Vikrant Shekhawat : Jun 06, 2021, 04:49 PM
नई दिल्ली: एलएसी (LAC) पर पूर्वी लद्दाख सेक्टर के उस पार तैनात चीनी सैनिकों (china Army) के पैर उखड़ गए हैं। हमेशा विस्तारवादी सोच के कारण दूसरे देशों से 'पंगा' लेने वाले चीन के सैनिक यहां पड़ रही कड़ाके की ठंड को सहन नहीं कर पा रहे है। क्षेत्र में अत्यधिक ठंड से चीनी सैनिक बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, यही वजह है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने 90 प्रतिशत सैनिकों की पोजीशन चेंज की है यानी इस क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की अदला बदली की है।
पुराने सैनिक हटाए, नए तैनात किएचीन ने इस क्षेत्र में भीतरी इलाकों से नए सैनिकों को तैनात किया है। बता दें, पिछले साल अप्रैल-मई से लेकर अब तक चीन ने पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के करीब 50 हजार से अधिक सैनिकों को तैनात किया है और आगे के स्थानों से सीमित सैनिकों की वापसी के समझौते के बावजूद उन्हें वहां बनाए रखा है। पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन ने पिछले एक साल से वहां मौजूद सैनिकों को हटाकर अब नए सैनिकों को तैनात किया है।
हर रोज होती थी अदला बदलीसूत्रों के मुताबिक इसका कारण रोटेशन हो सकता है। पिछले साल भी कड़ाके की ठंड के चलते गितिरोध वाले जगहों पर हर रोज चीन की तरफ से सैनिकों की अदला-बदली की जा रही थी। यहां तक कि पैंगोंग झील क्षेत्र में ऊंचाई वाले क्षेत्र पर तैनात चीनी सैनिकों को लगभग हर रोज अदला बदला जाता था।
भारतीय सैनिक रहते हैं 2-2 साल तक तैनातजबकि भारतीय सेना अपने सैनिकों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दो साल तक के लिए तैनात करती है और हर साल लगभग 40-50 प्रतिशत सैनिकों को रोटेट किया जाता है। इन परिस्थितियों में आईटीबीपी के जवानों का कार्यकाल कभी-कभी दो साल से भी ज्यादा लंबा होता है। पिछले साल अप्रैल-मई से ही पूर्वी लद्दाख और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ अन्य क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सैनिक एक-दूसरे के खिलाफ बड़े पैमाने पर तैनात हैं। चीन की हरकतों की वजह से कई बार टकराव की स्थिति बनी।पैंगोंग झील क्षेत्र में अब क्या है स्थित?चीन द्वारा हमला किए जाने के बाद, भारतीय सेना ने भी जोरदार जवाबी कार्रवाई की और यह सुनिश्चित किया कि उन्हें सभी स्थानों पर रोक कर रखा जाए। उसके बाद, भारत ने झील के दक्षिणी किनारे पर रणनीतिक ऊंचाइयों पर कब्जा करके चीनी सेना को आश्चर्यचकित कर दिया। दोनों पक्ष पैंगोंग झील क्षेत्र में अपने-अपने पोस्ट को खाली करने और इस साल की शुरुआत में वहां गश्त बंद करने पर सहमत हुए हालांकि, इन स्थानों से वापस बुलाए गए सैनिक दोनों तरफ से करीब-करीब बने हुए हैं और दोनों तरफ से आगे की तैनाती अभी भी जारी है।
पुराने सैनिक हटाए, नए तैनात किएचीन ने इस क्षेत्र में भीतरी इलाकों से नए सैनिकों को तैनात किया है। बता दें, पिछले साल अप्रैल-मई से लेकर अब तक चीन ने पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के करीब 50 हजार से अधिक सैनिकों को तैनात किया है और आगे के स्थानों से सीमित सैनिकों की वापसी के समझौते के बावजूद उन्हें वहां बनाए रखा है। पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन ने पिछले एक साल से वहां मौजूद सैनिकों को हटाकर अब नए सैनिकों को तैनात किया है।
हर रोज होती थी अदला बदलीसूत्रों के मुताबिक इसका कारण रोटेशन हो सकता है। पिछले साल भी कड़ाके की ठंड के चलते गितिरोध वाले जगहों पर हर रोज चीन की तरफ से सैनिकों की अदला-बदली की जा रही थी। यहां तक कि पैंगोंग झील क्षेत्र में ऊंचाई वाले क्षेत्र पर तैनात चीनी सैनिकों को लगभग हर रोज अदला बदला जाता था।
भारतीय सैनिक रहते हैं 2-2 साल तक तैनातजबकि भारतीय सेना अपने सैनिकों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दो साल तक के लिए तैनात करती है और हर साल लगभग 40-50 प्रतिशत सैनिकों को रोटेट किया जाता है। इन परिस्थितियों में आईटीबीपी के जवानों का कार्यकाल कभी-कभी दो साल से भी ज्यादा लंबा होता है। पिछले साल अप्रैल-मई से ही पूर्वी लद्दाख और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ अन्य क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सैनिक एक-दूसरे के खिलाफ बड़े पैमाने पर तैनात हैं। चीन की हरकतों की वजह से कई बार टकराव की स्थिति बनी।पैंगोंग झील क्षेत्र में अब क्या है स्थित?चीन द्वारा हमला किए जाने के बाद, भारतीय सेना ने भी जोरदार जवाबी कार्रवाई की और यह सुनिश्चित किया कि उन्हें सभी स्थानों पर रोक कर रखा जाए। उसके बाद, भारत ने झील के दक्षिणी किनारे पर रणनीतिक ऊंचाइयों पर कब्जा करके चीनी सेना को आश्चर्यचकित कर दिया। दोनों पक्ष पैंगोंग झील क्षेत्र में अपने-अपने पोस्ट को खाली करने और इस साल की शुरुआत में वहां गश्त बंद करने पर सहमत हुए हालांकि, इन स्थानों से वापस बुलाए गए सैनिक दोनों तरफ से करीब-करीब बने हुए हैं और दोनों तरफ से आगे की तैनाती अभी भी जारी है।