देश में सबसे कम उम्र में वकालत शुरू करके सबसे अधिक उम्र तक न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा बने रहने वाले राम जेठमलानी दुनिया को अलविदा कह गए हैं। परन्तु वे अक्सर अपने बयानों से चौंकाते रहे थे। खुद का नाम राम था, लेकिन भगवान राम पर भी उन्होंने आक्षेप जड़ दिया। यही नहीं भारत—पाकिस्तान विभाजन को लेकर उनका एक बयान भी चर्चा में रहा। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के विभाजन की मूल वजह हरिचन्द्र नाम का एक कंजूस हिन्दू था, जिसके पच्चीस रुपए मासिक बचाने की जिद ने देश का बंटवारा कर दिया। तथ्यों को इसी तरह घुमाने की कला के चलते राम जेठमलानी इस देश के सबसे कद्दावर वकील माने जाते रहे हैं।
राम जेठमलानी का निधन, राजस्थान से राज्यसभा सांसद रहे
यह बात वर्ष 2009 की है। जब बीजेपी के नेता और पूर्व विदेश—वित्त और रक्षा मंत्री जसवंतसिंह की किताब जिन्ना भारत विभाजन के आईने में पुस्तक का विमोचन होना था। देश—विदेश की कई बड़ी हस्तियां इस समारोह में थी। इनमें राम जेठमलानी भी थे। उन्होंने इस समारोह में कहा कि देश के विभाजन का मुख्य कारण जिन्ना नहीं थे। वरन हरिचन्द्र नाम का एक कंजूस हिन्दू था। यह बयान सबको चौंकाने के लिए पर्याप्त था। जिस किताब का विमोचन होना था वह ऐतिहासिक दस्तावेज थी, लेकिन किताब लिखने वाले जसवंत और वहां मौजूद ढेर सारे इतिहासकार भी नहीं जानते थे कि यह हरिचन्द्र कौन था।
जेठमलानी बोले, हां मेरी दो बीवियां है और दोनों तुम्हारी एक बीवी से ज्यादा खुश हैं
जेठमलानी ने सबका संशय दूर करते हुए बताया कि जब मोहम्मद अली जिन्ना ने वकालत की पढ़ाई पूरी की तो वे कराची पहुंचे। यहां उन्होंने ‘हरिचन्द्र एंड कंपनी’ नाम की एक कंपनी में नौकरी का आवेदन किया था। कंपनी के मालिक हरिचन्द्र ने जिन्ना का साक्षात्कार लिया जिसमें वे सफल भी रहे। इसके बाद हरिचन्द्र ने जिन्ना से तनख्वाह के बारे में पूछा। जिन्ना ने कहा कि उन्हें 100 रुपया महीना चाहिए. लेकिन हरिचन्द्र 75 रूपये प्रतिमाह से ज्यादा देने को राजी नहीं थे. यह किस्सा सुनाते हुए ही राम जेठमलानी कहते हैं कि ‘यदि उस बूढ़े कंजूस ने 25 रूपये ज्यादा दे दिए होते तो भारत-पाकिस्तान विभाजन नहीं हुआ होता।’
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जेठमलानी की यही स्टाइल न्यायालय में भी तथ्यों को घुमाकर पेश करती और वे मुकदमों में सफल रहते।