देश / इशरत केस की जांच से जुड़े IPS सतीश चंद्र बर्खास्त, SIT का थे हिस्सा

केंद्र सरकार ने गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। सतीष वर्मा इशरत जहां एनकाउंटर केस में एसआईटी का हिस्सा थे। सतीष चंद्र वर्मा 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन इससे पहले ही सरकार ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि 1986 बैच के अधिकारी वर्मा को उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही के आधार पर बर्खास्त कर दिया गया है।

Vikrant Shekhawat : Sep 13, 2022, 06:47 PM
New Delhi : केंद्र सरकार ने गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। सतीष वर्मा इशरत जहां एनकाउंटर केस में एसआईटी का हिस्सा थे। सतीष चंद्र वर्मा 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन इससे पहले ही सरकार ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया है। 

सूत्रों का कहना है कि 1986 बैच के अधिकारी वर्मा को उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही के आधार पर बर्खास्त कर दिया गया है। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।

केंद्र सरकार ने 30 अगस्त को बर्खास्तगी के आदेश के बारे में दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया, जहां वर्मा ने उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने सरकार को 19 सितंबर से बर्खास्तगी आदेश को लागू करने की अनुमति दी थी। वर्मा के वकील सरीम नावेद ने कहा- ''हमारे पास अभी भी सितंबर तक का समय है। हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।"

हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए, वर्मा, जो वर्तमान में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में तैनात हैं, ने शीर्ष अदालत में अपनी याचिका में कहा है " हाई कोर्ट ने केंद्र के उस फैसले पर अपनी सहमति दी है, जिसमें याचिकाकर्ता को सेवा से बर्खास्त किया गया है। यहां यह गौर करने वाली बात है कि आगामी 30 सितंबर को याचिकाकर्ता सेवानिवृ्त्त हो रहा है। यह अखिल भारतीय सेवाओं के वैधानिक नियमों के अनुसार स्वीकार्य नहीं है।"

गौरतलब है कि इससे पहले गृह मंत्रालय (एमएचए) ने सितंबर 2018 में वर्मा को एक चार्ज मेमो जारी किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि हालांकि उन्हें जुलाई 2016 में नीपको (नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन) के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) के पद से मुक्त किया गया था, लेकिन उन्होंने लंबे वक्त तक फाइलें अपने पास रखीं और हैंडओवर नहीं किया। मामले में मीडिया से बात करने सहित उनके खिलाफ अन्य कई अनुशासनात्मक आरोप लगाए गए हैं।

2004 में इशरत जहां एनकाउंटर

इशरत मामले के जांच अधिकारी के रूप में वर्मा ने 2011 में गुजरात उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया था कि 19 वर्षीय इशरत को जून 2004 में एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया था, इस एनकाउंटर में उनके साथ दो और लोग मारे गए थे। दावा किया गया था कि तीनों का आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से संबंध था।  जब इशरत केस सीबीआई को ट्रांसफर किया गया तो वर्मा गुजरात हाई कोर्ट के निर्देश पर जांच टीम से जुड़े रहे।