News18 : Sep 20, 2020, 03:29 PM
नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष के हंगामे के बीच केंद्र सरकार ने श्रम सुधारों (Labour Reforms) से जुड़े तीन विधेयक लोकसभा (Lok Sabha) में पेश किए। इनमें ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड 2020 (Occupational Safety, Health and Working Condition Code 2020), इंडस्ट्रीयल रिलेशंस कोड 2020 (Industrial Relations Code 2020) और सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 (Social Security Code 2020) शामिल हैं। सोशल सिक्योरिटी कोड में कई नए प्रावधान जोड़े गए है। इसमें एक प्रावधान ग्रेच्युटी को लेकर है। इसमें कहा गया है कि ग्रेच्युटी पांच साल की जगह एक साल में मिल सकती है।
अब क्या होगा- सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 (Social Security Code 2020) के नए प्रावधानों में बताया गया है कि जिन लोगों को फिक्सड टर्म बेसिस पर नौकरी मिलेगी। उन्हें उतने दिन के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का भी हक होगा। इसके लिए पांच साल पूरे की जरुरत नहीं है। अगर आसान शब्दों में कहें तो कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करने वालों को उनके वेतन के साथ-साथ अब ग्रेच्युटी का फायदा भी मिलेगा। वो कॉन्ट्रैक्ट कितने दिन का भी हो।सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 (Social Security Code 2020) बिल संसद में पेश होने के बाद दोनों सदन से पारित कराया जाएगा। इसके बाद ये कानून बनेगा। तभी इसके सभी नियमों के बारे में जानकारी मिल पाएगी।क्या होती है ग्रेच्युटी (What is Gratuity)- एक ही कंपनी में लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारियों को सैलरी, पेंशन और प्रोविडेंट फंड के अलावा ग्रेच्युटी भी दी जाती है। ग्रेच्युटी किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से मिलने वाला रिवार्ड होतिा है। अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर उसे दिया जाएगा। ग्रेच्युटी का छोटा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से कटता है, लेकिन बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है। मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अगर कोई शख्स एक कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम करता है तो वह ग्रेच्युटी का हकदार होता है।पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972-पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत इसका लाभ उस संस्थान के हर कर्मचारी को मिलता है जहां 10 से ज्यादा एंप्लॉई काम करते हैं। अगर कर्मचारी नौकरी बदलता है, रिटायर हो जाता है या किसी कारणवश नौकरी छोड़ देता है लेकिन वह ग्रेच्युटी के नियमों को पूरा करता है तो उसे ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है।कैसे कैलकुलेट होती है रकम- इसका एक तय फॉर्मूला है।कुल ग्रेच्युटी की रकम (अंतिम सैलरी) x (15/26) x (कंपनी में कितने साल काम किया)। मान लीजिए कि किसी कर्मचारी ने 20 साल एक ही कंपनी में काम किया। उस कर्जचारी की अंतिम सैलरी 75000 रुपये (बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता मिलाकर) है। यहां महीने में 26 दिन ही काउंट किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि 4 दिन छुट्टी होती है। वहीं एक साल में 15 दिन के आधार पर ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन होता है।कुल ग्रेच्युटी की रकम (75000) x (15/26) x (20) 865385 रुपये-इस तरह ग्रेच्युटी की कुल रकम 8,65,385 रुपये आ जाएगी, जिसका कर्मचारी को भुगतान कर दिया जाएगा।जरूरी जानकारी-इस फार्मूला के तहत, अगर कोई कर्मचारी 6 महीने से ज्यादा काम करता है तो उसकी गणना एक साल के तौर पर की जाएगी। मसलन, अगर कोई कर्मचारी 7 साल 8 महीने काम करता है तो उसे 8 साल मान लिया जाएगा और इसी आधार पर ग्रेच्युटी की रकम बनेगी। वहीं, अगर 7 साल 3 महीने काम करता है तो उसे 7 साल ही माना जाएगा
अब क्या होगा- सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 (Social Security Code 2020) के नए प्रावधानों में बताया गया है कि जिन लोगों को फिक्सड टर्म बेसिस पर नौकरी मिलेगी। उन्हें उतने दिन के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का भी हक होगा। इसके लिए पांच साल पूरे की जरुरत नहीं है। अगर आसान शब्दों में कहें तो कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करने वालों को उनके वेतन के साथ-साथ अब ग्रेच्युटी का फायदा भी मिलेगा। वो कॉन्ट्रैक्ट कितने दिन का भी हो।सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 (Social Security Code 2020) बिल संसद में पेश होने के बाद दोनों सदन से पारित कराया जाएगा। इसके बाद ये कानून बनेगा। तभी इसके सभी नियमों के बारे में जानकारी मिल पाएगी।क्या होती है ग्रेच्युटी (What is Gratuity)- एक ही कंपनी में लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारियों को सैलरी, पेंशन और प्रोविडेंट फंड के अलावा ग्रेच्युटी भी दी जाती है। ग्रेच्युटी किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से मिलने वाला रिवार्ड होतिा है। अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर उसे दिया जाएगा। ग्रेच्युटी का छोटा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से कटता है, लेकिन बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है। मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अगर कोई शख्स एक कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम करता है तो वह ग्रेच्युटी का हकदार होता है।पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972-पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत इसका लाभ उस संस्थान के हर कर्मचारी को मिलता है जहां 10 से ज्यादा एंप्लॉई काम करते हैं। अगर कर्मचारी नौकरी बदलता है, रिटायर हो जाता है या किसी कारणवश नौकरी छोड़ देता है लेकिन वह ग्रेच्युटी के नियमों को पूरा करता है तो उसे ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है।कैसे कैलकुलेट होती है रकम- इसका एक तय फॉर्मूला है।कुल ग्रेच्युटी की रकम (अंतिम सैलरी) x (15/26) x (कंपनी में कितने साल काम किया)। मान लीजिए कि किसी कर्मचारी ने 20 साल एक ही कंपनी में काम किया। उस कर्जचारी की अंतिम सैलरी 75000 रुपये (बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता मिलाकर) है। यहां महीने में 26 दिन ही काउंट किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि 4 दिन छुट्टी होती है। वहीं एक साल में 15 दिन के आधार पर ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन होता है।कुल ग्रेच्युटी की रकम (75000) x (15/26) x (20) 865385 रुपये-इस तरह ग्रेच्युटी की कुल रकम 8,65,385 रुपये आ जाएगी, जिसका कर्मचारी को भुगतान कर दिया जाएगा।जरूरी जानकारी-इस फार्मूला के तहत, अगर कोई कर्मचारी 6 महीने से ज्यादा काम करता है तो उसकी गणना एक साल के तौर पर की जाएगी। मसलन, अगर कोई कर्मचारी 7 साल 8 महीने काम करता है तो उसे 8 साल मान लिया जाएगा और इसी आधार पर ग्रेच्युटी की रकम बनेगी। वहीं, अगर 7 साल 3 महीने काम करता है तो उसे 7 साल ही माना जाएगा