केजरीवाल की अपील / मोदी जी, हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि एमसीडी चुनाव मत टालिए

दिल्ली में चुनाव आयोग द्वारा नगर निगम के चुनाव टालने और इसके पीछे दी गई दलीलों को लेकर मुख्यममंत्री अरविंद केजरीवाल ने नाराजगी जताई है। उन्होंने चुनाव आयोग पर केंद्र सरकार के आगे झुकने का भी आरोप लगा दिया है। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र पर जानबूझकर संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप भी लगाया है।

Vikrant Shekhawat : Mar 11, 2022, 01:47 PM
दिल्ली में चुनाव आयोग द्वारा नगर निगम के चुनाव टालने और इसके पीछे दी गई दलीलों को लेकर मुख्यममंत्री अरविंद केजरीवाल ने नाराजगी जताई है। उन्होंने चुनाव आयोग पर केंद्र सरकार के आगे झुकने का भी आरोप लगा दिया है। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र पर जानबूझकर संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप भी लगाया है।

केजरीवाल ने प्रेस वार्ता की शुरुआत करते हुए कहा, दिल्ली में नगर निगम के चुनाव होने थे जिसे लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने 9 मार्च को सुबह एक प्रेस इनवाइट जारी किया था शाम 5.00 बजे तक आयोग चुनाव की तारीखों का एलान करेगा। उसी शाम एक घंटे पहले शाम चार बजे  केंद्र ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी कि हम दिल्ली के तीनों निगमों को एक करना चाहते हैं, इसलिए आज चुनाव टाल दें।

केजरीवाल का आरोप है कि इसके बाद चुनाव आयोग ने एमसीडी के चुनाव टालने का एलान कर दिया। शायद देश के 75 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ होगा कि केंद्र सरकार ने सीधे किसी राज्य के चुनाव आयोग को चुनाव टालने के लिए कहा होगा।

निगमों का एकीकरण तो बहाना है, आप की लहर से डर गई है भाजपा

केजरीवाल ने पूछा कि, भाजपा शासित सरकार बीते लगभग आठ साल से केंद्र में है और अगर उन्हें तीनों निगमों को एक ही करना था तो पहले क्यों नहीं किया। चुनाव की तारीखों के एलान से ठीक पहले ऐसा क्यों किया गया? उनका कहना है कि निगमों का एकीकरण तो बहाना है, मकसद चुनाव टालने का था क्योंकि भाजपा को लगता है कि दिल्ली में आप की लहर है जिसमें भाजपा बह जाएगी और एमसीडी चुनाव हार जाएगी।

सीएम केजरीवाल बोले, लोग कह रहे हैं तीनों नगर निगम को एक करने के लिए चुनाव टालने की क्या जरूरत है। अभी तीन निगम हैं तो तीनों के पार्षद और मेयर अलग-अलग बैठते हैं। अगर तीनों एक हो जाएंगे तो चुनाव के बाद एक साथ बैठेंगे और जब तक तीनों निगम एक नहीं होते तब तक पुरानी व्यवस्था के अनुसार अलग-अलग बैठते रहेंगे। इसमें चुनाव रोकने की क्या जरूरत है? लेकिन मकसद निगमों को एक करने का नहीं बल्कि चुनाव टालने का है।