Vikrant Shekhawat : Oct 06, 2022, 10:13 PM
Russia: विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों न्यूजीलैंड के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट के समाधान के लिए भारत यथासंभव हर प्रकार की सहूलियत देने को इच्छुक है। उन्होंने कहा कि जब यूक्रेन और रूस के बीच संवेदनशील जपोरिज्जिया में लड़ाई बढ़ गयी थी तब भारत ने मॉस्को पर वहां मौजूद परमाणु संयंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाया था। विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर पहली बार न्यूजीलैंड की यात्रा पर आए हैं और उन्होंने ऑकलैंड बिजनेस चेंबर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सिमोन ब्रिजेस से लंबी बातचीत की। विदेश मंत्री ने कहा कि जब यूक्रेन का मुद्दा आता है तो स्वभाविक है कि अलग-अलग देश और क्षेत्र थोड़ी अलग तरीके से प्रतिक्रिया करेंगे। विदेश मंत्री ने कहा कि लोग उसे अपने नजरिये, तात्कालिक हित,ऐतिहासिक अनुभव और अपनी असुरक्षा के संदर्भ में देखते हैं। उन्होंने कहा, ''मेरे लिए विश्व की विविधता प्रत्यक्ष तौर पर है और स्वभाविक है कि इससे अलग-अलग प्रतिक्रिया भी आएगी। मैं अन्य देशों की स्थिति का अनादर नहीं करूंगा क्योंकि उनमें से कई की प्रतिक्रिया खतरे का भाव, उनकी चिंता और यूक्रेन से तुलना के आधार पर है।'' 'रूस पर दबाव बनाने को कहा गया'जयशंकर ने कहा कि इस स्थिति में वह देख रहे हैं कि भारत क्या कर सकता है, ''जो निश्चित तौर पर भारत के हित में होगा, लेकिन साथ ही विश्व के हित में भी होगा।'' उन्होंने कहा, ''जब मैं संयुक्त राष्ट्र में था तो सबसे बड़ी चिंता जपोरिज्जिया परामणु संयंत्र को लेकर थी क्योंकि उसके बहुत करीब लड़ाई चल रही थी। हमसे रूस पर इस मुद्दे पर दबाव बनाने का अनुरोध किया गया, जो हमने किया। अलग-अलग समय पर अलग-अलग चिंताएं भी हैं जिन्हें हमारे समक्ष विभिन्न देशों या संयुक्त राष्ट्र ने उठाया। मैं मानता हूं कि यह वह समय है जब हम जो भी कर सकते हैं, करने को इच्छुक हैं।'' पूर्वी यूक्रेन में स्थित है जपोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्रजपोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र दक्षिण पूर्वी यूक्रेन में स्थित है और यह यूरोप का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। जयशंकर ने 16 सितंबर को अस्ताना में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ) सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात का संदर्भ देते हुए कहा, ''अगर हम अपना रुख तय करते हैं और अपने विचारों को रखते हैं, तो मैं नहीं मानता कि देश उनका अनादर करेंगे, और यह हमारे प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) और राष्ट्रपति (व्लादिमीर) पुतिन की बैठक में भी दिखा।'' उन्होंने भारत की संयुक्त सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की आकांक्षा पर भी बात की। जयशंकर ने कहा कि बड़ी समस्याओं का समाधान केवल एक,दो या यहां तक पांच देश भी नहीं कर सकते हैं। 'रुचि सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में'उन्होंने कहा, ''जब हम सुधारों को देखते हैं, तो हमारी रुचि सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में है। यह इच्छा इसलिए भी है क्योंकि हम अलग तरह से सोचते हैं और हम कई देशों के हितों और महत्वकांक्षा को आवाज देते हैं।'' उन्होंने भेदभावपूर्ण वाली नीतियों को रेखांकित करने के लिए जलवायु परिवर्तन और कोविड महामारी का उल्लेख किया। जयशंकर ने कहा, ''अगर आज आप विशेष तौर पर दक्षिण अफ्रीका की यात्रा करेंगे, तो वहां पर महामारी के दौरान किए गए व्यवहार को लेकर आक्रोश का भाव है। आज वहां हताशा का भाव है कि उनकी बात दुनिया में सुनी नहीं जा रही है। मैं इस मुद्दे को खाद्य और ईंधन के संदर्भ में देखता हूं।'' जयशंकर ने कहा कि वहां पर भावना है कि उनकी जिंदगी की दैनिक जरूरतों को पूरा करने की अक्षमता को दुनिया के स्थापित और शक्तिशाली राष्ट्रों द्वारा भुला दिया गया है।