IND vs PAK / भारत-पाक की टक्कर में छुपी नीरज-नदीम की यारी, गिरा सकती है ये दोस्ती हर दीवार!

इस पार हिन्दुस्तान और सरहद के उस पार पाकिस्तान… और पार वाली लकीर पर ही खड़ी वो दीवार, जो सब कुछ बांट देती है. इसके बावजूद कुछ ऐसा है, जिसे दीवार तक नहीं बांट पाई. अगर वो चीज ना होती तो शायद शाहिद अफरीदी कभी भी हरभजन सिंह के लिए पेशावरी जूती ना लाते. अगर वो चीज ना होती तो पाकिस्तान हॉकी टीम के कोच मोहम्मद सकलैन के वाघा बॉर्डर पार करते ही अमृतसर के एसपी जुगराज सिंह और कमलप्रीत सिंह उन्हें कसकर गले नहीं लगाते.

Vikrant Shekhawat : Aug 27, 2023, 09:15 AM
IND vs PAK: इस पार हिन्दुस्तान और सरहद के उस पार पाकिस्तान… और पार वाली लकीर पर ही खड़ी वो दीवार, जो सब कुछ बांट देती है. इसके बावजूद कुछ ऐसा है, जिसे दीवार तक नहीं बांट पाई. अगर वो चीज ना होती तो शायद शाहिद अफरीदी कभी भी हरभजन सिंह के लिए पेशावरी जूती ना लाते. अगर वो चीज ना होती तो पाकिस्तान हॉकी टीम के कोच मोहम्मद सकलैन के वाघा बॉर्डर पार करते ही अमृतसर के एसपी जुगराज सिंह और कमलप्रीत सिंह उन्हें कसकर गले नहीं लगाते. उनके लिए गिफ्ट नहीं लाते. अगर वो चीज ना होती तो विराट कोहली शर्मनाक हार के बावजूद मोहम्मद रिजवान को गले नहीं लगाते. अगर वो चीज ना होती तो एशिया कप से बाहर होने के बाद फ्रैक्चर पैर के साथ मैदान के कोने में बैठे शाहीन शाह अफरीदी को देखते ही भारतीय प्लेयर्स उनका हालचाल पूछने के लिए दौड़ नहीं पड़ते.

अगर वो एक चीज ना होती तो अपने सबसे बड़े विरोधी अरशद नदीम के लिए नीरज चोपड़ा कभी गुरु नहीं बनते. उनके लिए लोगों की गलत सोच से भिड़ नहीं जाते. नीरज को चोट लगने पर नदीम को दर्द कभी नहीं होता. दोनों देशों के बीच भले ही राजनीतिक तनाव है. राजनीति तनाव के चलते पुल ना बन पाए, मगर उस एक चीज ने इस बात को सही साबित किया कि दो पहाड़ को पुल नहीं खाई भी जोड़ती हैं. 2 पहाड़ यानी इस पार और उस पार वाले देश, जो खेल के मैदान की ऐसी कहानियों की वजह से दूर होकर भी जुड़े हैं. नीरज और अरशद ऐसे ही जुड़े हैं. जब बात अपने देश की आती है तो दोनों एक- दूसरे को जबरदस्त टक्कर देते हैं. अपना फर्ज, अपने देश के लोगों की उम्मीद पूरी करने की कोशिश करते हैं. इसके बाद जब बारी नफरत की जगह दोस्ती का हाथ मिलाने की आती तो दोनों हाथ नहीं मिलाते, बल्कि कसकर गले लगाते हैं. खूब बातें करते हैं. मुश्किल समय में एक दूसरे के लिए खड़े हो जाते हैं. बेखौफ एक दूसरे का साथ देते हैं.

पहली मुलाकात की कहानी

नीरज तो नदीम के लिए उनके गुरु हैं और नदीम नीरज के लिए उनके शिष्य. गुरु- शिष्य की इस जोड़ी ने दुनिया को दोस्ती का एक गजब का पाठ बढ़ाया और दोनों की दोस्ती कोई 2 या 3 साल पुरानी नहीं, बल्कि दोनों तो टीनएज से ही एक दूसरे से जुड़े हैं. बात 2016 की है जब 19 साल के नदीम बस में लाहौर से अमृतसर आए. ये वो पल था, जब जैवलिन की दुनिया में 2 सबसे बड़ी राइवलरी पनप रही थी. ये वो समय था कि इस पार और उस पार वाले 2 लोगों के बीच दोस्ती पनप रही थी और ये वो पल था, जब भारत और पाकिस्तान का जैवलिन की दुनिया में नाम गोल्डन अक्षरों से लिखने की तैयारी चल रही थी. नदीम ने भी माना उन्होंने और नीरज दोनों अपने-अपने देश को जैवलिन वर्ल्ड में टॉप पर लेकर गए. नीरज ने टोक्यो ओलिंपिक में गोल्ड जीता तो नदीम ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता.

नदीम के लिए खड़े हुए नीरज

अरशद नदीम ने तो 2016 में ही एशियन गेम्स के तुरंत बाद कह दिया था कि वो नीरज से प्रेरित हुए. वो अक्सर नीरज से टिप्स लेते हुए नजर आते हैं. नीरज ने भी उनका खूब साथ दिया. बात टोक्यो ओलिंपिक की है. नीरज ने गोल्ड जीता. नदीम भी कमाल करते हुए 5वें स्थान पर रहे. नदीम ट्रैक एंड फील्ड में ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचने वाले पाकिस्तान के पहले एथलीट थे. ओलिंपिक में नदीम फाइनल शुरू होने से पहले नीरज के भाले से अभ्यास करते हुए नजर आए. उन पर तो नीरज के गोल्ड मेडल विनिंग भाले के साथ छेड़छाड़ करने तक का आरोप लग गया था, जिसके बाद बवाल मच गया. कुछ लोगों को जहर उगलने का मौका भी मिल गया, मगर नीरज ने नदीम का साथ दिया. बेखौफ उन्होंने आग उगलने वालों के मुंह पर करारा तमाचा जड़ा. उन्होंने साफ साफ कहा कि नदीम ने कुछ भी गलत नहीं किया. ये सब नियम के अंदर ही था और उन्होंने ये भी कहा कि गंदा एजेंडा चलाने के लिए उनके नाम का इस्तेमाल ना किया जाए.

नदीम का बढ़ाते हैं जोश

नीरज नदीम को अक्सर सपोर्ट करते हैं. बात पिछले साल वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप की है. नीरज ने सिल्वर जीता था, वहीं नदीम 86.16 मीटर के साथ 5वें स्थान पर रहे. उन्होंने एल्बो इंजरी से वापसी की थी. नदीम का जोश बढ़ाते हुए नीरज ने कॉम्पीटिशन के बाद उनसे कहा कि चोट से वापसी के बाद उन्होंने कमाल का प्रदर्शन किया. इसके बाद पाकिस्तानी स्टार ने कॉमनवेल्थ में 90 मीटर का मार्क पार किया, जो अभी तक नीरज भी नहीं कर पाए. इतिहास रचने के बाद नदीम ने नीरज को बहुत याद किया था. नीरज चोट की वजह से कॉमनेल्थ गेम्स नहीं खेल पाए थे. नदीम ने नीरज ने जल्दी ठीक होने के लिए दुआ की. उनकी चोट से उन्हें भी दर्द हो रहा था.

फिर भिड़ने को तैयार

नीरज और अरशद नदीम के बीच ये एक ऐसा कनेक्शन है, जो दोनों को जोड़े रखता है. वो चीज, जिसे दिल कहते हैं, जिसे कोई दीवार नहीं बांट सकती, उस दिल में दोनों एक दूसरे के लिए प्यार और इज्जत रखते हैं. अपनी सच्ची दोस्ती रखते हैं. इस पार और उस पार के 2 दुश्मन, जो दोस्त ज्यादा पक्के वाले हैं, एक बार फिर भिड़ने वाले हैं. वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 के फाइनल में दोनों पहुंच गए हैं. ये भी काफी दिलचस्प है कि दोनों दोस्त क्वालिफाइंग राउंड में टॉप 2 में रहे. फाइनल में एक बार फिर दोनों ऐसा भाला चलाएंगे कि किसी एक दोस्त का दिल टूट सकता है. दोनों के बीच बॉन्डिंग ऐसी है कि इस टूटे दिल पर कोई दीवार खड़ी ही नहीं हो सकती. अगर दीवार खड़ी भी हो रही होगी तो दोनों का भाला एक ही बार में उस दीवार को गिरा देगा.