Share Market News / भारतीय बाजार ने चुनावी नतीजों के बीच भरी उड़ान, अब आएंगे अच्छे दिन?

जम्मू कश्मीर और हरियाणा के विधानसभा चुनावों के रुझान आ रहे हैं। जम्मू कश्मीर में कांग्रेस गठबंधन को बहुमत मिलता दिख रहा है, जबकि हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है। इस राजनीतिक स्थिति का असर शेयर बाजार पर भी पड़ा है, सेंसेक्स 464 अंक बढ़कर 81,514 पर है।

Vikrant Shekhawat : Oct 08, 2024, 02:00 PM
Share Market News: जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के विधानसभा चुनाव के नतीजों के रुझान आने शुरू हो गए हैं। वर्तमान में, जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की अगुआई वाले गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है, जबकि हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। इन चुनावों का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है, जहां सेंसेक्स 464 अंकों की तेजी के साथ 81,514 पर और निफ्टी-50 157 अंक मजबूत होकर 24,953 पर कारोबार कर रहा है। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह तेजी वास्तव में एक स्थायी उछाल है या केवल एक छलावा?

निवेशकों के 25 लाख करोड़ रुपए डूबे

हालांकि, यह तेजी पिछले कुछ दिनों की गिरावट से पहले आई है, जब लगातार छह ट्रेडिंग सेशनों में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में नुकसान देखने को मिला था। इस अवधि में निवेशकों के करीब 25 लाख करोड़ रुपए स्वाहा हो गए। एक प्रमुख कारण विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय बाजार से पैसे निकालने का रहा। सितंबर के महीने में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 57 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश कर रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है।

चीन की आर्थिक सहायता का प्रभाव

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए एक राहत पैकेज का ऐलान किया है, जिसके चलते विदेशी निवेशकों का रुख चीन की ओर बढ़ गया है। सोमवार को भारतीय बाजार में सेंसेक्स में 638 अंकों की गिरावट आई थी और यह 81,050 अंकों पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी में भी 218 अंकों की गिरावट देखी गई। पिछले कुछ हफ्तों में सेंसेक्स में लगभग 4,800 अंकों की गिरावट और निफ्टी में 1,400 अंकों तक गिरावट देखी गई है।

गिरावट के कारण

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने भारतीय शेयर बाजार में अपने निवेश को कम किया है, जबकि चीन में अपने निवेश को बढ़ाया है। सीएलएसए के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के तीन प्रमुख कारण हैं:

  1. कच्चे तेल की कीमतों में उछाल: अक्टूबर के महीने में कच्चे तेल की कीमत में 10 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है।
  2. आईपीओ का बूम: भारत में आईपीओ की संख्या में वृद्धि और बाजार में नए निवेशकों का आना।
  3. रिटेल निवेशकों का बढ़ता रुझान: जो शेयर बाजार के प्रति अपनी दिलचस्पी बढ़ा रहे हैं।

भविष्य की संभावनाएं

बाजार में आई इस तेजी को लेकर मार्केट एक्सपर्टों का मानना है कि अभी भी ओवरऑल पॉजिटिव सेंटिमेंट हैं। हालांकि, वे यह भी कहते हैं कि बाजार कुछ समय के लिए एक स्थिर मोड में चला जाएगा, क्योंकि नवंबर-दिसंबर में हेज फंड्स अपने लाभ को बुक करते हैं। इससे थोड़ी गिरावट देखी जा सकती है, लेकिन घरेलू और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) का पैसा डालने से बाजार में रिकवरी भी संभव है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले साल बाजार अपने लाइफटाइम हाई को तोड़ने में सफल हो सकता है।

चीन में निवेश का रुख

विशेषज्ञों का कहना है कि शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में भी हालात खराब हैं। यहां विदेशी निवेशकों ने जिस तेजी से पैसे लगाए थे, अब उसी गति से पैसे निकाल रहे हैं। सुबह जब कंपोजिट इंडेक्स खुला, तो यह 3674 पर था, लेकिन बाद में यह 3379 के स्तर पर पहुंच गया। इसी प्रकार, हांगकांग का बाजार भी 7.50% नीचे आ चुका है। इस स्थिति से यह स्पष्ट है कि भारतीय बाजार से पैसे निकालकर निवेशक चीन और हांगकांग की ओर जा रहे हैं।

निष्कर्ष

जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों का बाजार पर गहरा असर पड़ा है। हालांकि, भविष्य में तेजी की संभावनाएं बनी हुई हैं, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट है कि बाजार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। निवेशकों को सतर्क रहना होगा और बाजार की चाल को समझने के लिए गहन अध्ययन करना होगा।