India-China / चीन-पाकिस्तान से एक साथ जंग कभी नहीं जीत पाएगा भारत: चाईना

भारत के कई रक्षा विश्लेषक और सैन्य अधिकारी ये आशंका जाहिर कर चुके हैं कि अगर चीन के साथ भारत की जंग छिड़ती है तो पाकिस्तान भी उसके साथ आ सकता है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कुछ ही दिनों पहले कहा था कि ऐसा बिल्कुल मुमकिन है कि भारत को चीन-पाकिस्तान से साथ-साथ लड़ना पड़े। अमरिंदर सिंह ने कहा था कि इसलिए भारत की सेना को और मजबूत करने की जरूरत है।

AajTak : Sep 16, 2020, 04:20 PM
Delhi: भारत के कई रक्षा विश्लेषक और सैन्य अधिकारी ये आशंका जाहिर कर चुके हैं कि अगर चीन के साथ भारत की जंग छिड़ती है तो पाकिस्तान भी उसके साथ आ सकता है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कुछ ही दिनों पहले कहा था कि ऐसा बिल्कुल मुमकिन है कि भारत को चीन-पाकिस्तान से साथ-साथ लड़ना पड़े। अमरिंदर सिंह ने कहा था कि इसलिए भारत की सेना को और मजबूत करने की जरूरत है।

वर्तमान सीडीएस और भारत के पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत भी ये बात कह चुके हैं कि भारत दो मोर्चे से जंग के लिए पूरी तरह से तैयार है। चीन और पाकिस्तान दोनों से भारत की जंग हो चुकी है। 1962 में चीन से जंग हुई तो पाकिस्तान ने खुद को अलग रखा था और 1965-71 में पाकिस्तान से युद्ध हुआ तो चीन ने पूरे मामले से खुद को अलग रखा था और किसी का पक्ष नहीं लिया था। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। तब अमेरिका का दबाव था इसलिए चीन और पाकिस्तान ने खुद को तटस्थ रखा था। कई विश्लेषक इस बात को मानते हैं कि अमेरिका की बात मौजूदा हालात में न पाकिस्तान सुनेगा और न चीन। भारत से जारी तनाव के बीच अब चीनी मीडिया में भी भारत की दो मोर्च से जंग की तैयारी को लेकर चर्चा होने लगी है

चीन की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इसे लेकर एक आर्टिकल छापा है। इसमें भारत के पाकिस्तान और चीन से चल रहे तनाव का जिक्र करते हुए कहा गया है कि भारत के लिए दो मोर्चों से जंग जीतना नामुमकिन है

अखबार ने लिखा है, पाकिस्तानी सेना आए दिन एलओसी पर भारत पर सीजफायर उल्लंघन करने का आरोप लगाती रहती है। भारत ने अगस्त 2019 में कश्मीर में अलगाववादियों के मजबूत होने के डर से कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया, तबसे ही दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। नई दिल्ली को लगता है कि क्षेत्र में जितने भी पाकिस्तानी हैं, सारे आतंकवादी हैं। इसी वजह से भारत ने कश्मीर में बेहद आक्रामक नीति अपनाई है।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, अगस्त 2019 में भारत के इस कदम के बावजूद पाकिस्तान ने संयम बरता है। पाकिस्तान भारत के मुकाबले सैन्य रूप से उतना मजबूत नहीं है लेकिन कश्मीर पाकिस्तान के लिए संवेदनशील मुद्दा रहा है। अगर पाकिस्तान की सरकार कश्मीर को लेकर अपना रुख कड़ा नहीं करती है तो अपने देश में ही उसकी लोकप्रियता कम हो जाएगी। यही वजह है कि पाकिस्तान भारत के हर आक्रामक कदम की कड़ी आलोचना करता है और जरूरत पड़ने पर इसके खिलाफ ऐक्शन भी लेता है।

अखबार ने सवाल किया है, चीन के साथ जब भारत का विवाद आसानी से नहीं सुलझ रहा है तो भारत ऐसे वक्त में पाकिस्तान के खिलाफ इतना आक्रामक क्यों है? ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, शायद इसलिए कि भारतीय सेना और सरकार के भीतर पाकिस्तान को लेकर एक तरह का श्रेष्ठता का भाव है। ऐसी सोच की वजह से ही भारत अपने पड़ोसी देश पर स्ट्राइक को अंजाम दे देता है। भारत के इन कदमों के पीछे हिंदू राष्ट्रवाद की भावनाओं का उभार होना भी एक वजह है।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, चीन और पाकिस्तान के साथ विवाद के अलावा, भारत का नेपाल के साथ भी सीमा विवाद है। भारतीय आर्मी दावा करती है कि वो ढाई मोर्चे से जंग के लिए पूरी तरह से तैयार है। ढाई मोर्चे यानी चीन, पाकिस्तान और अपने आंतरिक सुरक्षा खतरों से। लेकिन ये एक तथ्य है कि ऐसी चुनौती से निपटने में भारतीय सेना सक्षम नहीं है। कई मोर्चों पर जंग लड़ना किसी भी देश के लिए एक गंभीर चुनौती होती है।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए भारत रूस और पश्चिमी देशों से आधुनिक हथियार खरीद रहा है और पश्चिमी देशों समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा है। पिछले कुछ सालों में भारत अमेरिका की तरफ झुकता नजर आया है। भारत ने अमेरिका और उसके करीबी देशों के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ कई सैन्य समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि, इन सभी कदमों के बावजूद भारत एक ही वक्त में चीन और पाकिस्तान से जंग नहीं लड़ सकता है।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, अगर भारत चीन और पाकिस्तान से एक साथ युद्ध करता है या कोई बड़ा सैन्य संघर्ष छेड़ता है तो कोई भी देश सशर्त हथियार उपलब्ध कराने के अलावा भारत की मदद के लिए आगे नहीं आएगा।

चीनी अखबार ने लिखा है, भारत की मौजूदा पड़ोसी देशों को लेकर नीति, खासकर चीन और पाकिस्तान को लेकर भारत की विदेश नीति ने उसे एक अप्रिय स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ सकारात्मक और दोस्ताना रिश्ते कायम नहीं कर रहा है क्योंकि भारत को ताकतवर देश होने की मानसिकता घर किए हुए है। दक्षिण एशिया में वह अपना आधिपत्य चाहता है और उसे लगता है कि सभी पड़ोसी देश उसके नेतृत्व को मानें।

अखबार ने लिखा है, चीन के साथ खराब संबंधों में कई और फैक्टर्स की अहम भूमिका है। 1962 में भारत चीन से युद्ध में हार गया था और इस हार को भारतीय अब तक भुला नहीं पाए हैं। दूसरी बात, चीन की भारत के दुश्मन देश पाकिस्तान के साथ दोस्ती है। भारत ने जब जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किया तो चीन ने पाकिस्तान की तरफ से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे को उठाया जिससे भारत दबाव में आ गया। इसके अलावा, चीन ने दक्षिण एशियाई देशों के साथ सहयोग बढ़ाया है। भारत इसे अपने प्रभाव क्षेत्र में बढ़ते दखल के तौर पर देखता है।

एलएसी पर उकसावे वाली कार्रवाई करने वाले चीन की मीडिया ने भारत पर आरोप लगाया कि भारत क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए खतरा बन गया है। इस लेख में ये भी सलाह दी गई है कि अगर भारत वाकई ताकतवर बनना चाहता है तो उसे अपने पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते सुधारने की जरूरत है।