News18 : Sep 18, 2020, 06:07 AM
नई दिल्ली। शिरोमणी अकाली दल (Shiromani Akali Dal) की नेता और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) ने संसद में पेश किये गये कृषि से संबंधित दो विधेयकों के विरोध में गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। केंद्र सरकार ने मानसून सत्र के पहले दिन तीन अध्यादेश- कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) अध्यादेश, किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश पेश किये थे जो कि गुरुवार को लोकसभा में पारित हो गए हैं।
केंद्र सरकार ने बताया है कि ये विधेयक किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना सुनिश्चित करेंगे और उन्हें निजी निवेश एवं प्रौद्योगिकी भी सुलभ हो सकेगी। केंद्र के मुताबिक प्रस्तावित कानून कृषि उपज के बाधा मुक्त व्यापार को सक्षम बनायेगा। साथ ही किसानों को अपनी पसंद के निवेशकों के साथ जुड़ने का मौका भी प्रदान करेगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक लगभग 86 प्रतिशत किसानों के पास दो हेक्टेयर से कम की कृषि भूमि है और वे अक्सर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ नहीं उठा पाते हैं। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बना रहेगा।
किसान क्यों कर रहे हैं विरोधइन अध्यादेशों का कई किसान संगठन इनका विरोध कर रहे हैं। किसानों ने आशंका जताई है कि इन अध्यादेशों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म करने का रास्ता साफ होगा और वे बड़े कॉरपोरेट घरानों की ‘दया’ के भरोसे रह जाएंगे।कांग्रेस समेत अन्य दल भी कर विधेयक के पक्ष में नहींबता दें कांग्रेस और अन्य दल विधेयक का विरोध करते रहे हैं। उनका तर्क है कि यह एमएसपी प्रणाली द्वारा किसानों को प्रदान किए गए सुरक्षा कवच को कमजोर कर देगा और बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण की स्थिति को जन्म देगा। कृषि मंत्री ने कहा कि यह विधेयक किसानों की मदद करेगा क्योंकि वे अपने खेत में ज्यादा निवेश करने में असमर्थ हैं और दूसरे लोग उसमें निवेश नहीं कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को इन कानूनों से काफी फायदा होगा क्योंकि वे अपने उत्पादों को बेचने के लिए निजी कारोबारियों से समझौता कर सकेंगे।उन्होंने कहा कि ये समझौते उपज के बारे में होंगे न कि खेत की जमीन के बारे में। उन्होंने इस आशंका को निर्मूल बताया कि इससे किसानों को अपनी जमीन का मालिकाना हक खोना पड़ सकता है।ये हैं तीनों विधेयककृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 का जिक्र करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि देश में 86 प्रतिशत किसान छोटे हैं जो निवेश नहीं कर पाते और ना ही निवेश का लाभ प्राप्त कर पाते। लेकिन कीमत पहले से निर्धारित होने से वे फायदे की खेती कर सकते हैं।किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 में एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का प्रावधान किया गया है। इसमें किसान और व्यापारी विभिन्न राज्य कृषि उपज विपणन विधानों के तहत अधिसूचित बाजारों के भौतिक परिसरों या सम-बाजारों से बाहर पारदर्शी और बाधारहित प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार चैनलों के माध्यम से किसानों की उपज की खरीद और बिक्री लाभदायक मूल्यों पर करने से संबंधित चयन की सुविधा का लाभ उठा सकेंगेवहीं, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 में कृषि समझौतों पर राष्ट्रीय ढांचे के लिए प्रावधान है, जो किसानों को कृषि व्यापार फर्मों, प्रोसेसरों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ कृषि सेवाओं और एक उचित तथा पारदर्शी तरीके से आपसी सहमति वाला लाभदायक मूल्य ढांचा उपलब्ध कराता है।
केंद्र सरकार ने बताया है कि ये विधेयक किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना सुनिश्चित करेंगे और उन्हें निजी निवेश एवं प्रौद्योगिकी भी सुलभ हो सकेगी। केंद्र के मुताबिक प्रस्तावित कानून कृषि उपज के बाधा मुक्त व्यापार को सक्षम बनायेगा। साथ ही किसानों को अपनी पसंद के निवेशकों के साथ जुड़ने का मौका भी प्रदान करेगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक लगभग 86 प्रतिशत किसानों के पास दो हेक्टेयर से कम की कृषि भूमि है और वे अक्सर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ नहीं उठा पाते हैं। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बना रहेगा।
किसान क्यों कर रहे हैं विरोधइन अध्यादेशों का कई किसान संगठन इनका विरोध कर रहे हैं। किसानों ने आशंका जताई है कि इन अध्यादेशों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म करने का रास्ता साफ होगा और वे बड़े कॉरपोरेट घरानों की ‘दया’ के भरोसे रह जाएंगे।कांग्रेस समेत अन्य दल भी कर विधेयक के पक्ष में नहींबता दें कांग्रेस और अन्य दल विधेयक का विरोध करते रहे हैं। उनका तर्क है कि यह एमएसपी प्रणाली द्वारा किसानों को प्रदान किए गए सुरक्षा कवच को कमजोर कर देगा और बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण की स्थिति को जन्म देगा। कृषि मंत्री ने कहा कि यह विधेयक किसानों की मदद करेगा क्योंकि वे अपने खेत में ज्यादा निवेश करने में असमर्थ हैं और दूसरे लोग उसमें निवेश नहीं कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को इन कानूनों से काफी फायदा होगा क्योंकि वे अपने उत्पादों को बेचने के लिए निजी कारोबारियों से समझौता कर सकेंगे।उन्होंने कहा कि ये समझौते उपज के बारे में होंगे न कि खेत की जमीन के बारे में। उन्होंने इस आशंका को निर्मूल बताया कि इससे किसानों को अपनी जमीन का मालिकाना हक खोना पड़ सकता है।ये हैं तीनों विधेयककृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 का जिक्र करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि देश में 86 प्रतिशत किसान छोटे हैं जो निवेश नहीं कर पाते और ना ही निवेश का लाभ प्राप्त कर पाते। लेकिन कीमत पहले से निर्धारित होने से वे फायदे की खेती कर सकते हैं।किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 में एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का प्रावधान किया गया है। इसमें किसान और व्यापारी विभिन्न राज्य कृषि उपज विपणन विधानों के तहत अधिसूचित बाजारों के भौतिक परिसरों या सम-बाजारों से बाहर पारदर्शी और बाधारहित प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार चैनलों के माध्यम से किसानों की उपज की खरीद और बिक्री लाभदायक मूल्यों पर करने से संबंधित चयन की सुविधा का लाभ उठा सकेंगेवहीं, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 में कृषि समझौतों पर राष्ट्रीय ढांचे के लिए प्रावधान है, जो किसानों को कृषि व्यापार फर्मों, प्रोसेसरों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ कृषि सेवाओं और एक उचित तथा पारदर्शी तरीके से आपसी सहमति वाला लाभदायक मूल्य ढांचा उपलब्ध कराता है।