Vikrant Shekhawat : Sep 15, 2024, 02:00 PM
Cm Arvind Kejriwal News: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की जेल से रिहाई के बाद की ऊर्जा और साहस ने दिल्ली की राजनीति में एक नई लहर पैदा कर दी है। रविवार को अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए, केजरीवाल ने एक चौंकाने वाला ऐलान किया—वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले हैं। उन्होंने इस निर्णय के पीछे की वजह स्पष्ट करते हुए कहा कि यह कदम भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा है जो उनके और मनीष सिसोदिया पर लगाए गए हैं।इस्तीफे की घोषणा: एक नई परीक्षा का आगाज़केजरीवाल ने अपनी घोषणा में कहा, "मैं इस्तीफा इसलिए दे रहा हूं क्योंकि मुझ पर और मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या मैं ईमानदार हूं या बेईमान। मैं राजनीति में ईमानदारी की वजह से आया था, और अब मैं अग्निपरीक्षा के लिए तैयार हूं।" इस बयान के साथ, केजरीवाल ने साफ कर दिया कि उनकी ईमानदारी पर लोगों को विश्वास करने का अवसर दिया जाएगा—यदि जनता उन्हें समर्थन देती है, तो वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर लौट सकते हैं।दिल्ली की राजनीति पर बड़ा हमलाकेजरीवाल ने बीजेपी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि उनकी पार्टी को तोड़ने के लिए उन्हें जेल में डाला गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह साजिशें उनके दृढ़ संकल्प को तोड़ने में विफल रही हैं। "हमारी पार्टी ने देश की राजनीति को एक नई दिशा दी है," केजरीवाल ने कहा, "एक क्रांतिकारी मुख्यमंत्री को जेल भेजा गया, लेकिन यह नहीं सोचा कि इससे हमारी ऊर्जा और उत्साह में कमी आएगी।"इस्तीफा न देने का कारणजेल में रहते हुए केजरीवाल ने कई महत्वपूर्ण निर्णय किए। उन्होंने इस्तीफा न देने का कारण बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र की रक्षा के लिए था। "यह नया फॉर्मूला है—जहां उनकी सरकार नहीं बनती, वहां के मुख्यमंत्री को जेल में डाल दो। हमने इसे नकारा और यह साबित किया कि हम ईमानदार हैं," केजरीवाल ने कहा।जेल के अनुभव और राजनीतिक दृष्टिकोणजेल में रहते हुए केजरीवाल ने गीता और रामायण जैसी धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन के साथ-साथ शहीद भगत सिंह की डायरी भी पढ़ी। उन्होंने कहा कि इन ग्रंथों और लेखों ने उन्हें राजनीतिक और व्यक्तिगत रूप से नई प्रेरणा दी।परिवार और पार्टी के साथ समस्याएंकेजरीवाल ने जेल में अपने परिवार से मुलाकात रोकने की धमकियों का भी खुलासा किया। उन्होंने कहा कि संदीप पाठक को पार्टी के बारे में बात करने के लिए जेल में मिलने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्हें ब्लैक लिस्ट कर दिया गया और दोबारा मिलने की अनुमति नहीं दी गई।इस पूरे घटनाक्रम ने दिल्ली की राजनीति में एक नई स्थिति उत्पन्न कर दी है, जिसमें केजरीवाल का इस्तीफा केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि एक राजनीतिक आंदोलन का संकेत भी है। अब यह देखना होगा कि आगामी दिनों में इस स्थिति का विकास किस दिशा में होता है और दिल्ली की राजनीति में कौन नया मोड़ आता है।