धर्म / जानिए मकर संक्राति का शुभ मुहूर्त, कथा और इसके पीछे का रहस्य

लोहड़ी और मकर संक्रांति का पर्व अक्सर लगातार 13 व 14 जनवरी को पड़ते हैं। लेकिन इस बार लोहड़ी 13 जनवरी को पड़ रही है जबकि मकर संक्रांति 15 जनवरी को है। क्योंकि सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात 02:07 बजे है। माना जाता इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी भूलाकर उनके घर गए थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से व्यक्ति का पुण्य प्रभाव हजार गुना बढ़ जाता है।

Live Hindustan : Jan 13, 2020, 10:37 AM
Makar Sankranti 2020: लोहड़ी और मकर संक्रांति का पर्व अक्सर लगातार 13 व 14 जनवरी को पड़ते हैं। लेकिन इस बार लोहड़ी 13 जनवरी को पड़ रही है जबकि मकर संक्रांति 15 जनवरी को है। क्योंकि ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस बार सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात 02:07 बजे है। इसलिए संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। उम्मीद है कि अब इस बात को लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं होगी कि मकर संक्रांति 14 जनवरी को है या 15 जनवरी को। इस दिन लोग प्रात: नदी में स्नान करने  के बाद अग्निदेव व सूर्यदेव की पूजा करते हैं। मंदिरों व ब्राह्मणों व गरीबों को दान देते हैं। इसके बाद तिल के लड्डू, खिचड़ी और पकवानों की मिठास के साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाते हैं। गुजरात और दिल्ली समेत देश के कई इलाकों में आज के दिन लोग पतंगबाजी भी करते हैं।

मकर संक्रांति को उत्तर भारत के कुछ इलाकों  में खिचड़ी के पर्व के रूप में  मनाते हैं तो वहीं दक्षिण भारत के तमिलनाडु व केरल में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं। पोंगल 2020 का पर्व 15 जवरी को शुरू होगा और 18 जनवरी तक चलेगा। पोंगल का पर्व नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है।

क्या है मकर संक्रांति-

मकर संक्रांति में 'मकर' शब्द मकर राशि को इंगित करता है जबकि 'संक्रांति' का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरे में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को संक्रांति कहते हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार मकर संक्रांति से ही सूर्य उत्तरायण होंगे।

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त-

मकर संक्रांति 2020- 15 जनवरी

संक्रांति काल- 07:19 बजे (15 जनवरी)

पुण्यकाल-07:19 से 12:31 बजे तक

महापुण्य काल- 07:19 से 09: 03 बजे तक

संक्रांति स्नान- प्रात: काल, 15 जनवरी 2020

मकर संक्रांति का इतिहास -

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन की गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते है सागर में जा मिली थीं। इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति को मौसम में बदलाव का सूचक भी माना जाता है। आज से वातारण में कुछ गर्मी आने लगती है और फिर बसंत ऋतु के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है।

कुछ अन्य कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं और गंगा स्नान करते हैं। इस वजह से भी गंगा स्नान का आज विशेष महत्व माना गया है।

मकर संक्रांति का महत्व-

माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी भूलाकर उनके घर गए थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा आदि करने से व्यक्ति का पुण्य प्रभाव हजार गुना बढ़ जाता है। इस दिन से मलमास खत्म होने के साथ शुभ माह प्रारंभ हो जाता है। इस खास दिन को सुख और समृद्धि का दिन माना जाता है।