देश / सिंगापुर में ट्रांसप्लांट की जाएगी लालू की किडनी, जानिए भारत में क्या है इलाज का खर्च और नियम

काफी लंबे समय से बीमार चल रहे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद का किडनी ट्रांसप्लांट होना है और ये ऑपरेशन भारत में नहीं बल्कि सिंगापुर में होगा और लालू प्रसाद यादव को उनकी छोटी बेटी किडनी डोनेट करेंगी. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि भारत में किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर क्या नियम हैं और इसमें कितना खर्च आता है.

Vikrant Shekhawat : Dec 03, 2022, 07:21 PM
काफी लंबे समय से बीमार चल रहे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद का किडनी ट्रांसप्लांट होना है और ये ऑपरेशन भारत में नहीं बल्कि सिंगापुर में होगा और लालू प्रसाद यादव को उनकी छोटी बेटी किडनी डोनेट करेंगी. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि भारत में किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर क्या नियम हैं और इसमें कितना खर्च आता है.

किडनी ट्रांसप्लांट क्या है ? 

किडनी ट्रांसप्लांट क्या होता है? और इसकी जरूरत कब पड़ती है. दरअसल जब किसी व्यक्ति के शरीर में दोनों किडनी काम करना बंद कर देती हैं, तो उसके शरीर में पुरानी किडनी की जगह नई किडनी ट्रांसप्लांट की जाती है. जिसे किडनी ट्रांसप्लांट कहा जाता है. 

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के प्रो एंड हेड डॉक्टर हिमांशु वर्मा के मुताबिक किसी भी जीवित या ब्रेन डेड व्यक्ति की किडनी ट्रांसप्लांट की जा सकती है. ऐसा व्यक्ति जिसका ब्रेन डेड हो चुका है, वो आईसीयू में है, और उसके शरीर के बाकी अंग काम कर रहे हैं, तो उसकी किडनी किसी अन्य मरीज को ट्रांसप्लांट की जा सकती है. 

लेकिन ब्रेन डेड शख्स के परिजनों की मंजूरी के बाद ही ये पूरी प्रक्रिया की जाती है या फिर जिस शख्स का ब्रेन डेड हुआ है उसने इससे पहले अपनी इच्छा जताई हो. उस स्थिति में उसके अंगों को किसी जरूरतमंद मरीज को दान किया जाता है. 

ब्रेन डेड व्यक्ति कौन होता है?

डॉक्टर हिमांशु बताते हैं कि मेडिकल भाषा में ब्रेन डेड व्यक्ति ऐसे मरीज को कहा जाता है जिसका दिमाग मेडिकली तौर पर काम करना बंद कर चुका है, उसके शरीर में रक्त तो है और दिमाग को छोड़कर बाकि अंगों तक रक्त पहुंच रहा हैं यानि उसके शरी के बाकि अंग काम कर रहे हैं जैसे की किडनी, हार्ट. आदि ऐसे व्यक्ति की किडनी या हार्ट ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. लेकिन किसी मृत व्यक्ति की किडनी ट्रांसप्लांट नहीं की जा सकती.

व्यक्ति एक किडनी के साथ जीवित रह सकता है?

इसके जवाब में  सफदरजंग अस्पताल के किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के प्रो डॉक्टर हिमांशु कहते हैं कि कई बार कुछ लोगों के शरीर में जन्म से एक ही किडनी होती है. वो बेहद ही स्वस्थ जीवन जीते हैं. एक किडनी होने से उनके शरीर पर इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता. भगवान ने हमें दो किडनियां दी हैं, जिनका काम हमारे शरीर में बेहद ही महत्वपूर्ण होता है. किडनी शरीर का एक ऐसा अंग है जिसका मुख्य काम शरीर से अपशिष्ट निकालना होता है. किडनी ही हमारे खून से अपशिष्ट, आदि अलग कर उसे पेशाब के जरिए बाहर निकालती है. 

लेकिन जब किसी व्यक्ति की किडनी खराब हो जाती है तो उसके शरीर में ये प्रक्रिया नहीं हो पाती, जिसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है. जिसमें शरीर से खराब किडनी निकालकर नयी किडनी को प्रत्यापित या ट्रांसप्लांट किया जाता है. लेकिन व्यक्ति एक किडनी के साथ भी स्वस्थ जीवन जी सकता है. एक किडनी भी उसके शरीर में वहीं काम करेगी जो दो किडनियां करती हैं.

इसलिए जिस व्यक्ति की दोनों किडनी खराब हो जाती हैं उसी के शरीर में नयी किडनी ट्रांसप्लांट की जाती है. एक किडनी के खराब होने के बाद किडनी ट्रांसप्लांट नहीं किया जाता क्योंकि एक किडनी के खराब होने के बाद दूसरी किडनी उसका काम करती है. इसलिए जो शख्स किडनी देता है उसको भी शारीरिक तौर पर कोई परेशानी नहीं होती केवल कुछ मेडिकल टेस्ट कराने होते हैं. अपने ब्लड प्रेशर को ध्यान रखना होता है, ताकि ये पता चल सके कि उसके मूत्र में प्रोटीन तो नहीं आ रहा. इसके लिए उसे हर 6 महीने से 1 साल में जांच करानी होती है..

देश में क्या है किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कानून?

देश में किसी भी मरीज में कोई भी अंग ट्रांसप्लांट करने के लिए एक एक्ट हैं. इसका पालन करके अंगों का प्रत्यारोपण किया जा सकता है, जिसे मानव अंग और प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 (HUDA)का नाम दिया गया है. एचयूडीए 1994 के तहत ही सभी अस्पतालों में अंगों का ट्रांसप्लांट किया जाता है. देश के हर एक नागरिक को इसका पालन करना होता है और यदि कोई व्यक्ति या अस्पताल इस एक्ट का पालन नहीं करता तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है.