रतलाम के औद्योगिक क्षेत्र में गुरुवार तड़के घर की छत गिरने से पूरा परिवार खत्म हो गया। घटना के वक्त सभी चार सदस्य गहरी नींद में सो रहे थे। सुबह 5 बजे अचानक भरभराकर छत गिर गई। मलबे में दबने से दो बच्चे और पत्नी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। जबकि पति ने इंदौर जाते समय रास्ते में आखिरी सांस ली। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया।
एसआई रामसिंह खपेड़ के अनुसार, हादसा चार बत्ती चौराहे के पास हुआ। एक कमरे के इस मकान में मोहन कहार पिछले चार महीने से किराए से रह रहे थे। मोहन झाबुआ के रहने वाले थे। परिवार में पत्नी शर्मिला, 10 साल के बेटा राजवीर और पांच साल की मासूम बेटी इशिका थी।
पुलिस के अनुसार, गुरुवार तड़के 5 बजे अचानक मकान की छत गिर गई। कमरे में पूरा परिवार सो रहा था, इसलिए संभलने का मौका भी नहीं मिला। आवाज सुनकर पड़ोसी बाहर निकले और पुलिस को सूचना दी। मशक्कत के बाद सभी को मलबे से निकाला गया और जिला अस्पताल पहुंचाया। हादसे में दोनों बच्चों और पत्नी ने मौके पर ही दम ताेड़ दिया था, जबकि पति को रतलाम जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया। यहां प्राथमिक उपचार के बाद हालत में सुधार नहीं होने पर करीब 9 बजे इंदौर रैफर कर दिया गया। उसने भी रास्ते में दम तोड़ दिया। इसके बाद उसे पीएम के लिए वापस रतलाम अस्पताल ले जाया गया।
स्टोन डस्ट से भार बढ़ा और गिर गई छत
एक कमरे का यह घर करीब 40-45 साल पुराना बताया जा रहा है। इसकी छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी थी। हाल ही में बारिश हुई तो छत टपकने लगी। मोहन ने इसकी सूचना मकान मालिक को दी। मकान मालिक ने छत की मरम्मत के लिए स्टोन डस्ट मंगवाई थी। आधी स्टोन डस्ट छत पर चढ़ा दी गई थी। स्टोन डस्ट के कारण वजन बढ़ गया और छत भरभरा कर गिर गई।