कोटा / 22 साल बाद खत्म हो रहा भगवान नटेश शिव का वनवास, लंदन से आ रही प्रतिमा

कोटा भगवान राम का वनवास 14 साल में पूरा हुआ तो, भगवान शिव के नटराजन स्वरूप का वनवास 22 साल बाद पूरा हो रहा है. कोटा के पास बाडौली मंदिर से 1998 में चोरी हुई 10 वीं शताब्दी के मंदिर की बेशकीमती नटराजन की प्रतिमा लंदन से भारत आ रही है. इंग्लैंड सरकार ने हाई कमीशन ऑफ इंडिया को ये मूर्ति सौंप दी है

Vikrant Shekhawat : Jul 31, 2020, 10:33 PM

कोटा: भगवान राम का वनवास 14 साल में पूरा हुआ तो, भगवान शिव के नटराजन स्वरूप का वनवास 22 साल बाद पूरा हो रहा है. कोटा के पास बाडौली मंदिर से 1998 में चोरी हुई 10 वीं शताब्दी के मंदिर की बेशकीमती नटराजन की प्रतिमा लंदन से भारत आ रही है. इंग्लैंड सरकार ने हाई कमीशन ऑफ इंडिया को ये मूर्ति सौंप दी है.

दरअसल, पुराने कोटा के पास का बाडौली घाटेश्वर मंदिर 10 वीं शताब्दी से पुराना ये मंदिर, अपने अनोखे शिल्पकला ओर बेजोड़ कलाकृति के लिए अलंकृत है. यहां की प्रतिमाएं बेशकीमती और विश्व विख्यात हैं. 18 फरवरी 1998 को इस मंदिर से चोरों ने नटेश शिव यानी नटराजन की प्रतिमा को चोरी कर लिया था.

उस दौरान खास बात ये भी रही कि, मूर्ति की चोरी के बाद इलाके के लोगों ने खूब आंदोलन किया तो, चोर करीब आठ महीने बाद मूर्ति की हुबहू नकल मंदिर परिसर में फेंक गए और मूर्ति मिलने के बाद लोगों का गुस्सा भी शांत हो गया. लेकिन 2003 में जयपुर पुलिस के ऑपरेशन ब्लैक होल के दौरान पता लगा कि, वो मूर्ति नकली है और चोरों ने नकली मूर्ति रखने का काम इसलिए किया ताकि, मामले में पुलिस की कारवाई आगे ने बढ़े. लेकिन पड़ताल में सामने आया कि, चोरी हुई प्रतिमा लंदन पहुंच चुकी है.

वर्ष 2003 में ही ब्रिटिश अथॉरिटी को इस बात की सूचना दे दी गई थी कि, प्रतिमा चुराकर ब्रिटेन ले जाई गई है. जिसके बाद उन्होंने एक प्राइवेट मूर्ति कलेक्टर से बात की थी, जिनके पास ये प्रतिमा थी, उन्होंने स्वेच्छा से ही वर्ष 2005 में ये प्रतिमा भारतीय उच्चायोग को दे दी थी. तब से इस प्रतिमा को इंडिया हाउस के अंदर प्रमुखता से दिखाया जा रहा है. साल 2017 में एएसआई की एक्सपर्ट टीम ने इस बात की पुष्टि की, ये वहीं प्रतिमा है जो बरोली गांव के घाटेश्वर मंदिर से चोरी गई थी.

अब वो वक्त आ गया है कि, जब इस मूर्ति का वनवास खत्म हुआ है और ये मूर्ति भारत आ रही है. इसके बाद उम्मीद है कि, इस मूर्ति को वापस बाडौली के मंदिर में फिर से स्थापित किया जाएगा