Gujrat / मोरबी ब्रिज पर थी 150 की क्षमता, 500 लोगों को अनुमति; जिम्मेदार कौन?

गुजरात के मोरबी में ब्रिज हादसे के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। मामले की जांच जारी है और यकीनन कुछ दिनों बाद जांच के कुछ ना कुछ नतीजे तो आ ही जाएंगे। 130 से ज्यादा मौतों से जुड़ी इस बड़ी लापरवाही को लेकर अब कई बातें सामने आ रही हैं। हादसे को लेकर हैरानी की ऐसी कई सारी बातें हैं जिसपर शायद ध्यान दिया गया होता तो शायद इतना भयानक मंजर देखने को नहीं मिलता।

Vikrant Shekhawat : Oct 31, 2022, 03:58 PM
Morbi bridge Collapse: गुजरात के मोरबी में ब्रिज हादसे के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। मामले की जांच जारी है और यकीनन कुछ दिनों बाद जांच के कुछ ना कुछ नतीजे तो आ ही जाएंगे। 130 से ज्यादा मौतों से जुड़ी इस बड़ी लापरवाही को लेकर अब कई बातें सामने आ रही हैं। हादसे को लेकर हैरानी की ऐसी कई सारी बातें हैं जिसपर शायद ध्यान दिया गया होता तो शायद इतना भयानक मंजर देखने को नहीं मिलता। मच्छु नदी पर बने इस पुल पर 100-150 लोगों के आने की क्षमता थी। हादसे के दिन यानी रविवार को इस पुल पर क्षमता से 5 गुना ज्यादा लोग सवार थे। आखिर कैसे 100 लोगों की क्षमता वाले पुल पर 400-500 लोग आ गये, किसने इसकी अनुमति दी? इस पुल पर आने के लिए करीब 15 रुपये की फीस लगती है। तो क्या दिवाली के बाद वाले वीकेंड पर किसी ने जानबूझ कर कमाई की लालच से इस पुल को बिना फिटनेस जांच के ही खोल दिया था और इतने लोगों की भीड़ पुल पर जुट गई थी।

नहीं था फिटनेस सर्टिफिकेट

बताया जा रहा है कि इस सस्पेंशन ब्रिज को एक निजी फर्म द्वारा सात महीने के मरम्मत कार्य के बाद दीवाली के अगले दिन जनता के लिए फिर से खोल दिया गया था। इस मरम्मती कार्य में 2 करोड़ रुपये खर्च किये जाने की बात सामने आ रही है। मोरबी नगर पालिका के अधिकारी ने संदीपसिंह जाला ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि नवीकरण कार्य पूरा होने के बाद इसे जनता के लिए खोल दिया गया था, लेकिन स्थानीय नगरपालिका ने अभी तक (नवीनीकरण कार्य के बाद) कोई फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया था।

100 साल पुराने पुल पर हादसा 

गुजरात के मोरबी शहर में मच्छु नदी पर  केबल पुल हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर सोमवार को 134 हो गई। गुजरात पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बचाव अभियान जारी है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी कई एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे बचाव अभियान पर नजर रखने के लिए रात भर मोरबी में रहे। राजधानी गांधीनगर से करीब 300 किलोमीटर दूर स्थित मोरबी में मच्छु नदी पर बना यह पुल एक सदी से भी अधिक समय पुराना है। मरम्मत एवं नवीनीकरण कार्य के बाद इसे आम जन के लिए पांच दिन पहले ही खोला गया था। पुल रविवार शाम करीब साढ़े छह बजे टूट गया।

पूल पर कूद रहे थे, तारों को खींच रहे थे

प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि अंग्रेज़ों के समय का यह ''हैंगिंग ब्रिज'' जिस समय टूटा, उस समय उस पर कई महिलाएं और बच्चे मौजूद थे तथा पुल टूटने के कारण वे नदी में गिर गए। जब पुल टूटा तो उस समय स्थानीय लोगों के अलावा नजदीकी शहरों और गांवों के लोग भी पुल पर मौजूद थे। दीपावली की छुट्टी और रविवार होने के कारण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे इस पुल पर काफी भीड़ थी। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि हादसे से पहले कुछ लोगों को पुल पर कूदते और उसके बड़े तारों को खींचते हुए देखा गया। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि पुल उस पर ''लोगों की भारी भीड़'' के कारण टूट कर गिर गया हो।

9 लोग हिरासत में

गुजरात के मोरबी में हुए ब्रिज हादसे के बाद पुलिस ने ऐक्शन लिया है। इस मामले में पुलिस ने 9 लोगों को हिरासत में लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस अभी हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ कर रही है। मोरबी हादसे को लेकर रखरखाव करने वाली एजेंसी के खिलाफ धारा 304, 308 और 114 के तहत क्रिमिनल केस दर्ज किया गया है। मोरबी हादसे के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। एसआईटी ने हादसे की जांच भी शुरू कर दी है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को मोरबी जाएंगे और यहां पीड़ितों से वो मुलाकात कर सकते हैं।