S. Jaishankar News / भारत की रुचि डॉलर को कमजोर करने में नहीं... ट्रंप को जयशंकर का जवाब

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोहा फोरम में कहा कि भारत डॉलर को कमजोर करने या नई मुद्रा लाने का कोई इरादा नहीं रखता। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की "डी-डॉलराइजेशन" चेतावनी के बावजूद, जयशंकर ने भारत-अमेरिका के मजबूत संबंधों और पीएम मोदी-ट्रंप की दोस्ती को रेखांकित किया।

Vikrant Shekhawat : Dec 08, 2024, 10:00 AM
S. Jaishankar News: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में अमेरिकी डॉलर और ब्रिक्स देशों की मुद्रा पर चर्चा करते हुए भारत की स्पष्ट स्थिति रखी। कतर के दोहा फोरम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत की रुचि अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने या किसी नई ब्रिक्स मुद्रा के समर्थन में नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत अमेरिका के साथ मजबूत और सकारात्मक संबंध बनाए रखना चाहता है।

डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी और भारत की प्रतिक्रिया

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर ब्रिक्स देशों की 'डी-डॉलराइजेशन' नीति पर कड़ा रुख अपनाने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि यदि ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने का प्रयास करते हैं, तो अमेरिका उन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा। ट्रंप ने यह भी कहा कि ब्रिक्स देशों को स्पष्ट करना चाहिए कि वे अमेरिकी डॉलर के विकल्प के रूप में किसी नई मुद्रा को बढ़ावा देंगे या नहीं।

इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोहा फोरम में भारत का पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत किसी नई ब्रिक्स मुद्रा की योजना में शामिल नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का उद्देश्य किसी भी तरह से अमेरिकी डॉलर को चुनौती देना नहीं है।

भारत-अमेरिका संबंधों पर सकारात्मक संदेश

जयशंकर ने भारत और अमेरिका के रिश्तों को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच मजबूत दोस्ती का जिक्र करते हुए बताया कि दोनों नेताओं के कार्यकाल के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई थी।

विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि डोनाल्ड ट्रंप के समय में क्वाड (QUAD) की फिर से शुरुआत हुई थी, जो भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक रणनीतिक समूह है। इसके अलावा, व्यापार और रक्षा क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी।

ब्रिक्स समूह की भूमिका

ब्रिक्स (BRICS) एक महत्वपूर्ण वैश्विक समूह है जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। यह समूह 2006 में ब्रिक (BRIC) के रूप में शुरू हुआ था और 2010 में दक्षिण अफ्रीका के जुड़ने के बाद इसे ब्रिक्स नाम दिया गया।

ब्रिक्स देशों का उद्देश्य वैश्विक आर्थिक संतुलन को मजबूत करना है, लेकिन हाल के वर्षों में यह समूह अपनी मुद्रा नीति और अन्य सामरिक निर्णयों को लेकर चर्चा में रहा है। जयशंकर के बयान ने यह स्पष्ट किया कि भारत ब्रिक्स समूह में रहते हुए भी किसी नई मुद्रा को लेकर कोई कदम उठाने की योजना नहीं बना रहा है।

निष्कर्ष

भारत ने अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने या किसी नई ब्रिक्स मुद्रा को बढ़ावा देने का समर्थन नहीं करेगा। यह बयान भारत-अमेरिका संबंधों की स्थिरता और भारत की तटस्थता को दर्शाता है। कतर के दोहा फोरम में एस जयशंकर का यह बयान इस बात का प्रमाण है कि भारत वैश्विक मंच पर अपनी जिम्मेदार भूमिका निभा रहा है और संतुलित आर्थिक नीतियों को प्राथमिकता दे रहा है।