Vikrant Shekhawat : Jun 22, 2022, 08:56 PM
Delhi: क्रूड ऑयल (कच्चे तेल) की कीमतों में बुधवार को 5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। ऑयल ट्रेडर्स को डर सता रहा है कि महंगाई को काबू में करने के लिए इंटरेस्ट रेट्स में जो तेज बढ़ोतरी की गई है, वह कहीं मंदी को न्योता न दे दे और इसका असर ऑयल की डिमांड पर पड़ सकता है। बुधवार को वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट की कीमत 5.6 फीसदी गिरकर 103.31 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। वहीं, ब्रेंट क्रूड की कीमत 5.2 फीसदी गिरकर 108.62 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं।
पिछले दिनों कई साल के हाई पर पहुंच गईं थी कीमतें हालिया महीनों में क्रूड ऑयल की कीमत कई साल के हाई पर पहुंच गईं थीं। क्रूड ऑयल के प्राइसेज में तेजी इस चिंता की वजह से आई थी कि यूक्रेन वॉर की वजह से सीमित सप्लाई शायद बढ़ती डिमांड को पूरा न कर पाए। वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड ऑयल का हालिया उच्चतम स्तर करीब 124 डॉलर प्रति बैरल है। HDFC सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट (कमोडिटीज) तपन पटेल का कहना है कि क्रूड का नियर टर्म सपोर्ट 98 डॉलर प्रति बैरल है, जबकि 123 डॉलर प्रति बैरल पर रेसिस्टेंस है।दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती आने का डर बढ़ाएनर्जी कॉस्ट बढ़ने से महंगाई में तेज उछाल आया और इनफ्लेशन 1980 के बाद से हाई लेवल पर पहुंच गई है। इनफ्लेशन को कंट्रोल करने के लिए सेंट्रल बैंकों को बॉरोइंग कॉस्ट बढ़ानी पड़ी है। बढ़ती ब्याज दरों की वजह से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती आने का डर बढ़ा है और क्रूड मार्केट्स में नरमी का माहौल है। वहीं, गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि उसे उम्मीद है कि क्रूड ऑयल की कीमतों में एक बार फिर तेजी देखने को मिलेगी। गोल्डमैन सैक्स का कहना है, 'कमोडिटी की डिमांड इसकी सप्लाई से कहीं ज्यादा है। ग्रोथ रेट्स स्लो होने के बावजूद मार्केट्स टाइट बना रहेगा।'
पिछले दिनों कई साल के हाई पर पहुंच गईं थी कीमतें हालिया महीनों में क्रूड ऑयल की कीमत कई साल के हाई पर पहुंच गईं थीं। क्रूड ऑयल के प्राइसेज में तेजी इस चिंता की वजह से आई थी कि यूक्रेन वॉर की वजह से सीमित सप्लाई शायद बढ़ती डिमांड को पूरा न कर पाए। वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड ऑयल का हालिया उच्चतम स्तर करीब 124 डॉलर प्रति बैरल है। HDFC सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट (कमोडिटीज) तपन पटेल का कहना है कि क्रूड का नियर टर्म सपोर्ट 98 डॉलर प्रति बैरल है, जबकि 123 डॉलर प्रति बैरल पर रेसिस्टेंस है।दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती आने का डर बढ़ाएनर्जी कॉस्ट बढ़ने से महंगाई में तेज उछाल आया और इनफ्लेशन 1980 के बाद से हाई लेवल पर पहुंच गई है। इनफ्लेशन को कंट्रोल करने के लिए सेंट्रल बैंकों को बॉरोइंग कॉस्ट बढ़ानी पड़ी है। बढ़ती ब्याज दरों की वजह से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती आने का डर बढ़ा है और क्रूड मार्केट्स में नरमी का माहौल है। वहीं, गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि उसे उम्मीद है कि क्रूड ऑयल की कीमतों में एक बार फिर तेजी देखने को मिलेगी। गोल्डमैन सैक्स का कहना है, 'कमोडिटी की डिमांड इसकी सप्लाई से कहीं ज्यादा है। ग्रोथ रेट्स स्लो होने के बावजूद मार्केट्स टाइट बना रहेगा।'