BRICS Summit / मोदी-जिनपिंग 5 साल बाद ब्रिक्स में मिले, कई मुद्दों पर बातचीत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस दौरे पर हैं और कजान में ब्रिक्स समिट में भाग लिया। पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पांच साल बाद द्विपक्षीय वार्ता हो रही है। एलएसी पर तनाव कम होने से दोनों देशों के बीच सकारात्मक माहौल बना। व्यापार और वीजा मामलों में भी प्रगति हुई।

Vikrant Shekhawat : Oct 23, 2024, 06:20 PM
BRICS Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय रूस दौरे पर हैं, जहां बुधवार को उन्होंने कजान में आयोजित ब्रिक्स समिट को संबोधित किया। इस सम्मेलन के बाद मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बहुप्रतीक्षित द्विपक्षीय वार्ता हो रही है। पांच साल बाद यह दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हो रही है, पिछली वार्ता 11 अक्टूबर 2019 को महाबलीपुरम में हुई थी।

2014 से 2019 के बीच पीएम मोदी और शी जिनपिंग की कुल 18 मुलाकातें हुई थीं, जिनमें द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई। पहली बार 18 सितंबर 2014 को जिनपिंग भारत आए थे, और इसके बाद 14 मई 2015 को मोदी चीन दौरे पर गए। दोनों नेताओं की कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के दौरान भी मुलाकात हुई, जैसे 4-5 सितंबर 2016 को चीन में आयोजित G20 समिट और 8-9 जून 2017 को SCO बैठक के दौरान। अप्रैल 2018 में चीन के वुहान में अनौपचारिक वार्ता और अक्टूबर 2019 में महाबलीपुरम में हुई बैठकें भी विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

कजान में सकारात्मक माहौल: तनाव के बावजूद बातचीत जारी

कजान में दोनों नेताओं के बीच हो रही द्विपक्षीय वार्ता का सकारात्मक माहौल पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और तनाव कम होने के कारण बना है। भारत और चीन ने सीमा पर तनाव को कम करने और पहले की स्थिति बहाल करने पर सहमति जताई है, जिससे वार्ता की राह सुगम हो गई है। हालांकि सीमा पर तनाव बना रहा, लेकिन दोनों देशों ने बातचीत के माध्यम से मुद्दों को हल करने का प्रयास किया।

भारत और चीन के बीच लगातार संवाद का सिलसिला जारी रहा, जिसमें दोनों देशों ने कई महत्वपूर्ण विवादों को सुलझाने की कोशिश की। हाल ही में चीन ने अपने नए राजदूत को भारत भेजा, जिसने भारत की तारीफ करते हुए द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाए। चीन के विदेश मंत्रालय ने भी भारत की प्रशंसा की, जिससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिला। इसके अलावा, व्यापार और वीजा से जुड़े कई मामलों में राहत दी गई, जिससे द्विपक्षीय व्यापारिक रिश्ते बेहतर हो सके।

मोदी-जिनपिंग वार्ता का महत्व

इस वार्ता का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक राजनीति में कई परिवर्तन हो रहे हैं, और भारत-चीन संबंधों पर विश्व की नजरें टिकी हुई हैं। ब्रिक्स समिट जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भी भारत और चीन की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। इस वार्ता से दोनों देशों के बीच के संबंधों में एक नई दिशा और ऊर्जा आने की उम्मीद है।

निष्कर्ष
कजान में ब्रिक्स समिट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता दोनों देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। सीमा विवाद के बावजूद संवाद और सहयोग की निरंतरता दोनों देशों के बीच के तनाव को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।