हरियाणा / हिजाब के शोर के बीच तेज होगी ‘म्हारा बाणा-परदा मुक्त हरियाणा' अभियान, अब तक हजारों महिलाएं जुड़ीं

देश में हिजाब के मुद्दे पर बढ़ते विरोध के बीच हरियाणा में महिला खाप ने अपनी खास मुहिम ‘म्हारा बाणा-परदा मुक्त हरियाणा’ को और तेज करने का फैसला लिया है। हरियाणा की महिला खाप चाहती है कि म्हारा बाणा यानी हमारे पहनावे में महिलाओं के लिए कहीं भी परदे का बंधन न रहे। घूंघट महिलाओं की मर्जी का मामला हो।

Vikrant Shekhawat : Feb 14, 2022, 10:55 AM
देश में हिजाब के मुद्दे पर बढ़ते विरोध के बीच हरियाणा में महिला खाप ने अपनी खास मुहिम ‘म्हारा बाणा-परदा मुक्त हरियाणा’ को और तेज करने का फैसला लिया है। हरियाणा की महिला खाप चाहती है कि म्हारा बाणा यानी हमारे पहनावे में महिलाओं के लिए कहीं भी परदे का बंधन न रहे। घूंघट महिलाओं की मर्जी का मामला हो। 

कर्नाटक में हिजाब विवाद के शोर में हरियाणा अपनी महिलाओं को परदे (घूंघट) से बंधन मुक्त रखने के मामले में देश में मिसाल बन चुका है। सर्वजातीय सर्व खाप की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष व राष्ट्रपति सम्मान से नवाजी जा चुकीं डा. संतोष दहिया ने हरियाणा में वर्ष 2014 में ‘म्हारा बाणा-परदा मुक्त हरियाणा’ विशेष अभियान की शुरुआत की थी। हालांकि हरियाणा की संस्कृति में घूंघट का एक विशेष महत्व रहा है। 

सूबे के अधिकतर गांवों में घूंघट (परदा) प्रथा लंबे समय से बनी हुई है। मगर पिछले करीब आठ वर्षों में सजग महिलाओं के प्रयासों से यह प्रथा संकीर्णता के दायरे से बाहर आ चुकी है। महिला खाप के साथ-साथ प्रगतिशील महिलाओं के विभिन्न संगठनों ने भी इस मुहिम को प्रभावशाली ढंग से आगे बढ़ाते हुए गांवों में महिलाओं को घूंघट प्रथा के प्रति जागरुक बनने की शपथ तक दिलाई।

बुजुर्गों को समझाया घूंघट सरकने से सम्मान नहीं सरकता

हरियाणा में करीब 180 खाप हैं, जिनका सूबे की संस्कृति, पहनावा, रहन-सहन के तौर तरीकों और सामाजिक कार्यों में बड़ा दखल है। दहिया खाप की भी अध्यक्ष डॉ. संतोष बताती हैं कि इस मुहिम का आरंभ शुरुआती दौर में आसान नहीं था। बुजुर्गों का यह मानना था कि बहू-बेटियों के सिर से घूंघट सरकेगा तो उनके भीतर से अपने बुजुर्गों के प्रति सम्मान की भावना भी सरक जाएगी। 

वह कहती हैं कि इस सोच को बदलने में बहुत समय लगा। शुरुआत में कई खाप इस बात का विरोध करती थीं, मगर विभिन्न पंचायतें व महापंचायतों के जरिये उन्हें यह समझाया गया कि यह घूंघट किस कदर हमारी बेटियों की तरक्की में बाधा बन रहा है, उनका आत्मविश्वास खो रहा है। उन्हें यह भी समझाया गया कि बुजुर्गों की इज्जत करना तो हरियाणवी बहू-बेटियों के संस्कार का हिस्सा है, जिसकी तालीम उन्हें बचपन से दी जाती है। आखिरकार बुजुर्ग समझने लगे और इस मुहिम को बल मिलता गया। 

हरियाणा की छोरियां हर क्षेत्र में गाड़ रहीं कामयाबी का लठ

डॉ. सतोष का मानना है कि घूंघट में रहने वाली महिलाओं में आत्मविश्वास अपेक्षाकृत बहुत कम होता है, उन्होंने खुद इस पीड़ा को झेला है लेकिन यह मुहिम रंग ला रही है और आज हरियाणा की छोरियां खेल, शिक्षा, तकनीक इत्यादि क्षेत्रों में अपनी कामयाबी का लठ गाड़ रही हैं। इस अभियान को अब गांवों में और तेज किया जाएगा और इस प्रथा को पूरी तरह खत्म करने के लिए उनका संगठन संकल्पबद्ध है।

जिस तरह से देश में हिजाब को लेकर विवाद खड़ा हो गया है और इसे अब राजनीतिक रूप दिया जा रहा है, उसके मद्देनजर महिला खापों की सदस्यों को निर्देश दिया है कि वे परदा मुक्त हरियाणा अभियान और तेज करें। हर जिले में महिलाओं की टीमें गांव-दर-गांव जाकर इसके प्रति महिलाओं को जागरुक कर रही हैं। बेटियों को प्रगतिशील बनना चाहिए। उन्हें किसी को ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहिए कि उनके किसी रिवाज या परंपरा पर कोई राजनीति कर सके। - डॉ. संतोष दहिया, राष्ट्रीय अध्यक्ष, सर्वजातीय सर्व खाप की महिला विंग