Vikrant Shekhawat : Jan 22, 2024, 06:00 AM
Ram Mandir: अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन कल यानी 22 जनवरी पूरे अनुष्ठान के साथ किया जाएगा. इस दिन विधि-विधान के साथ प्रभु श्रीराम के बाल स्वरूप को मंदिर में विराजमान किया जाएगा जिसके बाद सभी भक्त रामलला का दर्शन कर सकेंगे. राम मंदिर में रामलला की पूजा एक विशेष पंरपरा से की जाएगी जिसे रामानंदी परंपरा कहा जाता है. अयोध्या राम मंदिर को चलाने का काम भी रामानंदी संप्रदाय को सौंपा गया है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि क्या है रामानंदी परंपरा और रामलला पूजा का विधि-विधान.क्या है रामानंदी परंपरा?रामानंदी संप्रदाय की स्थापना जात-पांत को दूर करके भक्तिभाव को बढ़ाने के लिए 15वीं सदी में हुई थी. इस संप्रदाय के लोग पूरे देश में फैले हैं. हाल ही में ये संप्रदाय अयोध्या राम मंदिर को लेकर चर्चा में आया क्योंकि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद इसी विधि से रामलला का पूजन किया जाएगा. रामानंदी परंपरा एक वैष्णव परंपरा है जिसकी स्थापना स्वामी रामानंदाचार्य ने की थी. इस परंपरा में प्रभु श्रीराम को आराध्य देव माना गया है. अयोध्या के अधिकतर मंदिरों में इसी परंपरा से पूजा की जाती है. इस संप्रदाय के लोग खुद को भगवान राम के बेटे लव और कुश का वंशज मानते हैं.रामानंदी परंपरा का प्रभु राम से क्या है नाता?ऐसा माना जाता है कि रामानंदी संप्रदाय का आरंभ भगवान श्रीराम से ही हुआ था. इस संप्रदाय को हिंदुओ के सबसे बड़े संप्रदाय में से एक माना जाता है. इस संप्रदाय के लोग शुद्ध शाकाहारी होते हैं और रामानंद के विशिष्टाद्वैत सिद्धांत के अनुसार चलते हैं. विशिष्टाद्वैत सिद्धांत कहता है कि हम सभी ईश्वर का ही हिस्सा हैं और सभी जीव के जन्म का उद्देश्य ईश्वर को पाना है. ईश्वर को पाने के लिए इस सिद्धांत में दो चीजों को जरूरी बताया गया है जो है अहंकार का त्याग और ईश्वर के प्रति अपना समर्पण.रामानंदी परंपरा से किया जाएगा रामलला का पूजनभारतीय संस्कृति और समाज को रामनंदी परंपरा ने कई तरह से प्रभावित किया है. इस परंपरा ने रामभक्ति की धारा और आस्था को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाया है. इस परंपरा में समानता और भक्ति के मूल्यों को अधिक महत्व दिया गया है. रामानंदी परंपरा के तहत रामलला की पूजा में उनके बालपन का ध्यान रखा जाएगा और उनका एक बच्चे की तरह लालन-पालन किया जाएगा.