Foreign Exchange: हाल के दिनों में भारत और पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में विपरीत रुझान देखने को मिला है। जहां एक ओर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आई है, वहीं पाकिस्तान के फॉरेक्स रिजर्व में वृद्धि दर्ज की गई है। यह स्थिति दोनों देशों की आर्थिक परिस्थितियों को दर्शाती है और वैश्विक स्तर पर उनकी आर्थिक स्थिरता पर असर डाल सकती है। आइए, जानते हैं इन दोनों देशों के विदेशी मुद्रा भंडार की वर्तमान स्थिति के बारे में।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार: लगातार गिरावट का सिलसिला
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए गए ताजे आंकड़ों के अनुसार, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 18 बिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट लगातार सातवें हफ्ते देखी गई है। 15 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 657.892 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो कि 8 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 675.653 अरब डॉलर था। यानी सिर्फ एक सप्ताह में 6.477 बिलियन डॉलर की कमी आई।इससे पहले, सितंबर के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 बिलियन डॉलर के उच्चतम स्तर पर था। हालांकि, पिछले कई हफ्तों से इसमें गिरावट जारी है, जो भारतीय मुद्रा रुपये पर दबाव डालने का कारण बन रहा है। इससे स्पष्ट है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार कमी आ रही है, जो व्यापार घाटे, आयात पर निर्भरता और वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव के कारण हो सकती है।
गोल्ड रिजर्व में भी गिरावट
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में न केवल विदेशी मुद्रा संपत्ति (फॉरेन करेंसी असेट्स) में गिरावट आई है, बल्कि सोने के भंडार में भी कमी देखी गई है। 15 नवंबर को समाप्त सप्ताह में सोने का भंडार 2.068 बिलियन डॉलर घटकर 65.746 बिलियन डॉलर हो गया। इसके साथ ही, विशेष आहरण अधिकार (SDR) और आईएमएफ के साथ भारत की आरक्षित स्थिति में भी गिरावट आई है।
पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि
वहीं, पाकिस्तान के लिए ये समय राहत का है क्योंकि वहां के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP), ने बताया कि 15 नवंबर को समाप्त सप्ताह में उनके विदेशी मुद्रा भंडार में 29 मिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है। इस वृद्धि के बाद, पाकिस्तान का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 11.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान के वाणिज्यिक बैंकों के पास शुद्ध विदेशी मुद्रा भंडार 4.7 बिलियन डॉलर था, और कुल तरल विदेशी भंडार लगभग 16 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। हालांकि, यह आंकड़ा अभी भी पाकिस्तान की वित्तीय स्थिरता के लिए कम है, लेकिन इसमें हुई वृद्धि से देश को थोड़ी राहत मिल सकती है।
भारत और पाकिस्तान की मुद्रा स्थिरता पर असर
भारत और पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में आए इस अंतर को देखकर यह कहा जा सकता है कि दोनों देशों की आर्थिक स्थिति में असंतुलन है। भारत में भंडार की गिरावट और पाकिस्तान में वृद्धि, दोनों देशों की मुद्रा स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। भारत को अपने भंडार में कमी की स्थिति को सुधारने के लिए कई कदम उठाने होंगे, जबकि पाकिस्तान को अपने भंडार में आई वृद्धि को एक स्थिर और विकासशील स्थिति में बदलने के लिए ठोस नीतियां अपनानी होंगी।
निष्कर्ष
भारत और पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में विपरीत रुझान स्पष्ट रूप से दोनों देशों की आर्थिक स्थिति में असमानताओं को दर्शाता है। भारत को अपने भंडार की गिरावट को रोकने के लिए वित्तीय नीति में बदलाव और निर्यात बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है, जबकि पाकिस्तान के लिए अपनी बढ़ती मुद्रा भंडार को स्थिरता में बदलने की चुनौती है। यह स्थिति आने वाले महीनों में इन दोनों देशों की आर्थिक दिशा को प्रभावित कर सकती है।