Vikrant Shekhawat : Sep 28, 2024, 11:40 AM
Campa Cola: रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और एशिया के सबसे अमीर शख्स, मुकेश अंबानी का बिजनेस करने का तरीका हमेशा से अलग और आक्रामक रहा है। जहां भी वह कदम रखते हैं, वहां प्राइस वॉर शुरू हो जाता है। इस बार अंबानी ने कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट में बड़ा दांव खेला है, जिससे प्रमुख खिलाड़ी कोका-कोला और पेप्सी की नींद उड़ गई है।कैंपा कोला की धमाकेदार एंट्रीरिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (RCPL) ने अपने कैंपा कोला ब्रांड को भारत के कई नए बाजारों में लॉन्च किया है। त्योहारों के सीजन से ठीक पहले यह कदम उठाया गया है, जिससे बाजार में हलचल मच गई है। सबसे खास बात यह है कि मुकेश अंबानी ने इस बार भी जियो की तरह प्राइसिंग स्ट्रेटेजी अपनाई है। उन्होंने कैंपा कोला के दाम कोका-कोला और पेप्सी से आधे कर दिए हैं, जिससे इन दिग्गज कंपनियों के लिए चुनौती खड़ी हो गई है।कैसे खेला अंबानी ने अपना दांव?मुकेश अंबानी हमेशा भारत के बड़े बाजार की क्षमता को समझते हैं और उनका मकसद तेजी से विस्तार करना होता है। एफएमसीजी सेक्टर में अंबानी ने पहले से ही हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी बड़ी कंपनियों के सामने कम कीमत की रणनीति अपनाई है। कैंपा कोला के जरिए भी अंबानी ने सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट में जियो वाली स्ट्रेटेजी अपनाई है, जिसमें उन्होंने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अपने उत्पादों की कीमतें बेहद कम रखी हैं। जियो की तरह, कैंपा कोला भी कम कीमत पर ग्राहकों को लुभाने की कोशिश कर रहा है, जिससे कोका-कोला और पेप्सी को अपनी मार्केट पोजीशन बचाने में दिक्कत हो सकती है।प्राइसिंग वॉर की शुरुआतइकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, कैंपा कोला की आक्रामक प्राइसिंग ने कोका-कोला और पेप्सी को सीधा प्रभावित किया है। भारतीय कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट में फिलहाल यही दोनों कंपनियां राज करती हैं, लेकिन अब कैंपा कोला के बाजार में आने से इनका दबदबा कमजोर हो सकता है।रिलायंस ने अपनी धीमी शुरुआत के बाद तेजी से अपने डीलर नेटवर्क का विस्तार किया है और अब एक दर्जन से अधिक बाजारों में कैंपा ब्रांड की उपस्थिति दर्ज कराई है। इससे कोका-कोला और पेप्सी जैसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के सामने चुनौतियां खड़ी हो रही हैं। ऐसे में इन कंपनियों को या तो अपनी कीमतें घटानी पड़ेंगी, जिससे उनकी मुनाफाखोरी पर असर पड़ेगा, या फिर उन्हें कैंपा के हाथों अपने बाजार की हिस्सेदारी गंवाने का जोखिम उठाना पड़ेगा।क्या कोका-कोला और पेप्सी बचा पाएंगे अपनी बादशाहत?सॉफ्ट ड्रिंक इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि कोका-कोला और पेप्सी को कैंपा कोला से गंभीर चुनौती मिल रही है। कैंपा कोला कई अलग-अलग साइज और फ्लेवर में उपलब्ध है और यह कोका-कोला और पेप्सी से आधे दाम में बिक रहा है, जो ग्राहकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है। फ्लेवर के मामले में भी कैंपा कोला नई संभावनाएं पेश कर रही है, जो दोनों अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों को टक्कर देने के लिए तैयार है।एक कार्यकारी के अनुसार, कैंपा कोला को शुरुआती दौर में एक क्षेत्रीय बी ब्रांड के रूप में देखा गया, लेकिन इसका तेजी से फैलाव और टियर 1 और टियर 2 शहरों में इसकी बढ़ती पकड़ ने कोका-कोला और पेप्सी के लिए चिंता का विषय पैदा कर दिया है।क्या कैंपा कोला बदल सकता है कार्बोनेटेड ड्रिंक का गेम?हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि भारतीय उपभोक्ता दशकों से चले आ रहे बड़े ब्रांडों से दूर होकर कैंपा कोला का रुख करेंगे या नहीं। हालांकि, कैंपा कोला के पास "मेड इन इंडिया" वाला भावनात्मक पहलू है, जो इसे विदेशी ब्रांडों के खिलाफ खड़ा कर सकता है। इंडस्ट्री विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर कैंपा कोला बड़े पैमाने पर क्विक कॉमर्स प्लेटफार्मों पर अपनी जगह बना लेता है, तो कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक बाजार में प्राइस वॉर शुरू हो सकता है और यह पूरी इंडस्ट्री के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है।रिलायंस का तेजी से बढ़ता कंज्यूमर मार्केटकोका-कोला और पेप्सिको ने अभी तक अपनी कीमतों में कमी नहीं की है, लेकिन उन्होंने उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए प्रचार अभियान तेज कर दिए हैं। भारत का कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक बाजार करीब 50,000 करोड़ रुपये का है और यह तेजी से बढ़ रहा है। अंबानी की कैंपा कोला इस बाजार में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी हासिल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स वर्तमान में दक्षिणी राज्यों, पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में अपने कैंपा ब्रांड का विस्तार कर रही है। इसके साथ ही कंपनी मुंबई, दिल्ली-एनसीआर और अन्य प्रमुख बाजारों में विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने की योजना पर भी काम कर रही है।निष्कर्षमुकेश अंबानी का कैंपा कोला बाजार में प्रवेश भारत के सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव साबित हो सकता है। उनके आक्रामक प्राइसिंग और वितरण नेटवर्क के विस्तार के कारण कोका-कोला और पेप्सी जैसी कंपनियों को अपने व्यापार मॉडल पर फिर से विचार करना होगा। अगर कैंपा कोला अपनी मौजूदा रणनीति पर कामयाब रहती है, तो भारत का कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक बाजार एक नए युग में प्रवेश कर सकता है, जहां भारतीय ब्रांड भी अंतरराष्ट्रीय दिग्गजों को कड़ी टक्कर देंगे।