Zee News : Sep 09, 2020, 06:57 AM
नई दिल्लीः देश में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। बाजार खुलने के कारण लोग खरीदारी भी कर रहे हैं। ऐसे में अब व्यापारियों को एक चिंता यह भी सता रही है कि क्या करेंसी नोट यानी रुपये-पैसे के जरिये भी कोरोना वायरस संक्रमण फैल सकता है? अपनी इस आशंका को दूर करने के लिए कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ। हर्षवर्धन को पत्र लिखा है। CAIT द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है अगर करेंसी नोट के जरिये कोरोना वायरस फैल सकता है तो इसके संबंध में दिशानिर्देश जारी किए जाएं।
सामने आई हैं कई रिपोर्टव्यापारियों के इस डर के पीछे कई ऐसी रिपोर्ट है जिनमें करेंसी नोट्स को कोविड सहित अन्य अनेक संक्रामक रोगों का वाहक बताया गया है। करेंसी नोट अलग-अलग लोगों की एक अनजान चेन के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचते हैं। ऐसे में डॉ। हर्षवर्धन से आग्रह किया गया है कि अगर ऐसा है तो सरकार की ओर से व्यापारियों और लोगों के लिए इस संबंध में सुझाव जारी किए जाएं ताकि कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
व्यापारियों में चिंता का माहौलकैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भारतीय और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि संक्रामक रोगों को फैलाने में सक्षम करेंसी नोटों का मुद्दा कुछ वर्षों से देश भर के व्यापारियों के लिए बेहद चिंता का कारण बना हुआ है और वर्तमान कोविड महामारी में देश भर के व्यापारियों में इस विषय को लेकर बेहद चिंता है क्योंकि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय रिपोर्टों में इस बात की पुष्टि की गई है की करेंसी नोट संक्रामक रोगों के वाहक है।कैट ने तीन रिपोर्टों का उल्लेख किया है जो वाइरस के वाहक के रूप में साबित करती हैं। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ द्वारा वर्ष 2015 के एक अध्ययन से पता चला है कि 96 बैंक नोटों और 48 सिक्कों का लगभग पूरा नमूना वायरस, फंगस और बैक्टीरिया से दूषित था। जबकि 2016 में तमिलनाडु में किए गए एक अध्ययन में 120 से अधिक नोट डॉक्टरों, गृहिणियों, बाजारों, कसाई, क्षेत्रों से एकत्र किये गए जिसमें से 86।4% नोट संक्रमण से ग्रस्त थे। वहीं वर्ष 2016 में कर्नाटक में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट में 100 रुपये, 50 रुपये, 20 और 10 रुपये के नोटों में से 58 नोट दूषित थे।
सामने आई हैं कई रिपोर्टव्यापारियों के इस डर के पीछे कई ऐसी रिपोर्ट है जिनमें करेंसी नोट्स को कोविड सहित अन्य अनेक संक्रामक रोगों का वाहक बताया गया है। करेंसी नोट अलग-अलग लोगों की एक अनजान चेन के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचते हैं। ऐसे में डॉ। हर्षवर्धन से आग्रह किया गया है कि अगर ऐसा है तो सरकार की ओर से व्यापारियों और लोगों के लिए इस संबंध में सुझाव जारी किए जाएं ताकि कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
व्यापारियों में चिंता का माहौलकैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भारतीय और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि संक्रामक रोगों को फैलाने में सक्षम करेंसी नोटों का मुद्दा कुछ वर्षों से देश भर के व्यापारियों के लिए बेहद चिंता का कारण बना हुआ है और वर्तमान कोविड महामारी में देश भर के व्यापारियों में इस विषय को लेकर बेहद चिंता है क्योंकि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय रिपोर्टों में इस बात की पुष्टि की गई है की करेंसी नोट संक्रामक रोगों के वाहक है।कैट ने तीन रिपोर्टों का उल्लेख किया है जो वाइरस के वाहक के रूप में साबित करती हैं। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ द्वारा वर्ष 2015 के एक अध्ययन से पता चला है कि 96 बैंक नोटों और 48 सिक्कों का लगभग पूरा नमूना वायरस, फंगस और बैक्टीरिया से दूषित था। जबकि 2016 में तमिलनाडु में किए गए एक अध्ययन में 120 से अधिक नोट डॉक्टरों, गृहिणियों, बाजारों, कसाई, क्षेत्रों से एकत्र किये गए जिसमें से 86।4% नोट संक्रमण से ग्रस्त थे। वहीं वर्ष 2016 में कर्नाटक में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट में 100 रुपये, 50 रुपये, 20 और 10 रुपये के नोटों में से 58 नोट दूषित थे।