देश / भारत ने कोविड-19 रोधी 2 नई वैक्सीन व एक ऐेंटी-वायरल दवा को आपात इस्तेमाल की दी अनुमति

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया है कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने कोविड-19 रोधी 2 नई वैक्सीन- बायोलॉजिकल-ई की कोर्बेवैक्स और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोवोवैक्स को आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। कोर्बेवैक्स स्वदेश निर्मित पहली 'आरबीडी प्रोटीन सब-यूनिट' वैक्सीन है। इसके अलावा मोल्नुपिराविर नामक ऐंटी-वायरल दवा को भी मंज़ूरी मिली है।

Vikrant Shekhawat : Dec 28, 2021, 02:07 PM
नई दिल्ली: दुनिया भर में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग जारी है। कोविड-19 को हराने की इस लड़ाई के बीच भारत को तीन अहम हथियार मिले हैं। देश में 2 वैक्सीन और एक पिल को मंजूरी देने की सिफारिश की गई है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि इस नई वैक्सीन का इस्तेमाल बूस्टर डोज के तौर पर किया जाए। 

2 वैक्सीन 1 पिल को मंजूरी

भारत के ड्रग रेगुलेटर के अंतर्गत आने वाली सबजेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया की एक वैक्सीन (कोवोवैक्स), बायोलॉजिकल ई की वैक्सीन (कोरबेवैक्स) और कोविड-19 के खिलाफ लड़ने वाली एंटी-वायरल पिल Molnupiravir के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। इन तीनों हथियारों को इमरजेंसी के वक्त इस्तेमाल करने संबंधी एक सिफारिश ड्रग कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई को भेज दी गई है। इसपर डीसीजीआई जल्द ही कोई अहम फैसला ले सकता है। 

इस वजह से अप्रूवल मिलने की पूरी उम्मीद

इस मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बताया कि कोवोवैक्स के इस्तेमाल को लेकर जो अध्ययन रिपोर्ट सामने आई है उससे विशेषज्ञ संतुष्ट हैं। बता दें कि कोवोवैक्स यूएस ड्रग मैन्यूफैक्चरर नोवावैक्स का भारतीय स्वरूप है। यह एक नॉनपार्टिकल प्रोटीन पर आधारित कोविड-19 वैक्सीन है। फिलिपिंस में नोवावैक्स और सीरम इंस्टीच्यूट को पहले ही इसके आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी मिल गई है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोवोवैक्स के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। जिसके बाद अब इस बात की उम्मीद काफी बढ़ गई है कि भारत में भी इसे जल्द ही अप्रूवल मिल जाएगी। 

क्लिनिकल डेटा ड्रग रेगुलेटर को सौंपा

इस लड़ाई में जिस एक अन्य वैक्सीन को मंजूरी मिलने की उम्मीद है उसे कोरबेवैक्स के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रोटीन-आधारित वैक्सीन है। इस वैक्सीन को बायोलॉजिकल ई लिमिटेड ने बनाया है। कंपनी ने अपना क्लिनिकल डेटा ड्रग रेगुलेटर को सौंप दिया है। केंद्र सरकार ने पहले ही कंपनी को 1500 करोड़ रुपए दिये थे ताकि कोरबेवैक्स की 300 मिलियन डोज को रिजर्व किया जा सके। जल्द ही डीसीजीआई इसपर भी अहम फैसला ले सकता है। 

Molnupiravir कैप्सूल को बताया जा रहा अहम

इसके अलावा कोविड-19 के खिलाफ कारगर बताई जा रही है Molnupiravir ड्रग को भी मान्यता देने की चर्चा हो रही है। इस ड्रग को MSD and Ridgeback Biotherapeutics ने विकसित किया है। बताया जा रहा है कि यह दवा वायरस के दोबारा हमारे शरीर में प्रवेश करने से रोकती है। बताया जा रहा है कि चिकित्सक इस 200 मिलिग्राम कैप्सूल को 5 दिनों तक लेने की सलाह दे सकते हैं।

इसे हर 12 घंटे के बाद लेना होता है। कुल 40 कैप्सूल लेने की आवश्यकता होती है। खास बात यह भी है कि चिकित्सक इसे 5 दिन से ज्यादा लेने की इजाजत नहीं देते हैं। पिछले सप्ताह USFDA ने उन वयस्कों को आपातकालीन स्थिति में Molnupiravir लेने की मंजूरी दी थी जो कोरोना वायरस से माइल्ड रूप से संक्रमित थे और जिन्हें ज्यादा खतरा था।