी गुंबद नुमा आकृति बनानी होगी। जिसमें लगातार ऑक्सीजन की सप्लाई की जाएगी।इसी डोम के अंदर कृषि और उद्योग दोनों लगाने होंगे। ताकि खाना और काम दोनों एक ही जगह पर मिल सके। प्रोफेसर जीन ने कहा कि मैंने तो सिर्फ एक छोटा सा फॉर्मूला दिया है ताकि हम लोगों को बता सकें, मंगल ग्रह पर रहने के लिए कम से कम 110 लोगों की जरूरत है।जैसे-जैसे मंगल ग्रह पर जरूरतें बढ़ती जाएंगी। रहने लायक ढांचागत विकास होता जाएगा, वैसे-वैसे वहां की इंसानी बस्ती में रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। प्रोफेसर जीन ने कहा कि बिना काम के बंटवारे के वहां रहना मुश्किल होगा। प्रो। जीन मार्क की यह स्टडी प्रसिद्ध विज्ञान मैगजीन नेचर में प्रकाशित हुई है।
यह स्टडी की है फ्रांस के बोर्डीक्स इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल पॉलीटेक्नीक के प्रोफेसर जीन मार्क सल्लोटी ने। प्रोफेसर जीन ने इस सवाल का जवाब गणितीय फॉर्मूला से खोज निकाला है। जीन ने कहा कि यह फॉर्मूला अब तक बेहतरीन जवाब है यह बताने के लिए कि मंगल पर कितने लोग रह सकते हैं।जीन ने बताया कि मंगल ग्रह पर बहुत ज्यादा लोगों को ले जाकर बसाने की जरूरत नहीं है। जीन के मुताबिक सिर्फ 110 लोगों को मंगल पर ले जाकर बसाना काफी होगा। क्योंकि वहां जो भी रहेगा, उसे कुछ न कुछ बेहद जरूरी काम करने होंगे। ताकि समय और स्रोतों का सही विभाजन हो सके।प्रोफेसर जीन मार्क सल्लोटी का कहना है कि कई अंतरिक्ष कंपनियां जैसे स्पेस एक्स ऐसे रॉकेट बना रही हैं जो एकसाथ कई इंसानों को मंगल ग्रह तक पहुंचा सकती हैं।अगर किसी को मंगल ग्रह पर जाकर इंसानी बस्ती बनानी है तो उसे वहां की गणित, मौसम और काम के अनुसार चलना होगा। नहीं तो वहां सर्वाइव करना बेहद कठिन हो जाएगा। प्रोफेसर जीन ने बताया कि मंगल ग्रह पर इतने लोगों के रहने के लिए बहुत बड़ा डोम यानी गुंबद नुमा आकृति बनानी होगी। जिसमें लगातार ऑक्सीजन की सप्लाई की जाएगी।इसी डोम के अंदर कृषि और उद्योग दोनों लगाने होंगे। ताकि खाना और काम दोनों एक ही जगह पर मिल सके। प्रोफेसर जीन ने कहा कि मैंने तो सिर्फ एक छोटा सा फॉर्मूला दिया है ताकि हम लोगों को बता सकें, मंगल ग्रह पर रहने के लिए कम से कम 110 लोगों की जरूरत है।जैसे-जैसे मंगल ग्रह पर जरूरतें बढ़ती जाएंगी। रहने लायक ढांचागत विकास होता जाएगा, वैसे-वैसे वहां की इंसानी बस्ती में रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। प्रोफेसर जीन ने कहा कि बिना काम के बंटवारे के वहां रहना मुश्किल होगा। प्रो। जीन मार्क की यह स्टडी प्रसिद्ध विज्ञान मैगजीन नेचर में प्रकाशित हुई है।