Vikrant Shekhawat : Apr 29, 2022, 12:10 PM
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंसा से किसी का भला नहीं होता। जिन समाजों को हिंसा प्रिय है, वे अपने आखिरी दिन गिन रहे हैं। हमें हमेशा अहिंसक व शांतिप्रिय रहना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि सभी समुदाय साथ आएं और मानवता को बचाएं। हमें यह कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से करने की जरूरत है।
संघ प्रमुख का यह बयान देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक संघर्ष की घटनाओं की पृष्ठभूमि में आया है। रामनवमी और हनुमान जन्मोत्सव पर कम से कम छह राज्यों में हिंसा की घटनाएं हुई थीं। भागवत बृहस्पतिवार को अमरावती में संत कंवरराम के प्रपौत्र साई राजेशलाल के गद्दीनशीं होने के समारोह में मुख्य अतिथि थे।
संघ प्रमुख ने सिंधी भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए सिंधी विश्वविद्यालय स्थापित करने की भी जरूरत बताई। उन्होंने कहा, भारत बहुभाषी देश है। हर भाषा का अपना महत्व है। उन्होंने कहा, कुछ सिंधी भाई अपनी जमीन को बचाने के लिए पाकिस्तान में रुक गए, जबकि कई अपनी जमीन की कीमत पर धर्म को बचाने भारत चले आए।
सामाजिक दबाव सरकार के लिए पेट्रोलभागवत ने कहा, सिंधी समुदाय को विश्वविद्यालय की मांग मनवाने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। उन्होंने कहा, वह सरकार का अंग नहीं हैं, पर चाहे यह सरकार हो या कोई और, वह समाज के दबाव में ही काम करती है। सामाजिक दबाव सरकार के लिए पेट्रोल की तरह काम करता है।
संघ प्रमुख का यह बयान देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक संघर्ष की घटनाओं की पृष्ठभूमि में आया है। रामनवमी और हनुमान जन्मोत्सव पर कम से कम छह राज्यों में हिंसा की घटनाएं हुई थीं। भागवत बृहस्पतिवार को अमरावती में संत कंवरराम के प्रपौत्र साई राजेशलाल के गद्दीनशीं होने के समारोह में मुख्य अतिथि थे।
संघ प्रमुख ने सिंधी भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए सिंधी विश्वविद्यालय स्थापित करने की भी जरूरत बताई। उन्होंने कहा, भारत बहुभाषी देश है। हर भाषा का अपना महत्व है। उन्होंने कहा, कुछ सिंधी भाई अपनी जमीन को बचाने के लिए पाकिस्तान में रुक गए, जबकि कई अपनी जमीन की कीमत पर धर्म को बचाने भारत चले आए।
सामाजिक दबाव सरकार के लिए पेट्रोलभागवत ने कहा, सिंधी समुदाय को विश्वविद्यालय की मांग मनवाने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। उन्होंने कहा, वह सरकार का अंग नहीं हैं, पर चाहे यह सरकार हो या कोई और, वह समाज के दबाव में ही काम करती है। सामाजिक दबाव सरकार के लिए पेट्रोल की तरह काम करता है।