विज्ञान / इसरो का नया कीर्तिमान, 20 साल में 300 विदेशी सैटेलाइट्स को किया लॉन्च

दो दशकों में 33 देशों के 300 से ज्यादा सैटेलाइट्स को लॉन्च करना इसरो के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो की टीम को बधाई देते हुए ट्वीट किया, 'मैं इसरो टीम को पीएसएलवी-सी 47 द्वारा स्वदेशी कार्टोसैट-3 उपग्रह और संयुक्त राज्य अमेरिका के एक दर्जन से अधिक नैनो उपग्रहों के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के लिए बधाई देता हूं। इसरो ने एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया है।

NDTV : Nov 29, 2019, 11:37 AM
भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (इसरो) ने दो महीने पहले चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम को लैंड करने की कोशिश की, जिसमें उसे बेशक सफलता नहीं मिली लेकिन बुधवार को अंतरिक्ष एजेंसी ने एक नया कीर्तिमान रच दिया। एजेंसी ने पीएसएलवी-सी47 के जरिए अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट कार्टोसैट-3 के साथ अमेरिकी की 13 नैनोसैटेलाइट को सफलतापूर्व लॉन्च किया।

दो दशकों में 33 देशों के 300 से ज्यादा सैटेलाइट्स को लॉन्च करना इसरो के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो की टीम को बधाई देते हुए ट्वीट किया, 'मैं इसरो टीम को पीएसएलवी-सी 47 द्वारा स्वदेशी कार्टोसैट-3 उपग्रह और संयुक्त राज्य अमेरिका के एक दर्जन से अधिक नैनो उपग्रहों के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के लिए बधाई देता हूं। कार्टोसैट-3 हमारी हाई रिज्योलूशन इमेजिन क्षमता को बढ़ाएगा। इसरो ने एक बार फिर देश को गौरवान्वित किया है।' बुधवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रॉकेट लॉन्च होने के 17 मिनट बाद कार्टोसैट-3 को सफलतापूर्वक 509 किलोमीटर में अतंरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया। अगले 10 मिनट बाद उसने अमेरिका के 13 नैनो उपग्रहों को उनकी संबंधित कक्षाओं में स्थापित किया। यह दुश्मन की हर गतिविधि पर पैनी नजर रखेगा। 

1,625 किलोग्राम का कार्टोसैट-3 हाई रिजॉल्यूशन इमेजिंग क्षमता वाली तीसरी पीढ़ी के अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट का पहला और कार्टोसैट श्रृंखला का नौवां उपग्रह है। लॉन्चिंग के बाद इसरो अध्यक्ष के सिवन ने कहा, 'कार्टोसैट-3 इसरो द्वारा अब तक विकसित सबसे जटिल और उन्नत अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है।' इसकी आयु पांच वर्ष होगी। इससे पहले इसरो ने 22 मई को सर्विलांस सैटेलाइट रीसैट-2बी और एक अप्रैल को एमिसैट (इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट) को लॉन्च किया था। एमिसैट डीआरडीओ की दुश्मनों के रडार पर नजर रखने में मदद करता है। सूत्रों के अनुसार, इस सैटेलाइट का प्रयोग खुफिया जानकारी जुटाने और सीमा पर चौकसी बनाने के लिए किया जाएगा।

कहा जाता है कि पाकिस्तान में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के लिए कार्टोसैट-1 और 2 उपग्रहों से खुफिया जानकारी जुटाई गई थी। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी। कार्टोसैट उपग्रह से किसी भी मौसम में धरती की तस्वीरें ली जा सकती हैं। इसके जरिए आसमान से दिन और रात दोनों समय जमीन से एक फीट की ऊंचाई तक की साफ तस्वीरें ली जा सकती हैं।