AajTak : Jan 13, 2020, 03:06 PM
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (Indian Space Research Organization - ISRO) 17 जनवरी को देश का सबसे ताकतवर संचार उपग्रह (Communication Satellite) लॉन्च करेगा। इस उपग्रह के लॉन्च होने के बाद देश की संचार व्यवस्था और मजबूत हो जाएगी। इसकी मदद से देश में नई इंटरनेट टेक्नोलॉजी लाई जाने की उम्मीद है। साथ ही पूरे देश में मोबाइल नेटवर्क फैल जाएगा, जहां अभी तक मोबाइल सेवा नहीं है। कहां से छोड़ा जाएगा GSAT-30?इसरो का GSAT-30 यूरोपियन हैवी रॉकेट एरियन-5ECA से 17 जनवरी को तड़के 2.35 बजे छोड़ा जाएगा। GSAT-30 का वजन करीब 3100 किलोग्राम है। यह इनसैट सैटेलाइट की जगह काम करेगा। इसे फ्रेंच गुएना के कोरोऊ लॉन्च बेस से लॉन्च किया जाएगा।
आखिर GSAT-30 है क्या?
GSAT-30 जीसैट सीरीज का बेहद ताकतवर संचार उपग्रह है जिसकी मदद से देश की संचार प्रणाली में और इजाफा होगा। अभी जीसैट सीरीज के 14 सैटेलाइट काम कर रहे हैं। इनकी बदौलत ही देश में संचार व्यवस्था कायम है।
किस काम आएगा GSAT-30?जीसैट-30 की मदद से देश की संचार प्रणाली, टेलीविजन प्रसारण, सैटेलाइट के जरिए समाचार प्रबंधन, समाज के लिए काम आने वाली जियोस्पेशियल सुविधाओं, मौसम संबंधी जानकारी और भविष्यवाणी, आपदाओं की पूर्व सूचना और खोजबीन और रेस्क्यू ऑपरेशन में इजाफा होगा।
कब तक काम करेगा GSAT-30?
क्यो पड़ी इसकी जरूरत?देश के पुराना संचार उपग्रह इनसैट सैटेलाइट की उम्र अब पूरी हो रही है। देश में इंटरनेट की नई टेक्नोलॉजी आ रही है। ऑप्टिकल फाइबर बिछाए जा रहे हैं। 5जी तकनीक पर काम चल रहा है। ऐसे में ज्यादा ताकतवर सैटेलाइट की जरूरत थी। GSAT-30 सैटेलाइट इन्हीं जरूरतों को पूरा करेगा
आखिर GSAT-30 है क्या?
GSAT-30 जीसैट सीरीज का बेहद ताकतवर संचार उपग्रह है जिसकी मदद से देश की संचार प्रणाली में और इजाफा होगा। अभी जीसैट सीरीज के 14 सैटेलाइट काम कर रहे हैं। इनकी बदौलत ही देश में संचार व्यवस्था कायम है।
किस काम आएगा GSAT-30?जीसैट-30 की मदद से देश की संचार प्रणाली, टेलीविजन प्रसारण, सैटेलाइट के जरिए समाचार प्रबंधन, समाज के लिए काम आने वाली जियोस्पेशियल सुविधाओं, मौसम संबंधी जानकारी और भविष्यवाणी, आपदाओं की पूर्व सूचना और खोजबीन और रेस्क्यू ऑपरेशन में इजाफा होगा।
कब तक काम करेगा GSAT-30?
यह लॉन्च होने के बाद 15 सालों तक पृथ्वी के ऊपर भारत के लिए काम करता रहेगा। इसे जियो-इलिप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। इसमें दो सोलर पैनल होंगे और बैटरी होगी जो इसे ऊर्जा प्रदान करेगी।Launch of communication satellite, #GSAT30 onboard Ariane-5 launch vehicle from Kourou launch base in French Guiana is scheduled at 0235 Hrs of January 17, 2020 (IST). Read more at https://t.co/i8319iiG0x pic.twitter.com/dSsYU9shAV
— ISRO (@isro) January 13, 2020
क्यो पड़ी इसकी जरूरत?देश के पुराना संचार उपग्रह इनसैट सैटेलाइट की उम्र अब पूरी हो रही है। देश में इंटरनेट की नई टेक्नोलॉजी आ रही है। ऑप्टिकल फाइबर बिछाए जा रहे हैं। 5जी तकनीक पर काम चल रहा है। ऐसे में ज्यादा ताकतवर सैटेलाइट की जरूरत थी। GSAT-30 सैटेलाइट इन्हीं जरूरतों को पूरा करेगा