Vikrant Shekhawat : May 31, 2023, 06:56 PM
Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से दाखिल याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग के खिलाफ दाखिल मस्जिद कमेटी की याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज किया है. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति की खारिज करते हुए हिंदू पक्ष की याचिका को सुनने योग्य माना है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस जे.जे. मुनीर की सिंगल बेंच ने ये फैसला सुनाया है.वाराणसी के श्रंगार गौरी की नियमित पूजा वाली मांग पर कोर्ट ने बहस पूरी होने के बाद 23 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने जिला जज वाराणसी के फैसले को चुनौती दी थी.12 सितंबर को फैसले को दी गई थी चुनौतीश्रृंगार गौरी केस में हिन्दू पक्ष की राखी सिंह व 9 अन्य द्वारा वाराणसी की अदालत में Civil Suit दाखिल किया गया था. इस मुकदमे में अपनी आपत्ति खारिज होने के खिलाफ मस्जिद की इंतजामियां कमेटी ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. अर्जी में वाराणसी के जिला जज की अदालत से 12 सितंबर को आए फैसले को चुनौती दी गई थी.5 महिलाओं समेत 10 लोगों को बनाया गया था पक्षकारकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली 5 महिलाओं समेत 10 लोगों को पक्षकार बनाया गया था. वाराणसी के जिला जज की कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष द्वारा दाखिल की गई आपत्ति को खारिज कर दिया था.कोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने दलील दी कि 1991 के प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट और 1995 के Central Waqf Act के तहत सिविल वाद पोषणीय नहीं है. जिला जज के इसी फैसले को मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.23 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया थाइलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहस पूरी होने के बाद 23 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने जिला जज वाराणसी के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। श्रृंगार गौरी केस में हिन्दू पक्ष की राखी सिंह व 9 अन्य द्वारा वाराणसी की अदालत में Civil Suit दाखिल किया गया था। इस मुकदमे में अपनी आपत्ति खारिज होने के खिलाफ मस्जिद की इंतजामियां कमेटी ने अर्जी दाखिल की थी।वाराणसी जिला जज के फैसले को दी गई थी चुनौती अर्जी में वाराणसी के जिला जज की अदालत से 12 सितंबर को आए फैसले को चुनौती दी थी। अदालत में वाद दाखिल करने वाली 5 महिलाओं समेत 10 लोगों को पक्षकार बनाया गया था। मुस्लिम पक्ष ने दलील दी थी कि 1991 के प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट और 1995 के Central Waqf Act के तहत सिविल वाद पोषणीय नहीं है। जस्टिस जे जे मुनीर की सिंगल बेंच ने सुनाया फैसला।